Dadi-Nani Ki Baatein : दादी-नानी छोटे बच्चों को क्यों लगाती हैं काजल, क्या सचमुच आखें हो जाएंगी बड़ी?
चंडीगढ़, 28 अप्रैल (ट्रिन्यू)
Dadi-Nani Ki Baatein : दादी-नानी द्वारा छोटे बच्चों को काजल लगाने की परंपरा भारत और कई अन्य दक्षिण एशियाई देशों में सदियों से चली आ रही है। यह एक सांस्कृतिक और पारंपरिक प्रथा है, जो सिर्फ सौंदर्य से ही नहीं बल्कि कई विश्वासों और भावनाओं से भी जुड़ी हुई है। पर क्या वाकई इससे बच्चों की आंखें बड़ी हो जाती हैं?
परंपरा और विश्वास
बचपन से ही हम देखते आए हैं कि दादी-नानी अक्सर बच्चों की आंखों में काजल लगाती हैं। ऐसा माना जाता है कि काजल लगाने से बच्चे की मासूमियत और सुंदरता पर किसी की बुरी नजर नहीं लगती। यह एक तरह का "नजर का टीका" होता है।
क्या सचमुच आंखें हो जाती हैं बड़ी?
वहीं, एक आम धारणा यह भी है कि काजल लगाने से आंखें बड़ी, गहरी और अधिक आकर्षक दिखती हैं। कुछ लोग मानते हैं कि नियमित रूप से काजल लगाने से आंखों का आकार भी बड़ा हो जाता है। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। काजल लगाने से आंखों की बनावट या आकार में कोई स्थाई बदलाव नहीं आता। हां, काजल से आंखें दिखने में बड़ी लग सकती हैं, लेकिन यह केवल एक दृश्य भ्रम होता है, वास्तविक आकार में कोई अंतर नहीं आता।
मिलते हैं स्वास्थ्य लाभ
पारंपरिक रूप से घर में बनाए जाने वाले काजल को शुद्ध और औषधीय माना जाता था। उसमें घी, बादाम, कपूर या नारियल का तेल मिलाया जाता था, जो आंखों को ठंडक पहुंचाने और संक्रमण से बचाने के लिए उपयोगी समझा जाता था। हालांकि आधुनिक विज्ञान और बाल चिकित्सा इस परंपरा से थोड़ा अलग दृष्टिकोण रखती है।
आंखों को हो सकता है नुकसान
हालांकि बाज़ार में उपलब्ध काजल में अक्सर लेड जैसे हानिकारक रसायन होते हैं, जो बच्चों की आंखों और उनकी त्वचा के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। इससे आंखों में जलन, एलर्जी या संक्रमण हो सकता है। खासकर नवजात शिशुओं की आंखें बेहद संवेदनशील होती हैं।
डॉक्टरों की सलाह
अधिकतर बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों को काजल लगाने की सलाह नहीं देते। वे मानते हैं कि प्राकृतिक सुंदरता को बिना किसी बाहरी रसायन के ही बनाए रखना बेहतर है, खासकर तब जब बच्चा इतना छोटा हो कि उसे अपनी आंखें मसलने या रगड़ने की आदत हो।
अगर आप काजल लगाना ही चाहता है तो बेहतर होगा कि घर में बना शुद्ध काजल ही प्रयोग करें और डॉक्टर से परामर्श जरूर लिया जाए। बच्चों की सुरक्षा सबसे पहले होनी चाहिए।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।