Dadi-Nani Ki Baatein : झाड़ू तोड़कर मत फेंको, मां लक्ष्मी नाराज हो जाएंगी... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
चंडीगढ़, 30 मई (ट्रिन्यू)
Dadi-Nani Ki Baatein : "झाड़ू तोड़कर मत फेंको, मां लक्ष्मी नाराज हो जाएंगी" - यह वाक्य आपने दादी-नानी या घर के बुजुर्गों से कई बार सुना होगा। यह एक परंपरागत मान्यता है, जिसे भारतीय समाज में पीढ़ियों से माना जा रहा है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसके पीछे की असली वजह क्या है? क्या यह केवल अंधविश्वास है या इसमें कोई व्यावहारिक सोच भी छुपी हुई है?
झाड़ू और मां लक्ष्मी का संबंध
भारतीय संस्कृति में मां लक्ष्मी को धन, समृद्धि और स्वच्छता की देवी माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी वहां निवास करती हैं जहां साफ-सफाई होती है। झाड़ू को घर की सफाई का मुख्य साधन माना गया है, इसलिए इसे प्रतीकात्मक रूप से मां लक्ष्मी से जोड़ा गया है। जब झाड़ू को अपवित्र तरीके से इस्तेमाल किया जाता है या उसे तोड़कर फेंक दिया जाता है तो यह माना जाता है कि आप समृद्धि और लक्ष्मी का अनादर कर रहे हैं।
क्या कहती है दादी-नानी?
दादी-नानी का कहना कि झाड़ू का संबंध माता लक्ष्मी से है। यह घर को साफ रखने में मदद करता है, जिससे बीमारियां दूर रहती हैं। अगर आप झाड़ू को तोड़कर फेंक देते हैं तो इसे मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है। वहीं, ऐसी भी मान्यता है कि इससे घर में आर्थिक समस्याएं हो सकती है।
बेवजह बर्बादी रोकना
भारतीय परंपरा में चीजों को पूरा उपयोग करने की सीख दी जाती है। "बर्बादी पाप है..." अगर झाड़ू थोड़ा टूट भी जाए तो उसे कुछ समय तक उपयोग में लाया जा सकता है। वहीं, दादी-नानी के इस प्रकार के निर्देश बच्चों को जिम्मेदारी और आदर की भावना सिखाते हैं। झाड़ू जैसे साधारण उपकरण का भी सम्मान करना यह सिखाता है कि जीवन में हर वस्तु का मूल्य होता है।
धार्मिक और सांस्कृतिक आधार
शास्त्रों और पुराणों में झाड़ू को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है इसलिए उसे पैर से लगाना, उस पर बैठना या उसे अपवित्र स्थान पर रखना अपमानजनक माना जाता है।
पुरानी झाड़ू को फेंकने का सही तरीका
अगर आप नई झाड़ू खरीद रहे हैं तो पुरानी झाड़ू को तोड़कर ना फेंके। वास्तु के अनुसार, पुरानी झाड़ू को अमावस्या, शनिवार के दिन या होलिका दहन के समय फेंकना चाहिए लेकिन तोड़कर नहीं बल्कि ऐसे ही। इसके अलावा आप पुरानी झाड़ू को ग्रहण के बाद भी फेंक सकते हैं।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।