Dadi-Nani Ki Baatein : घड़ी उल्टी, किस्मत फुलटी... ऐसा क्यों कहती है दादी-नानी?
चंडीगढ़, 22 मई (ट्रिन्यू)
Dadi-Nani Ki Baatein : "घड़ी का समय अगर उल्टा चलना बुरा संकेत है..." - ऐसा अक्सर दादी-नानी या बड़े बुजुर्गों से सुनने को मिलता है। भारतीय पारंपरिक मान्यताओं और लोक विश्वासों में समय और दिशा का विशेष महत्व होता है। हालांकि कई लोग घड़ी का उल्टा चलने को अशुभ संकेत मानते हैं। चलिए जानते हैं कि ऐसा क्यों है...
परंपरा और अंधविश्वास
भारतीय संस्कृति में समय को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू माना गया है। सूर्य पूर्व से पश्चिम की ओर जाता है और इसी दिशा में घड़ी की सुइयां भी घूमती हैं। इसे "सूर्यगति" कहा जाता है। अगर कोई वस्तु इस प्राकृतिक गति के विपरीत चले, तो उसे "विपरीतगामी" या "असामान्य" माना जाता है। इसी कारण घड़ी का उल्टा चलना कई लोगों को अस्वाभाविक और चिंता जनक लगता है।
क्या कहती है दादी-नानी?
बुजुर्गों का मानना है कि समय का उल्टा चलना जीवन में अवरोध, कठिनाइयां या नकारात्मक ऊर्जा का संकेत हो सकता है। उनके अनुभवों और पीढ़ियों से चली आ रही धारणाओं के आधार पर वे इसे अशुभ मानते हैं और अगली पीढ़ी को भी इसके प्रति सतर्क करते हैं।
प्रतीकात्मक महत्व
भारतीय वास्तु शास्त्र और ज्योतिष में भी दिशाओं और समय को विशेष महत्व दिया जाता है। अगर कोई उपकरण, विशेष रूप से समय से जुड़ा हुआ, विपरीत दिशा में कार्य करता है तो उसे ऊर्जा असंतुलन का प्रतीक माना जाता है। कई लोग मानते हैं कि उल्टी घड़ी घर में नकारात्मक ऊर्जा का संकेत देती है।
घड़ी बंद होने पर क्या करें?
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घड़ी का बंद होना घर में ऊर्जा के प्रवाह को रोकता है, जिससे प्रगति में रुकावट आती है। वहीं, अगर समय रुक जाए तो यह समय के थम जाने जैसा माना जाता है, जो शुभ नहीं होता। अगर घड़ी बंद हो जाए तो उसे तुरंत ठीक करवाएं या घर से बाहर निकाल दें।
डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।