सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक आभा
देवेन्द्रराज सुथार
प्राकृतिक सुंदरता, रोमांच और सांस्कृतिक समृद्धि से भरपूर नारकंडा हिमाचल प्रदेश का एक अनूठा हिल स्टेशन है। लगभग 2700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह आकर्षक शहर पर्यटकों से अछूता है। मखमली हरे घास के मैदानों और शांत नजारों में घूमना एक अनूठा अनुभव है। शिमला से नारकंडा तक का 62 किलोमीटर का सफर घने देवदार और चीड़ के जंगलों से घिरी घुमावदार सड़कों से होकर गुजरता है।
प्राकृतिक वैभव और सौंदर्य
नारकंडा, हिमालय के मनोरम दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। किन्नर कैलास पर्वतमाला की बर्फ से ढकी चोटियां स्वच्छ नीले आकाश के समक्ष राजसी ढंग से खड़ी हैं, जो उगते और डूबते सूरज के साथ रंग बदलती हैं। इन लुभावने दृश्यों का आनंद शहर के आसपास के विभिन्न सुविधाजनक बिंदुओं से लिया जा सकता है। नारकंडा के आसपास के हरे-भरे जंगल प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं हैं। यहां विभिन्न प्रकार की वनस्पतियां और जीव-जंतु पाए जाते हैं। जंगल की पगडंडियों से गुजरते हुए कई तरह की पक्षी प्रजातियां, चंचल गिलहरियां और यहां तक कि कभी-कभार हिरण भी दिख जाएंगे।
स्कीइंग के रोमांचक अनुभव
यहां रोमांच प्रेमियों को कई साहसिक गतिविधियां भी प्रदान करता है। यह शहर अपनी स्कीइंग ढलानों के लिए प्रसिद्ध है। ढलानें शुरुआती और अनुभवी स्कीयर दोनों के लिए हैं और पेशेवर प्रशिक्षकों की उपस्थिति में नौसिखिए भी बर्फ से ढकी पहाड़ियों पर स्कीइंग के रोमांचक अनुभव का आनंद ले सकते हैं। जो लोग ट्रैकिंग करना पसंद करते हैं, उनके लिए हाटू पीक ट्रेक जरूर करना चाहिए।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समृद्धि
नारकंडा, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत से भरा हुआ है। हाटू पीक के ऊपर स्थित हाटू माता मंदिर एक पूजनीय तीर्थस्थल है। मंदिर की लकड़ी की वास्तुकला और शांत वातावरण दोनों अद्भुत है। यहां एक अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल महामाया मंदिर है, जो देवी काली को समर्पित है। यह मंदिर यह एक ऐसा स्थान है, जहां आप इस क्षेत्र की गहरी सांस्कृतिक परंपराओं को देख सकते हैं। हाटू मंदिर से 500 मीटर आगे चले, तो तीन बड़ी चट्टानें मिलती हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि ये भीम का चूल्हा है। पांडवों को जब अज्ञातवास मिला था, तो वे चलते-चलते इस जगह पर रुके थे और यहां खाना बनाया था।
मौसम के साथ बदलता आकर्षण
नारकंडा का आकर्षण मौसम के साथ बदलता रहता है, प्रत्येक मौसम शहर में अपनी अनूठी सुंदरता लाता है। सर्दी नारकंडा को बर्फीले वंडरलैंड में बदल देती है, जो स्कीइंग और स्नोबोर्डिंग के लिए आदर्श है। वसंत और गर्मियों में जंगली फूल खिलते हैं और हरे-भरे घास के मैदान होते हैं। इस दौरान सुहाना मौसम ट्रैकिंग, कैंपिंग और बाहर की सैर के लिए एकदम सही होता है। सेब के बाग जिनके लिए नारकंडा प्रसिद्ध है, जो परिदृश्य में रंग भर देते हैं।
आतिथ्य और स्थानीय व्यंजन
नारकंडा अलग-अलग बजट और पसंद के हिसाब से ठहरने के कई विकल्प प्रदान करता है। शानदार नजारों वाले आलीशान रिसॉर्ट से लेकर स्थानीय जीवन का स्वाद देने वाले आरामदायक होमस्टे तक हर किसी के लिए कुछ न कुछ है। लोगों का दोस्ताना और स्वागत करने वाला स्वभाव आपको घर जैसा महसूस कराता है। हिमाचली व्यंजन अपने भरपूर स्वाद के लिए मशहूर हैं। चना मदरा, सिड्डू और धाम जैसे पारंपरिक व्यंजन एक ऐसा पाक अनुभव प्रदान करते हैं, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है।
कैसे पहुंचें?
शिमला हवाई अड्डा से नारकंडा हिल स्टेशन की दूरी 82 किमी है। अगर आप ट्रेन से आने की सोच रहे हैं, तो सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन शिमला है। शिमला से नारकंडा की दूरी 62.2 किमी है। अगर आप बस से आना चाहते हैं, तो पहले शिमला आइये और शिमला से नारकंडा की सीधी बस आपको दो घंटे में पहुंचा देगी।
कब जाएं?
नारकंडा में पर्यटन के दो मौसम हैं। एक सर्दी और दूसरा गर्मी। स्कीइंग के शौकीन लोग दिसंबर-जनवरी में यहां आते हैं। गर्मी का मौसम अप्रैल से जून तक होता है। जुलाई के बाद बारिश शुरू हो जाती है।