सांस्कृतिक-आर्थिक साझेदारी
यूं तो एक दशक में प्रधानमंत्री का संयुक्त अरब अमीरात का सातवां दौरा मध्यपूर्व में सबसे बड़े हिंदू मंदिर के निर्माण के कारण ज्यादा चर्चा में है, लेकिन सही मायनों में यह यात्रा कारोबारी रिश्तों को नए आयाम देने वाली भी है। इस यात्रा के दौरान दोनों मुल्कों ने दस अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए हैं। जिसमें आर्थिक गतिविधियों को सहजता प्रदान करने के लिये यूपीआई पेमेंट सिस्टम का लॉन्च करना भी शामिल है। भारत और यूएई के बीच गहरे होते रिश्तों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1970 तक दोनों देशों के बीच जो सालाना व्यापार महज 18 करोड़ डॉलर का था वह अब बढ़कर 85 अरब डॉलर तक जा पहुंचा है। अमेरिका के बाद भारत यूएई को सबसे ज्यादा सामान निर्यात करता है जो वर्ष 2022-23 में बत्तीस अरब डॉलर के करीब था। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022 में भारत ने यूएई के साथ व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता किया था। वहीं अब द्विपक्षीय समझौते से भारत में निवेश बढ़ने की उम्मीद है। इसके साथ ही भारत के यूपीआई के यूएई की एएएनआई से इंटरलिंक के बाद दोनों देशों में पैसे का ट्रांसजेक्शन सहजता से हो सकेगा। हाल की प्रधानमंत्री की यूएई यात्रा में ऊर्जा सुरक्षा, ग्रीन हाइड्रोजन और ऊर्जा संग्रहण आदि मुद्दों पर सहमति बनी है। वहीं इंडिया मिडल ईस्ट इकोनॉमिक कॉरिडोर को लेकर भी यूएई सहमत है। जो कच्चे तेल आदि की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूती देगा। इसके अलावा दोनों देशों में प्राचीन दस्तावेजों के रखरखाव व पुनरुद्धार पर भी सहमति बनी है। आज जब यूएई भारत में विदेशी निवेश के मामले में सातवें स्थान पर है तो इससे दोनों देशों के आर्थिक संबंधों में गर्मजोशी का अहसास किया जा सकता है। उल्लेखनीय है कि जहां यूएई भारत के लिए चौथा बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश है, वहीं भारत से यूएई को खाद्य पदार्थ ,महंगी धातु, हीरे-जवाहरात, खनिज पदार्थ , कपड़े, मशीनरी व इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात होता है।
यूएई में भारत के प्रवासियों की श्रमशक्ति एक बड़ी ताकत है। करीब पैंतीस लाख भारतीय हर साल अपनी कमाई में से बीस अरब डॉलर की धनराशि भारत भेजते हैं। अब भारतीय वहां महज श्रमिक के रूप में नहीं जाते। करीब पैंतीस फीसदी भारतीय अब प्रतिष्ठा वाले कामों में लगे हैं। वैसे प्रधानमंत्री की संयुक्त अरब अमीरात की सातवीं यात्रा कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इस चुनावी वर्ष में यूएई में सबसे बड़े हिंदू मंदिर के उद्घाटन के चलते यह यात्रा खासी चर्चा में रही है। इस मंदिर के लिये भूमि राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायेद अल नाह्यान ने लीज पर दी है। आबूधाबी में एक स्टेडियम में साठ हजार से अधिक प्रवासी भारतीयों को संबोधन तथा मंदिर के उद्घाटन से प्रधानमंत्री की यात्रा भारत व यूएई के मीडिया की सुर्खियों में रही है। एक इस्लामिक देश में एक बड़े मंदिर का बनना यूएई की सहिष्णुता का ही परिचायक है। दोनों देशों के संबंधों की गर्मजोशी इस बात से पता चलती है कि यूएई के राष्ट्रपति पिछले दिनों वाइब्रेंट गुजरात कार्यक्रम में भाग लेने गुजरात आए थे और एक रोड शो में भी शामिल हुए। दरअसल, हाल के वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय राजनय में भारत की बढ़ती भूमिका और दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ने यूएई को भारत के महत्व का अहसास कराया है। जिसके चलते कुछ वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री मोदी को यूएई का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ जायेद’ प्रदान किया गया था। निस्संदेह, भारत व खाड़ी के इस देश के बीच इतने गहरे ताल्लुकात कभी नहीं रहे हैं। यूएई में साहिष्णुता व बहुरंगी संस्कृति की एक वजह यह भी है कि वहां के मूल निवासी बारह फीसद के करीब हैं और बहुसंख्यक आबादी प्रवासी है। करीब दो सौ देशों की बड़ी प्रवासी आबादी में एक तिहाई आबादी भारतीयों की है। जो राजशाही के बावजूद यूएई की विदेश नीति को प्रभावित करने की क्षमता रखती है। बहरहाल, आज भारत व यूएई के संबंध ऐतिहासिक दौर में हैं। जिसमें भारत के मजबूत नेतृत्व की बड़ी भूमिका को संयुक्त राज्य अमीरात का नेतृत्व पसंद भी करता है।