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Crime Against Women : बेटी बचाओ या बलात्कारी बचाओ?, कांग्रेस की अलका लांबा ने लगाए पीएम मोदी पर आरोप, कहा - अपराधियों को बचाने में लगी बीजेपी

05:10 PM Jun 02, 2025 IST

नयी दिल्ली, 2 जून (भाषा)

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Crime Against Women : कांग्रेस ने बिहार और कुछ अन्य राज्यों में महिला विरोधी अपराध की हालिया घटनाओं का हवाला देते हुए सोमवार को आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बेटियों के साथ नहीं खड़ी है, बल्कि अपराधियों को बचाने में लगी है।

पार्टी की महिला इकाई की अध्यक्ष अलका लांबा ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ‘मन की बात' करते हैं, लेकिन महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के बारे में कब बोलेंगे? अलका लांबा ने संवाददाताओं से कहा,‘‘बिहार में कुशासन-काल चल रहा है। मुजफ्फरपुर में नाबालिग दलित बेटी का बलात्कार होता है, लेकिन फिर सरकार, प्रशासन, पुलिस और अस्पताल ने क्या किया? सवाल सिर्फ इस एक बच्ची का नहीं है, लाखों बच्चियां इस सरकारी सिस्टम का शिकार हो रही हैं।'' उन्होंने दावा किया कि बिहार में मात्र 15 दिन के अंदर कई बच्चियों के साथ हैवानियत हुई है।

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अलका ने कहा, ‘‘बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कुशासन काल चल रहा है, इसलिए जवाबदेही भी उनकी ही है। हमारी मांग है कि बिहार सरकार इन मामलों में जवाबदेही तय करे।'' उन्होंने देश में महिला विरोधी अपराधों से जुड़े मामलों की अदालती सुनवाई का ब्यौरा देते हुए कहा, ‘‘2022 में 18,517 मामलों की सुनवाई पूरी हुई जिनमें 5,067 लोग दोषी करार दिए गए और 12,062 लोग बरी हो गए।'' उनके अनुसार, वर्ष 2021 में 11,783 मामलों की सुनवाई पूरी हुई, जिनमें 3,368 लोग दोषी पाए गए और 7,745 लोग बरी कर दिए गए।

अलका ने कहा, ‘‘नाबालिग बेटियों के बलात्कार के मामले में फांसी होनी चाहिए, लेकिन फांसी होती क्यों नहीं, हम यही पूछ रहे हैं।'' उन्होंने दावा किया, ‘‘एनसीआरबी के मुताबिक, देश में सिर्फ 410 अदालतें हैं, जो नाबालिग बच्चियों के साथ हुए अपराध की सुनवाई करती हैं, लेकिन मामले लाखों में हैं। अगर बिहार में इन मामलों की सुनवाई की जाए तो बच्चियों और उनके परिवारों को न्याय मिलने में 28 साल लगेंगे। सच्चाई यह है कि यह सरकार बेटियों के साथ नहीं खड़ी है, बल्कि अपराधियों को बचाने में लगी है। यही कारण है कि बेटियां सुरक्षित नहीं हैं और अपराधियों के हौसले बढ़ रहे हैं।''

कांग्रेस नेता गरिमा मेहरा दसौनी ने उत्तराखंड के बहुचर्चित अंकिता भंडारी मामले का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘30 मई को कोटद्वार न्यायालय ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया, जिसमें मुख्य आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। यह फैसला अधूरा है, क्योंकि न्यायालय के सामने जो सबूत रखे गए, न्यायालय ने सिर्फ उसी बिनाह पर फैसला सुनाया है, लेकिन उन सबूतों का क्या जो नष्ट कर दिए गए?''

उन्होंने दावा किया कि भाजपा प्रचार के लिए इतनी भूखी है कि अंकिता भंडारी हत्याकांड का फैसला आया भी नहीं था कि एक पोस्टर जारी कर सारा श्रेय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को दे दिया। उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड में दुष्कर्म की कई घटनाएं हुई हैं और कई मामलों में भाजपा के नेताओं की संलिप्तता दिखाई देती है।

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