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परदे पर भी खूब खेला गया क्रिकेट

07:54 AM Nov 04, 2023 IST
परदे पर भी खूब खेला गया क्रिकेट
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हेमंत पाल

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फिल्म इतिहास को खंगाला जाए तो अन्य विषयों के साथ ही खेलों पर भी कई फ़िल्में बनी। इनमें सबसे ज्यादा संख्या क्रिकेट पर बनी फिल्मों की है। ऐसी फिल्मों में ज्यादातर क्रिकेट के महारथी रहे खिलाड़ियों की बायोपिक हैं। इसके अलावा क्रिकेट के काल्पनिक कथानक गढ़कर भी फ़िल्में बनाई गईं। क्रिकेट थीम पर बनी सुपरहिट फिल्म ‘लगान’ का कथानक भी काल्पनिक था। सबसे ज्यादा चर्चा भी क्रिकेट पर बनी फिल्मों की होती है। क्रिकेट को लेकर लोगों में जो दीवानापन है, उससे कई बार फिल्म कलाकार भी फीके पड़ जाते हैं। दरअसल, सिनेमा और क्रिकेट का रिश्ता दशकों पुराना है।
हमारे यहां क्रिकेट को पसंद करने और देखने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। इस खेल का जुनून इतना है, कि वे अपनी टीम की सपोर्ट करने विदेश तक पहुंच जाते हैं। ये ऐसा खेल है, जो प्रेम बढ़ाने का काम ही ज्यादा करता है। हर जाति और धर्म के खिलाड़ी क्रिकेट खेलते हैं और सभी देखते हैं। यही कारण है कि क्रिकेट पर न जाने कितनी फिल्में बन चुकी और बन भी रही हैं। साल 1959 से अब तक क्रिकेट के कथानक वाली करीब तीन दर्जन फिल्में आई। इनमें लगान, जन्नत और धोनी की बायोपिक सुपरहिट रही। जबकि काई पो चे, सचिन, फरारी की सवारी और ‘83’ को भी पसंद किया गया। इनमें आधा दर्जन फ़िल्में मुश्किल से अपनी लागत निकाल सकी और बाकी फिल्मों को दर्शकों ने नकार दिया। परदे पर क्रिकेट का जुनून फिर भी ठंडा नहीं पड़ा। करीब आधा दर्जन फ़िल्में लाइन में हैं। सिर्फ पुरुष क्रिकेट खिलाड़ियों पर ही बायोपिक नहीं बनी, भारतीय क्रिकेटर मिताली राज की जिंदगी पर भी बनी फिल्म ‘शाबास मिट्ठू’ में तापसी पन्नू ने भूमिका निभाई थी।

पहली फिल्म 1959 में

माना जाता है कि 1959 में इस कथानक पर पहली फिल्म ‘लव मैरिज’ बनी थी। इसमें देव आनंद और माला सिन्हा ने काम किया था। इसमें देव आनंद क्रिकेटर की भूमिका में थे और क्रिकेट के कारण ही माला सिन्हा का उस पर दिल आ जाता है। इसके बाद तो दर्जनों फ़िल्में बनी और बनती रही। पर, क्रिकेट आधारित सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली फिल्मों में 2001 में आई आमिर खान की फिल्म ‘लगान’ रही। यह फिल्म विक्टोरिया काल पर केंद्रित थी जिसमें क्रिकेट को राष्ट्रवाद से जोड़ा गया था। मदर इंडिया और सलाम बॉम्बे के बाद लगान ऑस्कर के लिए नामांकित होने वाली तीसरी भारतीय फिल्म बनी! 2016 में आई फिल्म ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की बायोपिक है। इसे क्रिकेट पर बनी दूसरी सबसे सफल फिल्म माना जाता है। नीरज पांडे निर्देशित इस फिल्म ने अच्छा कारोबार भी किया।

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क्रिकेट खिलाड़ियों पर बनी बायोपिक

क्रिकेट की लोकप्रियता में सबसे बड़ा योगदान उन खिलाड़ियों का है, जिन्होंने कई बार अपनी टीम को जिताने के लिए अपना सबकुछ लगा दिया। यही कारण है कि इन महान खिलाड़ियों के जीवन पर फिल्में बनी। इनमें सिर्फ उनका खेल ही नहीं फिल्माया, बल्कि वो संघर्ष भी दिखाया गया जिससे उबरकर वे खेल की ऊंचाई तक पहुंचे। मसलन महेंद्र सिंह धोनी पर बनी फिल्म में उनके संघर्ष और निजी जीवन को बहुत अच्छी तरह दिखाया गया था। साल 2021 में आई कपिल देव की बायोपिक ‘83’ भी उनकी जिंदगी पर आधारित है। फिल्म में इस खिलाड़ी की कप्तान वाली रणनीति और वर्ल्ड कप की जीत दिखाई थी। लेकिन, मोहम्मद अजहरुद्दीन पर आई फिल्म ‘अजहर’ (2016) को दर्शकों ने नकार दिया। ये फिल्म अज़हरुद्दीन के जीवन पर आधारित थी, जिन पर मैच फिक्सिंग कर टीम इंडिया को हराने का आरोप लगा था। बायोपिक तो महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर पर भी बनी, जिसका नाम था ‘सचिन : द बिलियन ड्रीम’ किंतु चली नहीं! वास्तव में ये फीचर फिल्म न होकर डॉक्यूमेंट्री थी। जल्द ही क्रिकेटर लाला अमरनाथ पर भी बायोपिक बनने जा रही है। इसके अलावा सौरभ गांगुली की बायोपिक पर काम चल रहा है।

क्रिकेट की फिल्मों के काल्पनिक कथानक

सिर्फ बायोपिक ही नहीं, क्रिकेट के काल्पनिक कथानक भी इस तरह रचे गए, कि उन्हें दर्शकों ने बेहद पसंद किया। साल 1984 में आई ‘ऑलराउंडर’ की कहानी अजय नाम के किरदार पर आधारित थी, जिसे बड़े भाई की वजह से भारतीय टेस्ट टीम में चुन लिया जाता है। इसे देश की पहली पूरी क्रिकेट आधारित फिल्म का दर्जा हासिल है। भारतीय टीम ने 1983 में वर्ल्ड कप जीता था, इसके बाद 1984 में ‘ऑल राउंडर’ रिलीज हुई। शाहिद कपूर और मृणाल ठाकुर की फिल्म ‘जर्सी’ साउथ की रीमेक थी। इसमें वे क्रिकेटर की भूमिका में नजर आए थे। इसका निर्देशन गौतम तिन्ननुरी ने किया। इस फिल्म को रिव्यू तो अच्छे मिले, पर फ्लॉप साबित हुई। 2005 में आई फिल्म ‘इक़बाल’ गांव के एक मूक-बधिर लड़के की कहानी है, जिसका लक्ष्य तेज गेंदबाज बनना और क्रिकेट टीम के लिए खेलना है। फिल्म में नसीरुद्दीन शाह ने कोच की भूमिका निभाई हैं, जो इकबाल (श्रेयस तलपड़े) को उसकी क्रिकेट यात्रा में मदद करते हैं। इस स्पोर्ट्स फिल्म को सामाजिक मुद्दों पर सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था। साल 2011 में रिलीज हुई ‘पटियाला हाउस’ क्रिकेट ड्रामा फिल्म थी, जिसमें शॉन टैट, एंड्रयू साइमंड्स, हर्शल गिब्स, कीरोन पोलार्ड, नासिर हुसैन और संजय मांजरेकर जैसे कई इंटरनेशनल खिलाड़ियों ने काम किया था। इस फिल्म की कहानी में अक्षय कुमार ने ब्रिटिश भारतीय का किरदार निभाया। ‘काय पो चे’ वो फिल्म थी जिसमें दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने पहली बार काम किया। इसमें तीन दोस्तों की कहानी दिखाई गई थी। ‘फरारी की सवारी’ (2012) भी क्रिकेट के क्रेज पर बनी थी, जिसमें शरमन जोशी मुख्य भूमिका में थे। अब तो ओटीटी पर भी क्रिकेट की कहानियों को भुनाया जाने लगा है। ‘कौन प्रवीण तांबे’ ऐसी ही एक फिल्म है।

अब तक क्रिकेट पर बनी फ़िल्में

साल 1959 में आई ‘लव मैरिज’ में देव आनंद, माला सिन्हा थे। 1984 ‘ऑल राउंडर’ में कुमार गौरव और रति अग्निहोत्री ने काम किया था। 1990 की फिल्म ‘अव्वल नंबर’ के कलाकार थे देव आनंद, आमिर खान व आदित्य पंचोली। जबकि, 2001 की बहुचर्चित फिल्म ‘लगान’ को आमिर खान के नाम से ही जाना जाता है। साल 2005 की ‘इकबाल’ में श्रेयस तलपड़े मुख्य भूमिका में थे। साल 2007 की फिल्म ‘हैट्रिक’ में रिमी सेन और कुणाल कपूर ने काम किया था। वर्ष 2008 में आई ‘जन्नत’ इमरान हाशमी, सोनल चौहान की फिल्म थी। जबकि साल 2009 की फिल्म ‘दिल बोले हड़िप्पा’ में रानी मुखर्जी और शाहिद कपूर ने प्रमुख भूमिकाएं निभाई थी। साल 2011 में आई फिल्म ‘पटियाला हाउस’ में अक्षय कुमार, ऋषि कपूर, डिंपल कपाड़िया और अनुष्का शर्मा थे। 2012 की फिल्म ‘फरारी की सवारी’ में शरमन जोशी और बोमन ईरानी ने काम किया था। 2016 फिल्म ‘अज़हर’ में मुख्य किरदार इमरान हाशमी ने निभाया था। 2016 में आई ‘एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी’ सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म थी। वहीं 2021 में आई ‘83’ में रणवीर सिंह ने काम किया था और 2022 की ‘जर्सी’ शाहिद कपूर की फिल्म थी।

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