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ऐतिहासिक राखीगढ़ी के टीले में श्मशानघाट, पर्यटक निराश

10:37 AM Aug 20, 2024 IST
टीला नंबर तीन पर ग्रामीणों द्वारा उपले डालकर किया गया कब्जा। -निस

सज्जन सैनी/निस
नारनौंद , 19 अगस्त
प्रतिष्ठित साइट राखीगढ़ी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। इस पर नो टीलें चिन्हित किए गए हैं। इन टीलों पर खुदाई के दौरान ऐसे अवशेष मिल चुके हैं जो की काफी चौंकाने वाले हैं। हजारों साल पहले व्यापार करने के भी काफी सबूत मिल चुके हैं। ऐतिहासिक सभ्यता होने के बावजूद अभी तक सरकार इन टीलों को सरक्षित नहीं कर सकी। टीलों पर ग्रामीणों ने अतिक्रमण किया हुआ है जिसके कारण पर्यटक भी रखी गई बहुत ही कम संख्या में पहुंच रहे हैं। टीलें नंबर एक पर पुरातत्व विभाग ने चारों तरफ ग्रिल लगाई हुई है, लेकिन उसके बावजूद ग्रामीणों ने इस टीले पर श्मशान घाट बनाया हुआ है और वह यहीं पर संस्कार करते हैं जब भी कोई देश-विदेश का पर्यटक वहां पर पहुंचता है तो श्मशानघाट देखकर हैरान हो जाता है। टीलें नंबर दो पर भी ग्रामीणों के मकान है। टीलें नंबर तीन पर भी एक समुदाय के लोग वहां पर अपने मुर्दों को दफनाते हैं। टीला नंबर चार ओर पांच पर अधिकतर ग्रामीण के मकान हैं। और ग्रामीण इन्हीं मकान में रहते हैं।
राखीगढ़ी में टीला नंबर छह और सात काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन टीलों पर सबसे पहले 1997 -98 में खुदाई भारतीय पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर अमरेंद्र नाथ की अगुवाई में हुई थी। दूसरी बार डेक्कन यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर वसंत शिंदे के नेतृत्व में वर्ष 2013-14 में की गई थी। तीसरी बार भारतीय पुरातत्व विभाग ने 2023- 24 में की थी। फिलहाल इन टीलों पर खुदाई बंद है।
टीला नंबर छह 20 हेक्टेयर में फैला हुआ है। और यह जमीन किसानों के नाम पर है। इसलिए काफी समय से भारतीय पुरातत्व विभाग इस जमीन को संरक्षित करने की योजना पर काम कर रहा है। किसानों को नोटिस भी दिए जा चुके हैं। दिल्ली नंबर 6 पर खुदाई के दौरान काफी महत्वपूर्ण अवशेष मिले थे। जिम मकान की दीवार कच्ची ईंटें, बर्तन, तांबा, पत्थर के मनके, शील, शंख की चूड़ियां इत्यादि काफी अवशेष मिले थे। जब उनकी कार्बन डेटिंग करवाई गई तो यह करीब साढ़े छह हजार वर्ष पुराने थे। जो की हड़प्पन की शुरुआत यहीं से मानी जाती हैं।
टीला नंबर सात करीब साढ़े तीन हेक्टेयर में फैला हुआ है। इस टीले पर भी तीन बार खुदाई हो चुकी है। टीले पर मिले कंकाल के डीएनए से ही यह साबित हुआ था कि वह साढ़े चार हजार वर्ष पुराने है। स्टील पर अब तक करीब 80 कंकाल मिल चुके है। गांव के सरपंच मनीष कुमार ने बताया कि ग्रामीणों को काफी बार नोटिस दिए जा चुके हैं कि वह इन टीलों पर अतिक्रमण न करें। टीला एक पर जो श्मशानघाट है, वहां अंतिम संस्कार करने के लिए रोक लगाई हुई है लेकिन ग्रामीण वहीं पर संस्कार कर रहे हैं।

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