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मानवीय संवेदनाओं का सार्थक सृजन

07:36 AM Jun 30, 2024 IST
मानवीय संवेदनाओं का सार्थक सृजन
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प्रगति गुप्ता
कहते हैं कि अपनी इंद्रियों को वश में रखकर जीवनयापन करना, एक तरह की साधना है। ‘अंतर्दृष्टि’ संग्रह की लघुकथाएं इंद्रियों की मनमानियों से उपजे नकारात्मक परिणामों को दर्शाती हैं और मनुष्य को सचेत रहने की चेतावनी देती हैं। यह सच है कि क्षेत्र कोई हो, अंधी आकांक्षाओं की वजह से व्यक्ति भटक कर उद्देश्य की प्राप्ति से छूट जाता है। नेपाल के कथाकार किशन पौडेल का यह पहला हिंदी लघुकथा संग्रह है। वह पाठक को ऐसी सामग्री उपलब्ध करवाना चाहते हैं, ताकि वह अच्छा जीवन जीएं।
इंद्रिय सुख, पृथ्वीलोक, रहस्य के पर्दे, अनुत्तरित, खुशी, सुख, हैसियत, ऊपर का आदेश, नियति जैसी अनेक रचनाएं जीवन का चिंतनपूर्ण विश्लेषण करती हैं। साथ ही आज के परिदृश्य में बिगड़ती व्यवस्थाओं पर चोट भी करती हैं। ‘ऊपर का आदेश’ लघुकथा में दरवाजा अपने बेईमान मालिक से कहता है ‘धिक्कार है तुझे! इतनी दौलत अर्जित की, फिर भी कुकर्मों का साथ नहीं छोड़ा।’
इसी तरह ‘सौन्दर्य’ लघुकथा में बूढ़ा पेड़ फूलों से कहता है ‘तुम बहुत सुंदर हो... परंतु इस दुनिया में सौन्दर्य लंबे समय तक कायम नहीं रहता।’
लालच, प्यार का बंधन, आशीर्वाद जैसी कथाएं मोह, माया और आसक्ति में घेरे मनुष्य के अपराधों को खोलती हैं। अनुमान और आसक्ति हास्य व्यंग्य रचनाएं हैं।
कथाओं के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक विषयों से जुड़ी समस्याओं को उठाया गया है। एक ओर नौकरशाहों के प्रपंचों का वर्णन है तो दूसरी ओर सर्वहारा वर्ग की पीड़ाएं भी हैं। वह वर्ग नेपाल का हो या भारत का इससे फर्क नहीं पड़ता।
लेखक की रचनाओं को पढ़कर लगता है कि वह विचार, मूल्य और मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखकर सकारात्मक सृजन करना चाहते हैं। लघुकथाओं की भाषा सरल, सहज व प्रतीकात्मक है।
पुस्तक : अंतर्दृष्टि लेखक : किशन पौडेल प्रकाशक : पंख प्रकाशन, मेरठ, उ.प्र. पृष्ठ : 70 मूल्य : रु. 150.

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