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शिल्पकारों, बुनकरों ने सीधे ग्राहकों तक पहुंचाये उत्पाद : बंडारू दत्तात्रेय

10:28 AM Feb 19, 2024 IST
फरीदाबाद में रविवार को सूरजकुंड मेले में प्रस्तुति देते कलाकार। -हप्र

राजेश शर्मा/हप्र
फरीदाबाद, 18 फरवरी
37वें सूरजकुण्ड अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले का आज रंगारंग समापन हो गया। इस मौके पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले के इस भव्य आयोजन का हिस्सा बनना हम सबके लिए हमेशा सम्मान की बात है। शिल्पकार, कारीगर और बुनकर बिचौलियों की भूमिका के बिना अपने पारंपरिक शिल्प को संभावित खरीदारों, पारंपरिक कला और शिल्प के संरक्षकों को सीधे बेचने में सक्षम और सफल हुए हैं, जो सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय मेले का मूल उद्देश्य है। राज्यपाल रविवार को 37वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला-2024 के समापन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
राज्यपाल ने कहा कि सूरजकुंड मेले के आयोजकों द्वारा इस भव्य एवं शानदार मेले की सफलता के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। उन्होंने कहा कि हर बार लगता है कि इस मेले का आकार और कद बढ़ रहा है, क्योंकि मेले के दौरान लगभग पचास देशों ने भाग लिया, जो एक प्रभावशाली संख्या है और वसुधैव कुटुम्बकम की भारतीय अवधारणा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस बार मेले में संयुक्त गणराज्य तंजानिया ने साझेदार राष्ट्र के रूप में भाग लिया और अपने देश के सर्वोत्तम शिल्प और संस्कृति का प्रदर्शन किया। मेले में उनकी उपस्थिति अफ्रीकी संघ के साथ भारत के जुड़ाव को भी दर्शाती है। भारतवर्ष के साथ तंजानिया का एक गहरा रिश्ता है, जो दिन प्रतिदिन और मजबूत हो रहा है।
राज्यपाल ने कहा कि गुजरात ने थीम राज्य के रूप में भाग लेकर अपनी अहम भूमिका निभाई और कला, शिल्प, व्यंजन और प्रदर्शन कला का अपना गुलदस्ता प्रदर्शित किया। यह राज्य अपनी सांस्कृतिक विविधता और भव्यता के लिए प्रसिद्ध है। साथ ही इस वर्ष हमारे आठ उत्तर पूर्वी राज्यों ने हमारी अष्टलक्ष्मी सांस्कृतिक भागीदार के रूप में भाग लिया। इन सभी आठ राज्यों नामत: अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करके अपनी कला और प्रतिभा का लोहा मनवाया। यह हम सब कला और संस्कृति के प्रेमियों के लिए बेहद खुशी की बात है कि 1987 में पहली बार शुरू होने के बाद से यह मेला बहुत तेजी से आगे बढ़ा है और इसने लोगों के दिलों-दिमाग में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। मामूली सी शुरुआत से आगे बढ़कर इस मेले ने विश्व-प्रसिद्ध शिल्प मेले तक के अपने सफर को तय किया। उन्होंने कहा कि एक साधारण विचार को इतनी वैश्विक कला और शिल्प में बदलने पर हमें गर्व का अनुभव होता है। इस अवसर पर विधायक राजेश नागर, पर्टयन विभाग के प्रधान सचिव एमडी सिन्हा, उपायुक्त विक्रम सिंह, पुलिस विभाग के डीसीपी अमित यशवर्धन, पर्यटन निगम के प्रबंधक निदेशक नीरज कुमार, जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी राकेश गौतम, पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह सहित अनेक गणमान्य नागरिक एवं अधिकारी मौजूद रहे।

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राजस्थान की चंदा देवी को परंपरागत कला सम्मान

मेले का अवलोकन करते राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय। साथ हैं विधायक राजेश नागर। -हप्र

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने शिल्प मेला में शिल्पकारों व कलाकारों को सम्मानित किया। राजस्थान की लैदर एम्बरो कला के लिए शिल्पकार चंदा देवी को परंपरागत कला सम्मान से सम्मानित किया गया। उड़ीसा के पंकज कुमार साहू को उनकी सिल्वर सिलिगुडी कला के लिए कला रत्न अवॉर्ड से नवाजा गया। कर्नाटक के शिव कुमार पी को उनकी वुड इन्ली कला के लिए, गुजरात के सुरेश कुमार मगन लाल धायदा को तंगालिया क्राफ्ट, उड़ीसा के गणेश साहू को पट्टा चित्रा क्राफ्ट, गुजरात के पंकज कुमार डूंगरा भाई मकवाणा को उनकी पटोला साड़ी, उत्तर प्रदेश के मौहम्मद सलीम को बनारसी साड़ी, उत्तर प्रदेश के ही मौहम्मद कलीम को बनारसी साड़ी और हिमाचल प्रदेश के नितिन राणा को वुलन ट्विड क्राफ्ट के लिए कलामणि पुरस्कार से सम्मनित किया गया। गुजरात के मारवाडा जाखू रामा को कुच्चा सावल क्राफ्ट के लिए, गुजरात के हीरा भाई तेजसी भाई को खद्दर वीव के लिए, गुजरात के चितारा रोशन राजेश भाई को कलम कारी क्राफ्ट, दिल्ली के बालकिशन को ब्राश क्राफ्ट और हिमाचल प्रदेश के नरोत्तम राम को शैवाल क्राफ्ट, उड़ीसा के हरी शंकर मेहर को इक्कट आर्ट और आंध्रप्रदेश के विश्वनाथ रैड्डी एम को कलमकारी क्राफ्ट के लिए कला निधि अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। गुजराज के मेहजबिन अब्दुल गफ्फार भाई पटेल को बीडिड ज्वैलरी के लिए, कर्नाटक के नागेंद्र को कंजीवाना के लिए, मध्य प्रदेश के भूरी भाई को फोक पेंटिंग के लिए, मध्यप्रदेश के शोएब खान को चंदेरी साड़ी के लिए, नागालैंड के मोलेम्ला को हैंडलूम के लिए, त्रिपुरा के गौर पौद्दार को बेम्बू के लिए और मध्यप्रदेश के अशरफ खान को जरी एंड जरी गुड्स के लिए कलाश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। विदेशी स्टॉलों में तंजानिया की अगुस्टा मसाकी को उनके हैंडीक्राफ्ट, अल्जिरिया के करीम हडूई को हैंडलूम और घाना के ओडिकी घाना को ट्रेडिशनल घानियन क्राफ्ट के लिए बेस्ट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।

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