संसद में विपक्ष की तरह भूमिका नहीं निभा सकती अदालत : सीजेआई
पणजी, 19 अक्तूबर (एजेंसी)
भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जनता की अदालत की भूमिका संरक्षित रखी जानी चाहिए, लेकिन इसका अभिप्राय यह नहीं है कि वह संसद में विपक्ष की तरह भूमिका निभाए। उन्होंने कहा कि कानूनी सिद्धांत की असंगतता या त्रुटि के लिए अदालत की आलोचना करना उचित है, लेकिन परिणामों के परिप्रेक्ष्य से उसकी भूमिका या कार्य को नहीं देखा जा सकता।
सीजेआई दक्षिण गोवा में ‘सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन’ के पहले सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट की न्याय तक पहुंच का प्रतिमान पिछले 75 वर्षों में विकसित हुआ है और कुछ ऐसा है जिसे हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जब समाज बढ़ता है, समृद्ध और संपन्न होता है, तो ऐसी धारणा बनती है कि आपको केवल बड़ी-बड़ी चीजों पर ही ध्यान देना चाहिए।
हमारा न्यायालय ऐसा नहीं है। हमारा न्यायालय जनता की अदालत है और मुझे लगता है कि लोगों की अदालत के रूप में शीर्ष न्यायालय की भूमिका को भविष्य के लिए संरक्षित रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अब, जनता की अदालत होने का मतलब यह नहीं है कि हम संसद में विपक्ष की भूमिका निभाएं।’
पक्ष में फैसला आये तो अद्भुत संस्था, नहीं तो बदनाम!
सीजेआई ने कहा, ‘मुझे लगता है, विशेष रूप से आज के समय में, उन लोगों के बीच एक बड़ा विभाजन है जो सोचते हैं कि जब आप उनके पक्ष में निर्णय देते हैं तो उच्चतम न्यायालय एक अद्भुत संस्था है, और जब आप उनके खिलाफ निर्णय देते हैं तो यह एक ऐसी संस्था है जो बदनाम है।... मुझे लगता है कि यह एक खतरनाक प्रवृत्ति है, क्योंकि आप परिणामों के परिप्रेक्ष्य से शीर्ष न्यायालय की भूमिका या उसके काम को नहीं देख सकते। व्यक्तिगत मामलों का नतीजा आपके पक्ष में या आपके खिलाफ हो सकता है। न्यायाधीशों को मामला-दर-मामला आधार पर स्वतंत्रता की भावना के साथ निर्णय लेने का अधिकार है।’