प्रेम के अनगिनत अफ़साने
शशि सिंघल
पल्लवी ने अपने नाम को सार्थक करते हुए अंकुरित प्रेम के ऐसे अनगिनत अफ़सानों को इस किताब में उड़ेला है जिन्हें पढ़कर लगता है कि पल्लवी ने प्रेम में कोई महारत हासिल कर रखी है। एआईजी के पद पर तैनात पल्लवी पुलिस महकमे के कार्य को तो सफल अंजाम दे ही रही है साथ में वह संगीत, फ़ोटोग्राफ़ी व लेखन कार्य में भी काफ़ी रुचि रखती हैं। अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा (व्यंग संग्रह), तुम जहां भी हो (काव्य संग्रह) व यात्रा वृत्तांत - ‘ख़ुशदेश का सफ़र’ के बाद पल्लवी की पुस्तक ज़िक्रे यार चले, लव नोट्स आई है। यह पुस्तक प्यार के अनगिनत रंगों से सराबोर है। इसमें कुल 48 लव नोट्स हैं, जिनमें प्रेम का समूचा संसार बसा है। प्रेम का अहसास एक जैसा होते हुए भी प्रेम का न कोई एक रंग है और न एक रूप, दुनिया में न जाने कितने तरह के प्रेमी हैं और न जाने कितनी तरह की उनकी कहानियां।
कहीं छत की मुंडेर पर पनपता प्यार तो कही कनखियों और इशारों ही इशारों में पींगे लेता प्यार तो कही वो प्रेम जो कभी कहा नहीं गया और कही हज़ार तरीक़ों से बयान किया गया। कहीं गुस्सा, रूठना-मनाना, शिकायतें, पछतावा, ईर्ष्या, समर्पण व आंसू हैं तो कहीं खिलखिलाहटें भी हैं। कहीं रोज़ प्रेमी के चुम्बन से सूरज उगता है तो कहीं विरह में जगती अनगिनत रातें हैं। कहीं इतनी बेचैनी है कि सीने में दफ़न बरसों पुराना दर्द जाग उठे, कहीं राहत है कि प्रेम की संकरी गली से निकल आने की। कहीं धूप का सफ़र है तो धरासार बरसात भी है। घुटी-घुटी उमस है तो सर्दियों की मीठी गुनगुनी धूप भी है।
ज़िक्रे यार चले लव नोट्स में अतीत, वर्तमान व भविष्य- तीनों कालों में स्पंदित दो लोगों के बीच प्रेम का अनूठा संसार समाया हुआ है। इसमें दो राय नहीं कि ये लव नोट्स साठ-सत्तर-अस्सी के दशक के लोगों के सीने में बरसों से छिपे अहसासों व दर्द को हवा ज़रूर देंगे। वे ख़ुद को अतीत में झांकने से रोक नहीं सकेंगे। इन लव नोट्स की छोटी-छोटी कथायें आईना बनकर हमारे आपके इर्दगिर्द ही घूमेंगी।
पुस्तक : ज़िक्रे यार चले, लव नोट्स लेखिका : पल्लवी त्रिवेदी प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 183 मूल्य : रु. 250.