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Copyright Dispute : रहमान के खिलाफ गाने के कॉपीराइट मामले में अंतरिम आदेश पर लगी रोक, कोर्ट ने जुर्माना भरने का भी दिया था आदेश

10:15 PM May 06, 2025 IST
copyright dispute   रहमान के खिलाफ गाने के कॉपीराइट मामले में अंतरिम आदेश पर लगी रोक  कोर्ट ने जुर्माना भरने का भी दिया था आदेश
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नई दिल्ली, 6 मई (भाषा)

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AR Rehman Song Copyright Dispute : दिल्ली हाई कोर्ट ने संगीतकार एआर रहमान और फिल्म ‘पोन्नियिन सेलवन 2' के निर्माताओं के खिलाफ एक संगीत रचना को लेकर कॉपीराइट मामले में जारी अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी।

न्यायमूर्ति सी हरि शंकर और न्यायमूर्ति अजय दिगपॉल की खंडपीठ ने रहमान एवं फिल्म के निर्माताओं को एकल पीठ के निर्देशानुसार 10 दिनों के भीतर रजिस्ट्री में दो करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने 25 अप्रैल को अंतरिम आदेश में जूनियर डागर बंधुओं- दिवंगत उस्ताद एन फैयाजुद्दीन डागर और दिवंगत उस्ताद जहीरुद्दीन डागर- को संगीत रचना का उचित श्रेय देने के लिए सभी ओटीटी और ऑनलाइन मंचों पर फिल्म में एक तस्वीर डालने का भी आदेश दिया था।

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खंडपीठ ने इस निर्देश पर भी रोक लगा दी। रहमान की स्थगन याचिका और एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती देने वाली अपील पर अब 23 मई को सुनवाई होगी। एकल न्यायाधीश ने दो लाख के जुर्माने की राशि दिवंगत कलाकारों के परिजनों को देने का आदेश दिया था। एकल पीठ ने अंतरिम आदेश में एक श्रोता के दृष्टिकोण से फैसला सुनाया था कि फिल्म में रहमान के गीत ‘वीरा राजा वीरा' का मूल स्वर, भावना और प्रभाव न केवल ‘शिव स्तुति' से प्रेरित है बल्कि वास्तव में उसके समान ही है।

यह भगवान शिव को समर्पित संगीतमय श्रद्धांजलि के मूल रचनाकारों के अधिकारों का उल्लंघन है। फैयाजुद्दीन डागर के बेटे और जहीरुद्दीन डागर के भतीजे उस्ताद फैयाज वसीफुद्दीन डागर ने मुकदमे में दलील दी कि उनके पास जूनियर डागर बंधुओं की सभी मूल रचनाओं का ‘कॉपीराइट' है, जिसमें ‘शिव स्तुति' भी शामिल है और इसका प्रतिवादियों ने अवैध रूप से उल्लंघन किया है।

रहमान, ‘मद्रास टॉकीज' और लाइका प्रोडक्शंस को मुकदमे के अंतिम नतीजे तक के लिए अदालत में दो करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया गया था, जिसे सावधि जमा के रूप में रखा जाएगा। रहमान के वकील ने अदालत में दलील थी कि ‘शिव स्तुति' पारंपरिक ध्रुपद शैली पर आधारित है, जो सार्वजनिक है और चूंकि गाना गाने का तरीका और रचना मूल नहीं थी इसलिए यह याचिका ‘कॉपीराइट' संरक्षण के योग्य नहीं है।

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