हिमाचल में धर्म-परिवर्तन अब गैर जमानती अपराध
ज्ञान ठाकुर/निस
शिमला, 12 अगस्त
हिमाचल प्रदेश में धर्म-परिवर्तन करना अब लगभग नामुमकिन होगा। प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार ने राज्य में धर्म परिवर्तन रोकने के लिए कानून को अब कठोर बना दिया है। इसमें जहां अब अधिकतम 10 वर्ष की कैद का प्रावधान किया गया है, वहीं जुर्माना भी बढ़ाकर दो लाख रुपए कर दिया गया है। यही नहीं, धर्म-परिवर्तन को सरकार ने अब गैर जमानती अपराध भी बना दिया है और इस तरह के मामलों की जांच सब इंस्पेक्टर के रैंक से नीचे के अधिकारी नहीं कर पाएंगे। इस संबंध में शुक्रवार को विधानसभा में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता संशोधन विधेयक 2022 पेश किया। मुख्यमंत्री द्वारा पेश संशोधन विधेयक में कहा गया है कि दो अथवा दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा एक साथ धर्म-परिवर्तन करने पर उसे सामूहिक धर्म-परिवर्तन माना जाएगा। इसमें पांच से 10 साल की सजा और 1.50 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसी तरह यदि कोई व्यक्ति बार-बार धर्म-परिवर्तन करवाने का दोषी पाया जाता है तो उसे सात से 10 वर्ष की कैद होगी और दो लाख रुपए जुर्माना लगेगा।
विधेयक के अनुसार अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे धर्म की महिला से विवाह करने के लिए अपना धर्म छुपाता है और शिकायत मिलने पर यदि दोष साबित होता है तो ऐसे व्यक्ति को तीन से 10 वर्ष तक की कैद और एक लाख रुपए जुर्माना किया जा सकता है। विधेयक में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति धर्म-परिवर्तन के बाद भी अपने मूल धर्म के तहत मिलने वाली सुविधाओं का भोग करता है तो उसे दो से पांच साल तक की सजा होगी और एक लाख रुपए तक जुर्माना किया जा सकता है। विधेयक में धर्म-परिवर्तन के लिए एक महीना पहले मजिस्ट्रेट के सामने शपथ-पत्र देने का प्रावधान किया गया है, हालांकि अपने मूल धर्म में लौटने वाले व्यक्ति को इस तरह के नोटिस से मुक्त रखा गया है। विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि धर्म-परिवर्तन से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई जिला व सत्र न्यायालय में ही होगी। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बिल पेश करते हुए कहा कि हिमाचल देश का सम्भवत: ऐसा पहला राज्य है जहां धर्म-परिवर्तन करने पर इतने कड़े क़ानूनी प्रावधान किये गये हैं।