Continuous Learning सीखते रहने की आदत दिलाएगी सक्सेस
कामयाबी, तरक्की, सुरक्षा, संतुष्टि व सम्मान –ऐसे सकारात्मक शब्द हैं जो हर पेशेवर अपने काम से हासिल करना चाहता है। इसके लिए अन्य विशेषताओं के अलावा लगातार सीखते रहने की आदत बड़ी मददगार है। ऑनलाइन या ऑफलाइन नये-नये कोर्स करते रहना व अपस्किलिंग मौजूदा तकनीकी व प्रतिस्पर्धी माहौल में जरूरी है। वहीं सीखने की प्रक्रिया अनवरत व संकल्प पक्के होने चाहिये।
कीर्तिशेखर
इस एआई के दौर में जहां हर किसी की नौकरी पर असुरक्षा की तलवार लटक रही हो, खुद को सुरक्षित रखने के लिए कंटिन्युअस लर्निंग की आदत का होना बहुत जरूरी है। यह आदत न सिर्फ हमें सक्सेस के सबसे ऊंचे पायदान तक ले जाती है बल्कि हमें जॉब में संतुष्टि भी देती है। कंटिन्युअस लर्निंग की आदत का मतलब है- अपने कैरियर में लगातार नई चीजें सीखते रहना, सीखी चीजों में माहिर होते रहना और अपने ज्ञान व कौशल में पूरी तरह से अपडेट रहना। यह प्रक्रिया हमें कैरियर में तो आगे ले ही जाती है, सामाजिक दायरे में भी सम्मान दिलाती है। वहीं हम पर कभी बदलती हुई टेक्नोलॉजी की तलवार नहीं गिरती। यानी हमें कभी भी इंडस्ट्री के उठते-गिरते ट्रेंड्स परेशान नहीं करते। हर तरह की चुनौती को अपने अनुकूल ढाल लेते हैं।
आरामतलबी छोड़ चुनौतियों का सामना
कंटिन्युअस लर्निंग से हम लगातार नई स्किल्स के साथ अपडेट रहकर कैरियर में आगे बढ़ते रहते हैं। ऐसा करके हम गिने-चुने सौभाग्यशालियों में होते हैं, जिनका कभी प्रमोशन नहीं रुकता। अगर हम लगातार नया कुछ सीखते रहते हैं, तो हमारे इर्द-गिर्द नई से नई जॉब्स के अवसर मंडराते रहते हैं। कंटिन्युअस लर्निंग से हम अपने कंफर्ट जोन से बाहर आते रहते हैं। वहीं जब कंटिन्युअस लर्निंग की प्रक्रिया से कट जाते हैं तो कुछ नया सीखने की चुनौती नहीं स्वीकारते। पुरानी सीखों को ही चतुराई से नये नये ढंग से पेश करते रहते हैं। लेकिन इससे लंबे दौर में फायदे की जगह नुकसान होते हैं। कंटिन्युअस लर्निंग जरूरी है ताकि हममें अपने कंफर्ट जोन के बाहर आने और रहने की आदत बनी रहे।
प्रतिस्पर्धा में बने रहने की क्षमता
कंटिन्युअस लर्निंग इसलिए भी जरूरी है ताकि हम हमेशा प्रतिस्पर्धा में बने रहें। कई बार हम नई तकनीकों को समझने और सीखने की जहमत मोल नहीं लेते। नतीजन, हम बदलती हुई टेक्नोलॉजी से तालमेल बिठाने में पिछड़ जाते हैं और प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाते हैं। कंटिन्युअस लर्निंग हमारा पर्सनल डेवलपमेंट तो करती ही है, जिसका पैमाना हमारी कैरियर ग्रोथ होती है। इससे हमारे आत्मविश्वास के सा हीसमस्या समाधान की क्षमता भी बढ़ती है। सवाल है कंटिन्युअस लर्निंग की आदत कैसे डालें? क्या जॉब से छुट्टी लेकर कोई कोर्स करें? क्या बिना छुट्टी लिये हर दिन इस प्रक्रिया के लिए आधा से एक घंटा देकर नियमित नई-नई चीजें सीखते रहें और कामकाज की प्रक्रिया में अपनाते रहें?
सही रणनीति के साथ मजबूत संकल्प
ऐसी स्थितियों के लिए एक खास रणनीति जरूरी होती है। हमारे संकल्प मजबूत और अनुशासित होने चाहिए। यह नहीं कि किसी एक दिन हम भावनाओं में बहकर तय कर लें कि अगले दो महीने में एप्स से अंग्रेजी सीख लेंगे और पहले हफ्ते जरूरत से भी ज्यादा समय देकर इस तरह अपने लक्ष्य की ओर भागते दिखे, मानो दो महीने का लक्ष्य 15 दिन में ही पूरा कर लेंगे और फिर एक सप्ताह बाद कभी पलटकर उस एप्स की ओर देखें भी न। दरअसल 99 फीसदी लोग ऐसा ही करते हैं। पहले 10-12 दिन संकल्प को बड़े मनोवेग से पूरा करने की कोशिश में दिखते हैं और फिर यह डेली रूटीन तनावभरा लगने लगता है तो चुपचाप पैर पीछे खींच लेते हैं। ऐसी शुरुआत हमेशा गलत होती है। इसलिए कंटिन्युअस लर्निंग में कूदने के पहले सोच लें कि एक बार कोई संकल्प ले लिया तो तयशुदा सीमा तक सीखना है।
ऑनलाइन सुविधाओं का उठाएं फायदा
ऑनलाइन जानने, सीखने और समझने की सुविधाओं का अपनी जिंदगी में ज्यादा से ज्यादा और बेहतर से बेहतर उपयोग करें। अपनी कम पढ़ाई लिखाई की, अपनी कम इनकम की भरपाई,अपनी स्किल में खूब माहिर होकर करें। दरअसल ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म्स में एक से बढ़कर एक ऐसे कोर्स मौजूद हैं जो हमें बहुत आसानी से बाजार के लिए मूल्यवान बना देते हैं। यूडेमी से टेक्नोलॉजी लीडरशिप और डेटा साइंस जैसे कोर्स कर सकते हैं, वहीं फ्री सरकारी एनपीटीईएल प्लेटफॉर्म से टेक्निकल और मैनजमेंट कोर्स करके खुद को अपरिहार्य व्यक्तित्व बनाएं। सोशल मीडिया में ऐसे अनगिनत शार्ट वीडियो और विशेषज्ञों के इंटरव्यू मौजूद हैं, जिनसे आप खुद को अपडेट करके इंडस्ट्री के लिए एसेट बन सकते हैं। इस तरह कैरियर सक्सेस के लिए अगर कंटिन्युअस लर्निंग की अपनी आदत को महत्वपूर्ण बनाते हैं तो आप कैरियर में लगातार शिखर की तरफ ही बढ़ेंगे। इ.रि.सें.