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ड्रेन-6 से यमुना में पहुंच रहा फैक्टरियों का दूषित पानी!

07:07 AM May 31, 2024 IST
ड्रेन 6 से यमुना में पहुंच रहा फैक्टरियों का दूषित पानी
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सोनीपत, 30 मई (हप्र)
नेशनल हाईवे-44 किनारे स्थित बड़ी औद्योगिक क्षेत्र की ईकाइयों का दूषित पानी बिना ट्रीटमेंट के ही ड्रेन नंबर-6 में छोड़ने का मामला सामने आया है। सैकड़ों उद्योगों के लिए यहां 16 एमएलडी क्षमता वाला एक सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्र (सीईटीपी) स्थापित किया गया है, लेकिन उद्योगों दूषित पानी इससे तीन गुना अधिक होता है। इस संबंध में एनजीटी में दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि सीईटीपी का उचित रखरखाव नहीं किया जाता। जिससे दूषित पानी को बिना ट्रीटमेंट के ड्रेन नंबर-6 में छोड़ दिया जाता है। ड्रेन नंबर-6 आगे नजफगढ़ नाले के माध्यम से यमुना नदी में मिलती है। जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि की दो सदस्यीय संयुक्त कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी उद्योगों द्वारा दूषित पानी को सीधे ड्रेन नंबर-6 में छोड़ने, सीईटीपी की क्षमता, इसका उपयोग और प्रदर्शन तथा सीईटीपी द्वारा छोड़े जा रहे अपशिष्टों के संबंध में सही स्थिति का पता लगाएगी। संयुक्त समिति के सदस्य औद्योगिक इकाइयों के लिए निर्धारित प्राथमिक अपशिष्ट उपचार संयंत्र (पीईटीपी) मानकों का भी पता लगाएगी। एनजीटी ने सीईटीपी और ड्रेन नंबर-6 के डिस्चार्ज प्वाइंट से लेकर नजफगढ़ नाले तक सैंपल की जांच और 3 महीने में तथ्यात्मक रिपोर्ट सौंपने के आदेश जारी किए हैं।

एचएसआईआईडीसी की लापरवाही

याचिकाकर्ता वरुण गुलाटी ने बताया कि डाइंग उद्योगों द्वारा स्ट्राम वाटर ड्रेन में भी दूषित पानी छोड़ा जा रहा है। पंप लगाकर इनका पानी सीधे ड्रेन नंबर-6 तक पहुंचाया जाता है। जबकि इनमें वर्षा के पानी को छोड़ा जाता है। यहां अपशिष्टों की उपस्थिति समझ से परे है। सीईटीपी को हरियाणा राज्य औद्योगिक और आधारभूत संरचना विकास निगम (एचएसआईआईडीसी) द्वारा संचालित किया जाता है। ऐसे में एचएसआईआईडीसी इस संबंध में अपना कार्य करने में पूरी तरह विफल रहा है। इस संबंध में एचएसपीसीबी के अधिकारियों के साथ पत्र व्यवहार किया गया था। जिसमें एक जांच टीम ने अवलोकन किया था और इसके जिम्मेदार 30 आरोपियों, अधिकारियों और कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने का निर्णय लिया था, लेकिन मुख्यालय से मंजूरी जारी नहीं होने के कारण मामला आगे नहीं बढ़ा।
''16 एमएलडी के सीईटीपी के अधिकारियों के खिलाफ केस दायर करने और दो करोड़ 15 लाख रूपये का जुर्माना करने की परमिशन मांगी है। यहां पर 10 एमएलडी का दूसरा प्लांट भी है, जो सही हालत में चल रहा है। 16 एमएलडी के प्लांट को अपग्रेड किया जा रहा है। अधिकारियों ने 30 जून तक अपग्रेड करने की बात कही है।'' 
-प्रदीप कुमार, क्षेत्रीय अधिकारी, एचएसपीसीबी
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