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अप्रैल में शुरू होगा ढोसी के पहाड़ पर रोप-वे का निर्माण कार्य

07:56 AM Mar 11, 2025 IST
अप्रैल में शुरू होगा ढोसी के पहाड़ पर रोप वे का निर्माण कार्य
प्रतिकात्मक चित्र
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नारनौल, 10 मार्च (हप्र)
नेशनल हाईवे इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं लॉजिस्टिक कॉर्पोरेशन के तत्वावधान में ऐतिहासिक ढोसी के पहाड़ पर रोप-वे निर्माण की प्रक्रिया इस माह के अंत तक पूरी होने जा रही है। विभाग की सूचना के मुताबिक अप्रैल के महीने में इस पर निर्माण का कार्य धरातल पर प्रारंभ कर दिया जाएगा। 57 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होने वाला यह रोपवे इस क्षेत्र में पहला रोपवे होगा जो ढोसी के पौराणिक महत्त्व के तीर्थ स्थल पर आम जनता की पहुंच सुगम बनाएगा।
पूर्व सिंचाई मंत्री डॉ. अभय सिंह यादव ने पर्यटन मंत्री को पत्र लिखकर इस स्थल को एक बहुआयामी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का सुझाव दिया है। डॉ. यादव ने बताया कि के उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि पहाड़ की प्राकृतिक छटा को देखते हुए पहाड़ के ऊपर एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्राकृतिक उपचार केंद्र स्थापित किया जाए।
चारों तरफ़ से पहाड़ की चोटियों से घिरा हुआ बीच का समतल स्थल अपने आप में ही एक स्वास्थ्यवर्धक मनमोहक तथा रमणीय स्थल है जिस पर प्राकृतिक उपचार भविष्य में एक अन्तर्राष्ट्रीय आकर्षण का केंद्र बन सकता है। इसके साथ ही पहाड़ की ऊंची चोटियों पर कुछ समतल चट्टानें पैराग्लाइडिंग और रोप क्लाइम्बिंग जैसे एडवेंचर खेलों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकती हैं।

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महाभारत काल से जुड़ा पौरैाणिक महत्व

डॉ. यादव ने अपने पत्र लिखा है कि यह पहाड़ महर्षि च्यवन की तपो स्थली होने के अतिरिक्त महाभारत काल का यह पौराणिक महत्व का स्थल है, जहां पहाड़ पर मंदिर एवं चंद्रकूप जैसी जगहों को ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन के लिए विकसित किया जा सकता है। वहीं पहाड़ पर विभिन्न प्रदेशों के शाकाहारी व्यंजनों के लिए एक आधुनिक फूड कोर्ट की व्यवस्था की जा सकती है। इसके साथ ही पहाड़ के नीचे पहाड़ की गोद में एक आधुनिक सुविधाओं से युक्त टूरिस्ट कंप्लेक्स का निर्माण किया जा सकता है, जहां पर्यटकों के ठहराव की व्यवस्था हो सकती है। डॉ. यादव का विचार है कि ढोसी को एक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करते हुए समस्त जिले के ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को इससे जोड़ा जा सकता है। नारनौल की ऐतिहासिक इमारतें जैसे बीरबल का छत्ता, चोर गुंबद, जलमहल, शाहकुलीखां का मकबरा, मिर्जा अली की बावड़ी, महेंद्रगढ़ का किला एवं माधोगढ़ का रानी महल इत्यादि सभी ऐतिहासिक महत्व के स्थलों को इसके साथ जोड़ा जा सकता है।

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