लुधियाना से जुड़ी हैं कांग्रेस के अमेठी उम्मीदवार की जड़ें
वीरेन्द्र प्रमोद/ निस
लुधियाना, 4 मई
गांधी परिवार की परंपरागत अमेठी लोकसभा सीट के चुनावी रण में उतरे कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा की जड़ें लुधियाना से जुड़ी हैं। उनका परिवार यहां शिवाजी नगर की गली नंबर चार की नुक्कड़ वाली कोठी में रहता है। इस संवाददाता ने कड़ी मशक्त के बाद एक तंग गली में उनके आलीशान मकान को ढूंढ़ िनकाला। किशोरी लाल दिल्ली में रहते हैं, लेकिन अक्सर यहां परिवार से मिलने आते रहते हैं। इस कोठी में उनकी पत्नी किरण शर्मा अपनी एक बेटी के साथ रहती हैं। दूसरी बेटी की शादी हो चुकी है और वह अपने परिवार के साथ पटियाला में रहती हैं। किशोरी लाल का यहां साहनेवाल के निकट एक पेट्रोल पंप है और अन्य कारोबार भी हैं।
किशोरी लाल काे कांग्रेस द्वारा प्रत्याशी घोषित किये जाने के बाद उनका परिवार अमेठी के लिए रवाना हो गया है। शनिवार को उनकी कोठी के मुख्य द्वार पर ताला था। उनके सास-ससुर भी पास ही रहते हैं। वर्ष 1987 में रेलवे की नौकरी से रिटायर हुए उनके 95 वर्षीय ससुर सुदेश कुमार ने कहा, इस बात का गर्व है कि दामाद को नेहरू-गांधी परिवार ने अपनी विरासती सीट से उम्मीदवार बनाया है। उन्होंने परमात्मा का धन्यवाद करते हुए कहा कि इससे बढ़कर खुशी और गौरव क्या हो सकता है कि पार्टी ने उनका चयन उस क्षेत्र से किया, जहां से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, संजय गांधी, राजीव गांधी और राहुल गांधी ने चुनाव लड़ा हो।
सुदेश कुमार अपनी पत्नी कमला रानी के साथ अपने तीन मंजिला घर के निचले भाग में रहते हैं। एक भेंट वार्ता में उन्होंने दैनिक ट्रिब्यून से कहा कि वह चुनावी हार-जीत के विवाद में नहीं पड़ना चाहते, सारा परिवार इस बात से संतुष्ट है कि गांधी-नेहरू परिवार और कांग्रेस पार्टी ने अमेठी से टिकट देकर किशोरी की निष्ठा, वफादारी, समर्पण को सम्मानित किया है।
किशोरी लाल के कई पड़ोसियों ने बताया कि वह जब भी यहां आते हैं तो उनको मिलने वालों का तांता लगा रहता है। पिछले विधानसभा चुनाव से पूर्व जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी अचानक उनके घर पहुंच गये तो मोहल्ले वाले उनकी झलक पाने के लिए उमड़ पड़े थे।
महीने में 5 दिन आते थे घर
चार दशकों से अधिक समय से रायबरेली और अमेठी में गांधी परिवार की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले किशोरी लाल शर्मा छात्र जीवन से ही पार्टी से जुड़े हैं। वह महीने के 25 दिन अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियां निभाते और शेष पांच दिनों के लिए अपने परिवार के पास वापस आ जाते थे। उनकी पत्नी किरण ही परिवार और व्यवसाय को संभालती रहीं। किरण ने कहा, मुझे उनके नाम की घोषणा होने का आभास था, लेकिन कभी नहीं सोचा था कि मेरे मन की बात सच हो जाएगी। चुनाव के दौरान पूरे समय मैं उनके साथ रहूंगी।