दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू भिवानी, 18 सितंबर ओल्ड भिवानी जिले के छह विधानसभा क्षेत्रों में इस बार चुनाव दिलचस्प हो चला है। पूर्व सीएम चौ़ बंसीलाल के प्रभाव वाले इस इलाके में भाजपाइयों को पार्टी के परंपरागत वोट बैंक और बंसीलाल के प्रभाव से उम्मीद है। वहीं, कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा का सहारा है। प्रदेश कांग्रेस के इतिहास में यह पहला मौका है, जब कांग्रेस गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ रही है। 89 सीटों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे हैं। वहीं, इंडिया गठबंधन के तहत भिवानी शहर से सीपीआई-एम के कामरेड ओमप्रकाश चुनाव लड़ रहे हैं। ओल्ड भिवानी के अंतर्गत आने वाले विधानसभा हलकों- भिवानी, तोशाम, लोहरू, बवानीखेड़ा, चरखी दादरी और बाढ़डा में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बवानीखेड़ा व भिवानी शहर सीट को छोड़कर बाकी चारों सीटों पर जाट नेताओं के बीच घमासान छिड़ा है। भाजपा ने छह सीटों में से चार सीटों पर और कांग्रेस ने सभी छह सीटों पर नये चेहरों पर दांव खेला है। कांग्रेस ने चरखी दादरी से डॉ़ मनीषा सांगवान, लोहारू से राजबीर सिंह फरटिया, तोशाम से अनिरुद्ध चौधरी, बवानीखेड़ा से प्रदीप नरवाल, बाढ़डा से पूर्व विधायक सोमबीर सिंह श्योराण व भिवानी से सीपीआई-एम के कामरेड ओमप्रकाश को टिकट मिला है। इनमें बाढ़डा विधायक सोमबीर सिंह ऐसे हैं, जो पहले लोहारू से विधायक रहे हैं, लेकिन इस बार पार्टी ने उनका हलका बदल दिया है। ऐसे में सभी छह सीटों पर नये चेहरे चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने तोशाम में पूर्व विधायक शशि रंजन परमार की टिकट काटकर राज्यसभा सांसद किरण चौधरी की बेटी व पूर्व सांसद श्रुति चौधरी को टिकट दिया है। बवानीखेड़ा में दो बार के विधायक बिशम्बर सिंह वाल्मीकि का टिकट काटकर कपूर नरवाल पर भरोसा जताया है। चरखी दादरी में जेल सुपरिंटेंडेंट रहे सुनील सांगवान तथा बाढ़डा में उमेद पातूवास को टिकट दिया है। भिवानी से मौजूदा विधायक घनश्याम सर्राफ और लोहारू से वित्त मंत्री जयप्रकाश दलाल को टिकट दिया है। ओल्ड भिवानी को पूर्व सीएम चौ़ बंसीलाल के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। इस इलाके के लोगों में बंसीलाल के नाम का आज भी क्रेज है। ऐसे में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अधिकांश प्रत्याशियों को बंसीलाल के नाम का सहारा है। उन्हें लगता है कि बंसीलाल के प्रभाव का फायदा उन्हें हो सकता है। उन्हें यह संभावना इसलिए भी बढ़ी हुई लगती है, क्योंकि बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी व पोती श्रुति चौधरी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुकी हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले अधिकांश नेताओं को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के प्रभाव का फायदा मिलने की उम्मीद है। रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी ओल्ड भिवानी में जोर लगा रहे हैं। इलाके के लोगों में इस बात को लेकर चर्चा है कि ओल्ड भिवानी की सीटों पर होने वाले चुनाव में चौ़ बंसीलाल के प्रभाव और हुड्डा के असर की परीक्षा होगी। यह पहला मौका है जब इस बेल्ट में बंसीलाल का परिवार भाजपा के साथ खड़ा है। हालांकि, बंसीलाल के बड़े बेटे रणबीर सिंह महेंद्रा ने अपने बेटे अनिरुद्ध चौधरी को तोशाम से टिकट दिलवा कर पिता की राजनीतिक विरासत का लाभ उठाने की जुगत लगाई है।
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छोटी काशी पर सभी की नजर
भिवानी शहर को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। इस सीट से जीत की हैट्रिक लगा चुके घनश्याम सर्राफ जीत का चौका लगाने के लिए मैदान में डटे हैं। दस वर्षों से लगातार राज्य में भाजपा की सरकार होने के चलते उनके खिलाफ एंटी-इन्कमबेंसी भी स्वभाविक है। वहीं, कांग्रेस ने यहां पहली बार नया प्रयोग करते हुए यह सीट सीपीआई-एम को दी है। सीपीआई-एम ने कामरेड ओमप्रकाश को टिकट दिया है। लोगों के बीच अच्छी पकड़ रखने वाले कामरेड ओमप्रकाश अपनी कामरेड विचारधारा के अनुरूप ही चुनाव भी लड़ रहे हैं। दो पूर्व मंत्रियों के परिवार के सदस्यों ने इस सीट के सारे गणित बिगाड़ दिए हैं। पूर्व मंत्री ठाकुर बीर सिंह के पुत्र अभिजीत सिंह निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं। राजपूत समाज के अभिजीत सिंह की वजह से भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। वहीं, पूर्व मंत्री और कांग्रेस में शामिल वासुदेव शर्मा की पुत्रवधू इंदू शर्मा आप से चुनाव लड़ रही हैं। कांग्रेस को इंदू शर्मा से वोट करने का डर है।
बाढ़डा में त्रिकोणीय जंग
जाट बहुल बाढ़डा सीट पर इस बार त्रिकोणीय जंग के आसार बनते दिख रहे हैं। कांग्रेस ने पूर्व सीएम चौ़ बंसीलाल के दामाद और पूर्व विधायक सोमबीर सिंह को यहां से टिकट दिया है। वहीं, भाजपा ने नये और युवा चेहरे उमदे पातूवास को चुनावी मैदान में उतारा है। उमेद पातूवास इस हलके में काफी समय से सक्रिय हैं। भाजपा ने बाढ़डा से विधायक रहे सुखविंद्र सिंह श्योराण की टिकट काटकर उमेद को प्रत्याशी बनाया है। वहीं, कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में आए सोमबीर सिंह घसौला ने बाढ़डा में त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है।
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तोशाम में भी त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की जुगत
बंसीलाल परिवार की परंगपरागत सीट तोशाम पर इस बार पूरे प्रदेश की नजरें लगी हैं। बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी भाजपा और पोता अनिरुद्ध चौधरी कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। 2019 में भाजपा टिकट पर तोशाम से चुनाव लड़ चुके पूर्व विधायक शशि रंजन परमार इस बार भी टिकट के प्रबल दावेदार थे। उनका टिकट काटकर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आईं श्रुति चौधरी को मिल गई। ऐसे में परमार बागी हो गए और निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में आ डटे। शशि परमार इस सीट पर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटे हैं। ऐसे में तोशाम के चुनाव में शशि परमार बड़ा फैक्टर बनकर उभरे हैं।
बवानीखेड़ा में भाजपा-कांग्रेस में भिड़ंत
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बवानीखेड़ा सीट पर भाजपा और कांग्रेस में आमने-सामने की टक्कर होगी। पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामकिशन फौजी ने कांग्रेस के सारे समीकरण बिगाड़ दिए थे, लेकिन रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा उन्हें मनाने में कामयाब रहे। फौजी के मैदान से हटते ही मुकाबला सीधा हो गया। कांग्रेस ने प्रदीप नरवाल को टिकट दिया है। हालांकि, प्रदीप नरवाल पर ‘पैराशट’ और ‘बाहरी’ प्रत्याशी होने का ‘टैग’ भी लगा है। प्रदीप नरवाल टिकट दिल्ली में अपने संपर्कों की वजह से लेने में कामयाब रहे। भाजपा ने मौजूदा विधायक और नायब सरकार में राज्य मंत्री बिशम्बर सिंह वाल्मीकि का टिकट काटकर कपूर वाल्मीकि को टिकट दिया। कपूर सिंह वाल्मीकि जननायक जनता पार्टी से भाजपा में आए थे और पार्टी ने उन पर विश्वास जताया। बिशम्बर वाल्मीकि टिकट कटने पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं, लेकिन भाजपा नेतृत्व उन्हें मनाने में कामयाब रहा।
लोहारू में बड़ी जंग
लोहारू विधानसभा क्षेत्र में इस बार सबसे बड़ी चुनावी जंग लड़ी जा रही है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार में वित्त मंत्री जयप्रकाश दलाल पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में डटे हुए हैं। वहीं, दूसरी आेर, कांग्रेस ने नये चेहरे पर दांव खेेलते हुए राजबीर सिंह फरटिया को मैदान में उतारा हैै। कांग्रेस ने पूर्व विधायक सोमबीर सिंह श्योराण को यहां से चुनाव नहीं लड़वाकर बाढ़डा से पार्टी के टिकट पर मैदान में उतारा गया है। राजबीर फरटिया की गिनती पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नजदीकियों में होती है। लोहारू से उतरे दोनों ही पार्टियों के नेता हर लिहाज से हेवीवेट हैं। जेपी दलाल को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबियों में गिना जाता है। लोहारू में दोनों ही पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर बनती दिख रही है।
दादरी में पूरी तरह उलझा चुनाव
चरखी दादरी की सीट पर भी इस बार हर किसी की नजर लगी है। पूर्व सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए हैं। जेल विभाग में जेल सुपरिंटेंडेंट रहे सुनील सांगवान ने वीआरएस लेकर भाजपा ज्वाइन की। वहीं, कांग्रेस ने डॉ़ मनीषा सांगवान पर भरोसा जताया है। मनीषा सांगवान पीएचडी हैं। उनके पति आईआरएस अधिकारी हैं। रोहतक सांसद दीपेंद्र हुड्डा की सिफारिश पर मनीषा को टिकट मिला है। यहां से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, लेकिन उन्हें टिकट देने की बजाय कांग्रेस ने मनीषा पर भरोसा जताया। इस सीट पर फिलहाल आमने-सामने की टक्कर है, लेकिन दूसरी पार्टियों के भी जाट चेहरे मैदान में होने की वजह से कांग्रेस को वोट बैंक कटने का खतरा है। जजपा से पूर्व विधायक राजदीप सिंह फोगाट, आम आदमी पार्टी ने धनराज सिंह कुंडू व इनेलो-बसपा गठबंधन से आनंद श्योराण चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, कांग्रेस से बागी होकर अजीत फोगाट निर्दलीय मैदान में हैं। सोमबीर सांगवान, मनीषा के नामांकन जमा करवाने के दौरान तो शामिल हुए, लेकिन उसके बाद से दिखे नहीं हैं। भाजपा से बागी हुए संजय छपारिया भी आजाद प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं।