स्मार्ट पार्किंग का रिव्यू चाहती है कांग्रेस
नगर संवाददाता
चंडीगढ़/पंचकूला, 26 अगस्त
चंडीगढ़ में स्मार्ट पार्किंग व्यवस्था लागू होने के बावजूद लोग सुविधाओं से वंचित हैं। स्मार्ट पार्किंग के नाम पर वसूली जा रही मनमानी पार्किंग फीस से लोग परेशान हो चुके हैं। चंडीगढ़ प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष दीपा दुबे ने निगम आयुक्त आनंदिता मित्रा को शहर की स्मार्ट पार्किंग की दशा और उसमें सुधार को लेकर पत्र लिखा है। उन्होंने कमिश्नर से पेड पार्किंग को रिव्यू करने की मांग की। साथ ही उन्होंने कहा कि स्मार्ट फीचर तो दूर की बात पार्किंग में बिना वर्दी, मास्क के पार्किंग कारिंदे देखे जा सकते हैं। यह पर्ची काटने वाले और वाहन चालक दोनों की सेहत के लिए भी घातक है।
पत्र के माध्यम से दीपा दुबे ने विस्तार जानकारी देते हुए स्मार्ट पार्किंग को कथित स्मार्ट पार्किंग करार दिया है। इस बीच महिला कांग्रेस ने नई निगम आयुक्त को मामले से अवगत कराने का प्रयास कर इसकी समस्या के हल की मांग की है। प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष दीपा दुबा ने बताया कि वे शहर में संचालित कथित स्मार्ट पेड पार्किंग की ओर ध्यान दिलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कमिश्नर पेड पार्किंग को रिव्यू करें। दुबे ने कहा कि शहर में स्मार्ट पार्किंग का कांसेप्ट वर्ष 2016-17 से शुरू हुआ था। वर्ष 2017 जून में स्मार्ट पार्किंग के तमाम प्रोजेक्ट के बीच स्मार्ट पार्किंग प्रोजेक्ट की आधिकारिक लॉचिंग की गई थी। स्मार्ट पार्किंग को लेकर शहरवासियों के समक्ष बड़े-बड़े दावे किए गए। मोबाइल से स्मार्ट पार्किंग एप की भी शुरूआत की गई।
आउटसोर्स पर रख सकते थे कंपनी के कर्मचारी
दीपा दुबे ने बताया कि पुरानी फाइल और सदन बैठक के मिनट्स भी खंगालेंगे तो सामने आएगा कि जब 2019 फरवरी में पहली कंपनी का ठेका कैंसिल किया गया। तब कंपनी के साथ पार्किंग लॉट्स में तैनात करीब 100 से 200 कर्मी भी बेघर हो गए जिन को निगम आउटसोर्स के माध्यम से अपने अधीन रख सकता था। इससे समस्या हुई कि पार्किंग लॉट्स में नया कॉन्ट्रैक्ट होने से पहले निगम के कर्मियों पर तैनाती की अतरिक्त जिम्मेदारी आ पड़ी।
कंपनी का दो बार कैंसिल किया कांट्रेक्ट
लोक सभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी 2019 में स्मार्ट पार्किंग कंपनी का दो बार कांट्रेक्ट कैंसिल किया गया। पहली बार कंपनी ने हाईकोर्ट से स्टे ले कर पार्किंग का कब्जा वापस ले लिया था। इन दो वर्षों में शहरवासियों से स्मार्ट पार्किंग के नाम पर बढ़े हुए रेट और घंटों के हिसाब से पैसा चार्ज किया गया। वक़्त के साथ स्मार्ट पार्किंग एप भी फेल हुआ। वर्ष 2019 में जोन में शहर भर की पार्किंग नई कंपनियों को विभाजित कर दी गयी। अब भी हालात पहले जैसे ही हैं। निगम ने 2017 में आंखें मूंद कर पहले वाली कंपनी को स्मार्ट पार्किंग होने की हरी झंडी दे दी थी। इसके बाद पहले दिसंबर 2017 और अप्रैल 2018 में रेट तक बढ़ गए। पार्किंग में स्मार्ट फीचर जैसे कोई सुविधा तक नहीं थी। पार्षदों की एक कमेटी ने भी 2018 में निगम सदन बैठक में रिपोर्ट सौंप कर निगम अधिकारियों के दावों की हकीकत बयां की थी।