मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

Congress Vijay Diwas: मानवता के लिए महत्वपूर्ण अवसर थी इंदिरा के नेतृत्व में 1971 की विजय, पढ़िए पूरी खबर

12:33 PM Dec 16, 2024 IST

नई दिल्ली, 16 दिसंबर (भाषा)

Advertisement

Congress Vijay Diwas: कांग्रेस ने पाकिस्तान पर भारतीय सेना की जीत की वर्षगांठ के मौके पर सोमवार को शहीदों को नमन किया और कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कुशल, दूरदर्शी और निर्णायक नेतृत्व में यह मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था। विजय दिवस प्रत्येक वर्ष 16 दिसंबर को मनाया जाता है। यह 1971 में भारत-पाकिस्‍तान के बीच हुए युद्ध में भारतीय सेना के अदम्‍य साहस व शहीद जवानों के बलिदान को याद करने का दिन है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, "आज ही के दिन 1971 में दुनिया का भूगोल बदल गया था, जब हमारी वीर भारतीय सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को पराजित किया और बांग्लादेश को आज़ाद कराया। श्रीमती इंदिरा गांधी जी के कुशल, दूरदर्शी और निर्णायक नेतृत्व में यह मानवता के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था।''

Advertisement

उन्होंने कहा, "हम अपनी सशस्त्र सेनाओं और मुक्ति बाहिनी के अदम्य साहस, शौर्य और पराक्रम को कोटि-कोटि नमन करते हैं। भारत माता के वीर सपूतों के बलिदान और समर्पण को कृतज्ञ राष्ट्र कभी भुला नहीं पाएगा।'' लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, "विजय दिवस के गौरवशाली अवसर पर हमारे सशस्त्र बलों के शौर्य, समर्पण और संकल्प को नमन करता हूं। भारत की संप्रभुता की रक्षा करते हुए बांग्लादेश को अन्याय से मुक्त करवाने वाले, 1971 के युद्ध के सभी वीरों के अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान को देश सदा याद रखेगा।''

भारत और बांग्लादेश में विजय दिवस समारोहों में भाग लेने के लिए 1971 के ‘मुक्ति संग्राम' का हिस्सा रह चुके आठ भारतीय सैनिक ढाका पहुंचे हैं, जबकि वहां की सेना के आठ अधिकारी कोलकाता पहुंचे हैं। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। विजय दिवस पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सेना के समक्ष आत्मसमर्पण किए जाने की याद में मनाया जाता है। भारत की ऐतिहासिक जीत के कारण बांग्लादेश को आजादी मिली।

बांग्लादेश के अधिकारियों और ढाका में भारतीय उच्चायोग ने बताया कि दोनों पक्षों के दो-दो सेवारत अधिकारी प्रतिनिधिमंडल में शामिल हैं जो ढाका तथा कोलकाता में होने वाले समारोहों में भाग लेंगे। वे रविवार को अपने गंतव्य शहरों में पहुंच गए। बांग्लादेश के प्रतिनिधिमंडल में ‘मुक्ति योद्धा' शामिल थे, जो पूर्वी पाकिस्तान में उस गुरिल्ला समूह का हिस्सा थे जिन्होंने वहां पाकिस्तानी शासन का विरोध किया था।

विजय दिवस समारोह और दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों की ये यात्राएं भारत-बांग्लादेश के बीच जारी तनाव के बीच हो रही हैं। बांग्लादेश में पांच अगस्त को छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के सत्ता से हटने के बाद से अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के खिलाफ कथित हिंसा को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति है। हसीना देश से पलायन कर चुकी हैं और उन्होंने भारत में शरण ली है।

मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार ने किसी भी बड़ी सांप्रदायिक हिंसा से साफ इनकार किया है। बांग्लादेश की आबादी में हिंदू आठ फीसदी है। यहां एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा, "पूर्व सैनिकों की ये यात्राएं 1971 में बनी मित्रता की याद दिलाता है।'' उन्होंने कहा कि अपने समकक्ष जशीम उद्दीन के साथ विदेश कार्यालय परामर्श के लिए भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री द्वारा नौ दिसंबर को की गयी एक दिवसीय ढाका यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों में तनाव कुछ हद तक कम हुआ। मिस्री ने यूनुस और उनके विदेश मंत्री तौहीद हुसैन से भी मुलाकात की थी।

विश्लेषक ने कहा, "अब पूर्व सैनिकों के दौरों से दोनों देशों की एक-दूसरे के प्रति सद्भावना नजर आने की उम्मीद है।'' भारत और बांग्लादेश दोनों ही देश 16 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान पर विजय का जश्न मनाते हैं और हर साल एक-दूसरे के युद्ध के नायकों एवं सेवारत अधिकारियों को दोनों देशों में होने वाले समारोहों में भाग लेने के लिए आमंत्रित करते हैं। बांग्लादेश अपना स्वतंत्रता दिवस 26 मार्च को मनाता है। हालांकि, नौ महीने के ‘मुक्ति संग्राम' के बाद भारत की महत्वपूर्ण सहायता से ढाका 16 दिसंबर को एक स्वतंत्र देश की स्वतंत्र राजधानी के रूप में उभरा।

भारतीय उच्चायोग ने एक बयान में कहा, "ये वार्षिक द्विपक्षीय यात्राएं मुक्ति योद्धाओं और मुक्ति संग्राम के नायकों को दोनों देशों की अद्वितीय मित्रता का जश्न मनाने के लिए एक मंच प्रदान करती हैं।'' बयान में कहा गया है कि यह अवसर मुक्ति संग्राम की यादों को ताजा करता है, ‘‘जो कब्जे, उत्पीड़न और सामूहिक अत्याचारों से बांग्लादेश की आजादी के लिए भारत और बांग्लादेश के सशस्त्र बलों के साझा बलिदान का प्रतीक है।''

Advertisement
Tags :
1971 Congress Vijay DiwasCongress Victory DayCongress Vijay DiwasDainik Tribune newslatest newsकांग्रेस