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Congress MP Shashi Tharoor ने काव्यात्मक अंदाज में केंद्र पर साधा निशाना- सरकार 'कर' को ही कहती है देश का भविष्य

07:12 PM Mar 24, 2025 IST
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नई दिल्ली, 24 मार्च (भाषा)

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कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आज देश में हर चीज पर कर लगाया जा रहा है, लेकिन सरकार मुस्कुरा कर कह देती है कि यह सब देश के लिए किया जा रहा है।

लोकसभा में वित्त विधेयक, 2025 पर चर्चा की शुरुआत करते हुए थरूर ने काव्यात्मक अंदाज में कहा कि यह सरकार पेट्रोल, शर्ट, जूतों, मोबाइल, फोन कॉल, वेतन, यात्रा, मिठाई और सुख-दुख पर भी कर लगाती है, कर को ही देश का भविष्य कहती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सदन में उपस्थिति के बीच उन्होंने कहा कि जब हम आपसे इस बारे में सवाल पूछते हैं तो आप मुस्कुरा कर कह देते हैं कि देश के लिए है। जब हम आपसे इसमें सुधार की बात कहते हैं तो आप कहते हैं कि हम विकसित होंगे।

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यह वित्त विधेयक केवल पैबंद लगाने का उदाहरण है, लेकिन देश को स्पष्ट मार्ग चाहिए। सरकार इन प्रयासों से कभी सकल घरेलू उत्पाद दर दहाई अंक में नहीं पहुंच सकती। थरूर ने चालू राजकोषीय घाट बढ़ने का उल्लेख करते हुए कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल लगता है। देश की अर्थव्यवस्था में मध्यम वर्ग ने बहुत योगदान दिया है, लेकिन इस सरकार को यह मानने में इतने साल लग गए। वह आयकर में आगामी वित्त वर्ष के बजट में 12 लाख रुपये की आय को कर मुक्त किए जाने की ओर इशारा कर रहे थे। अब सरकार जागी और उसने वेतनभोगी वर्ग को राहत दी।

देश में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के अलग-अलग स्तरों का हवाला देते हुए कहा कि यह बहुत जटिल और संदेहपूर्ण कर प्रणाली है। उन्होंने दावा किया कि इस साल दो लाख करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी हुई है। थरूर ने केरल में खाद्य क्षेत्र के छोटे उद्योगों के अनेक आवेदन महीनों से लंबित होने और वायनाड में आई आपदा के बाद केंद्र की ओर से अपेक्षित सहायता नहीं किए जाने का भी आरोप लगाया। सरकार विनिवेश आदि से पैसे जुटाना चाहती है लेकिन विफल रही है। उन्होंने देश में आय असमानता का जिक्र करते हुए कहा कि देश में शीर्षस्थ एक प्रतिशत लोगों की आय 23 प्रतिशत है, वहीं नीचे के 50 प्रतिशत लोगों की प्रगति सबसे कम हुई है।

देश में गरीबी रेखा का सही मूल्यांकन होना चाहिए जिससे गरीबी उन्मूलन की सही स्थिति का पता चले। उन्होंने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और तेलंगाना राज्यों के संदर्भ में कहा कि दक्षिण भारत के पांच राज्य जीएसटी में 28 प्रतिशत योगदान देते हैं, लेकिन केंद्र सरकार उनकी हिस्सेदारी नहीं चुकाती। केरल को इस सरकार में क्रमबद्ध तरीके से नजरंदाज किया गया है। इस सरकार और वित्त मंत्री को देश में भविष्य में लाभ वाली नीतियों पर विचार करने की जरूरत है।

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