गुरुग्राम के चुनाव को नेता बनाम अभिनेता बनाने की जुगत में कांग्रेस
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
गुरुग्राम, 8 अप्रैल
मिलिनेयिम सिटी यानी गुरुग्राम के लोगों की बेशक, चुनावों में अभी तक किसी तरह की रुचि नहीं है लेकिन ग्रामीण इलाकों और गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दूसरे हलकों में जरूर चुनावी चर्चाएं शुरू हो गई हैं। शहर में शोरगुल नहीं हैं। गांवों की चौपालों पर हुक्के की गुड़गुड़ाहट के बीच समीकरण साधे जा रहे हैं। बरसों तक कांग्रेस में सक्रिय रहे केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह 2014 से भगवा रंग में रंगे हुए हैं। वे गुरुग्राम से लगातार चौथी बार जीत हासिल करने के लिए मैदान में उतरे हैं। वहीं भाजपा टिकट पर हैट्रिक के लिए वे चुनाव लड़ रहे हैं।
प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से अभी तक प्रत्याशी का ऐलान नहीं किया गया है। कांग्रेस लोकसभा चुनावों को काफी गंभीरता से लड़ रही है। पूर्व सीएम और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा सभी सीटों की रणनीति बनाने में जुटे हैं। वे क्षेत्रीय व जातिगत समीकरणों को साधने की जुगत में हैं। गुरुग्राम सीट पर चुनावी मुकाबला नेता बनाम अभिनेता बनाने की कोशिश भी हो रही है। यहां से फिल्म अभिनेता और तीन बाद लोकसभा व दो बार राज्यसभा सदस्य रहे राज बब्बर का नाम सुर्खियों में है।
शुरूआती दौर में जब राज बब्बर का नाम आया तो इसके गंभीरता से नहीं लिया गया। पिछले कुछ दिनों से नई दिल्ली में पार्टी की मीटिंग में भी राज बब्बर का नाम गुरुग्राम से गंभीरता से लिया जाने लगा है। हुड्डा और राज बब्बर के बीच पुरानी दोस्ती है। राज बब्बर अगर गुरुग्राम संसदीय सीट से चुनावी रण में आते हैं तो यहां मुकाबला रोचक होना तय है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि राज बब्बर जहां सेलिब्रिटी हैं वहीं गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र के लोगों के लिए वे नया चेहरा भी होंगे। भले ही, अभी तय कुछ भी नहीं है, लेकिन यहां के गांवों में चर्चाओं का दौर शुरू हो चुका है। मतदाताओं ने भी गुणा-भाग करना शुरू कर दिया है। 2019 के लोकसभा चुनावों के मुकाबले इस बार राजनीतिक हालात भी बदले हुए हैं। पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार कांग्रेस इस संसदीय सीट पर मजबूत भी है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2019 में गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले नौ विधानसभा हलकों में से छह पर भाजपा का कब्जा था। दो पर इनेलो और एक सीट से निर्दलीय विधायक था।
वहीं अब भाजपा के विधायक चार हलकों में हैं। इतने ही हलकों पर कांग्रेस का कब्जा है। बादशाहपुर में निर्दलीय विधायक हैं। 2019 के चुनावों के दौरान गुरुग्राम से उमेश अग्रवाल, बादशाहपुर से राव नरबीर सिंह, सोहना से तेजपाल तंवर, पटौदी से बिमला चौधरी, रेवाड़ी से रणधीर कापड़ीवास व बावल से डॉ़ बनवारी लाल भाजपा विधायक थे।
वहीं पुन्हाना से निर्दलीय रहीस खान तथा फिरोजपुर-झिरका से नसीम अहमद इनेलो व नूंह से जाकिर हुसैन इनेलो विधायक थे।
अब रेवाड़ी से कांग्रेस के चिरंजीव राव, नूंह से आफताब अहमद, फिरोजपुर-झिरका से मामन खान इंजीनियर व पुन्हाना से मोहम्मद इलियास विधायक हैं।
बादशाहपुर से निर्दलीय राकेश दौलताबाद विधायक हैं। भाजपा के बावल से डॉ़ बनवारी लाल, पटौदी से सत्यप्रकाश जरावता, गुरुग्राम से सुधीर सिंगला और सोहना से संजय सिंह विधायक हैं। बेशक, दक्षिण हरियाणा में राव इंद्रजीत सिंह का प्रभाव माना जाता है, लेकिन सेलिब्रिटी के मैदान में आने से यह सीट भी हॉट बन सकती है।
2014 में जब्त हुई थी जमानत
लगातार दस वर्षों तक सत्ता में रहने के बाद 2014 के लोकसभा चुनावों में गुरुग्राम से कांग्रेस की जमानत जब्त हुई थी।
भाजपा के राव इंद्रजीत सिंह ने 6 लाख 44 हजार 780 वोट लेकर कांग्रेस के धर्मपाल यादव की जमानत जब्त करवा दी। धर्मपाल यादव को महज 1 लाख 33 हजार 713 वोट मिले थे।
वहीं इनेलो के जाकिर हुसैन ने 3 लाख 70 हजार 58 वोट हासिल किए थे। वहीं 2019 के चुनावों में इंद्रजीत सिंह ने 8 लाख 81 हजार 546 वोट लेकर कांग्रेस के कैप्टन अजय सिंह यादव को 3 लाख 86 हजार 256 मतों के अंतर से शिकस्त दी। कैप्टन यादव ने 4 लाख 95 हजार 290 वोट हासिल किए थे।
सन सांसद
1952 ठाकुर दास भार्गव
1957 अबुल कलाम आजाद
1958 प्रकाशवीर शास्त्री (उपचुनाव)
1962 गजराज सिंह यादव
1967 अबुल घनी डर
1971 तैय्यब हुसैन
(नोट : इसके बाद यह सीट खत्म हो गई और महेंद्रगढ़ का हिस्सा रही)
1977 मनोहर लाल सैनी
1980 राव बीरेंद्र सिंह
1984 राव बीरेंद्र सिंह
1989 राव बीरेंद्र सिंह
1991 कर्नल राम सिंह
1996 कर्नल राम सिंह
1998 राव इंद्रजीत सिंह
1999 डॉ़ सुधा यादव
2004 राव इंद्रजीत सिंह
(नोट : 2009 में गुरुग्राम पार्लियामेंट फिर से अस्तित्व में आई)
2009 राव इंद्रजीत सिंह
2014 राव इंद्रजीत सिंह
2019 राव इंद्रजीत सिंह
पांचवीं बार संसद जाने की कोशिश
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह लगातार पांचवीं बार लोकसभा जाने का रिकार्ड बनाने की कोशिश में हैं। 2004 में वे महेंद्रगढ़ से सांसद थे। परिसीमन के बाद 2009 में उन्होंने गुरुग्राम से कांग्रेस टिकट पर ही चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए। भाजपा की टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2019 में वे फिर भाजपा टिकट पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे। दोनों ही बार से वे केंद्र में मंत्री बने हुए हैं। अब भाजपा ने तीसरी बार उन पर भरोसा जताया है। इस लिहाज से वे लगातार पांचवीं बार संसद पहुंचने की कोशिश में हैं। हालांकि इससे पहले भी वे 1998 में महेंद्रगढ़ से कांग्रेस सांसद रह चुके हैं।
कैप्टन का भी मजबूत दावा
हरियाणा के पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव का नाम भी गुरुग्राम संसदीय सीट पर मजबूती के साथ बना हुआ है। 2019 में भी कैप्टन यादव ने गुरुग्राम से लोकसभा चुनाव लड़ा था। वे कई बार रेवाड़ी से विधायक रहे हैं। वर्तमान में उनके बेटे चिरंजीव राव रेवाड़ी से एमएलए हैं। कांग्रेस हाईकमान में भी कैप्टन का प्रभाव है। इतना ही नहीं, वे बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के समधि भी हैं। ऐसे में गुरुग्राम से अजय यादव के दावे को भी कमजोर मानकर नहीं चला जा सकता।