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सिटिंग-गैटिंग फार्मूले को लेकर कांग्रेस फंसी बड़ी उलझन में

08:44 AM Sep 02, 2024 IST

दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 1 सितंबर
हरियाणा में टिकट आवंटन को लेकर कांग्रेस की एक्सरसाइज लगातार जारी है। लगातार पांचवें दिन भी नई दिल्ली में अजय माकन की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक हुई। रविवार को हुई बैठक में स्क्रीनिंग कमेटी के सदस्यों के अलावा हरियाणा प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया, पूर्व सीएम व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा व प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान मौजूद रहे। सूत्रों का कहना है कि सिटिंग-गैटिंग के फार्मूले को लेकर कांग्रेस बड़ी दुविधा में फंसी है।
स्क्रीनिंग कमेटी अभी तक यह तय नहीं कर पाई है कि पूर्व की तरह इस बार भी ‘सिटिंग-गैटिंग’ का फार्मूला लागू करना है या नहीं। सिटिंग-गैटिंग का फार्मूला अगर लागू होता है तो कांग्रेस के सभी मौजूदा विधायकों को टिकट मिलने की राह आसान हो जाएगी। सूत्रों का कहना है कि पार्टी द्वारा विभिन्न लेवल पर करवाए गए सर्वे की रिपोर्ट में 8 से 10 विधायकों के यहां ग्राउंड पर पॉजिटिव रिपोर्ट नहीं आई है। ऐसे में पार्टी में अंदरखाने कुछ विधायकों की टिकट काटने को लेकर भी गंभीरता से मंथन चल रहा है।
हालांकि कांग्रेस की पुरानी प्रेक्टिस को देखें तो सिटिंग विधायकों की टिकट कम ही कटती हैं। बेशक, इस बार राजनीतिक हालात काफी अलग हैं। पार्टी के हरियाणा प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया व प्रदेशाध्यक्ष चौ़ उदयभान पूर्व में कई बार कह चुके हैं कि मजबूत और जिताऊ चेहरों को ही पार्टी टिकट देगी। ऐसे में कुछ विधायकों के टिकट कट भी सकते हैं। दोनों ही खेमों के नेता अपने-अपने समर्थित विधायकों की टिकट के लिए भागदौड़ भी कर रहे हैं।
पार्टी के मौजूदा 28 विधायकों में से चार को छोड़कर सभी पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी हैं। असंध विधायक शमशेर सिंह गोगी, कालका विधायक प्रदीप चौधरी, नारायणगढ़ विधायक शैली गुर्जर व सढ़ौरा विधायक रेणु बाला की गिनती पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा के नजदीकियों में होती है। दिल्ली से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी द्वारा करवाए गए सर्वे के अलावा निजी एजेंसी के सर्वे में भी कुछ विधायकों के खिलाफ एंटी-इन्कमबेंसी की रिपोर्ट सामने आई है।
इसी वजह से स्क्रीनिंग कमेटी जहां सभी नब्बे हलकों के पैनल बनाने पर गंभीरता से जुटी है, वहीं मौजूदा विधायकों के रिपोर्ट कार्ड पर भी मंथन हो रहा है। पार्टी के कुछ नेताओं का यह भी मानना है, अगर एंटी-इन्कम्बेंसी वाले विधायकों को टिकट दिया गया तो पार्टी को इसका नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। बहरहाल, रविवार को हुई बैठक में सभी नब्बे हलकों के संभावित चेहरों को लेकर फिर से चर्चा हुई। सूत्रों का कहना है कि अगले एक-दो दिनों में स्क्रीनिंग कमेटी प्रदेश कांग्रेस के बाकी नेताओं के साथ भी बैठक कर सकती है।
स्क्रीनिंग कमेटी पूर्व में भी कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला, दीपेंद्र हुड्डा, कैप्टन अजय सिंह यादव, महेंद्र प्रताप सिंह, सतपाल ब्रह्मचारी, जयप्रकाश ‘जेपी’, वरुण चौधरी व राव दान सिंह सहित कई नेताओं के साथ वन-टू-वन मीटिंग करके विचार-विमर्श कर चुकी है। बताते हैं कि कुमारी सैलजा व रणदीप सिंह सुरजेवाला भी अपने समर्थकों की टिकट के लिए पार्टी नेतृत्व के सामने अपना पक्ष रख चुके हैं। केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में भी इस मुद्दे पर बातचीत हो सकती है।

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आजकल में सीईसी की बैठक संभव

कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक सोमवार या मंगलवार को हो सकती है। स्क्रीनिंग कमेटी की कोशिश है कि सभी नब्बे हलकों पर सिंगल नाम के ही पैनल बनाकर केंद्रीय चुनाव समिति के पास भेजे जाएं। लोकसभा चुनाव के दौरान भगत चरण दास की अध्यक्षता वाली स्क्रीनिंग कमेटी ने कुछ पार्लियामेंट सीट पर दो-दो नाम के पैनल भेजे थे। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व राहुल गांधी ने कमेटी को सिंगल नाम ही भेजने को कहा था। इस बार भी सिंगल नाम पर ही जोर रहेगा।

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