जींद में 15 साल से कांग्रेस खराब प्रदर्शन का सिलसिला रोकने में नाकाम
जींद, 9 अक्तूबर (हप्र)
कांग्रेस पार्टी जींद जिले में पिछले 15 साल से अपने बेहद दयनीय प्रदर्शन से नहीं उबर पाई है। पार्टी को हाल में हुए विधानसभा चुनाव में जींद जिले से बहुत उम्मीदें थी। पार्टी जींद में 2005 जैसा ऐतिहासिक प्रदर्शन करने को देखकर काफी आश्वस्त थी, लेकिन पार्टी को इस बार भी भारी निराशा हाथ लगी। जींद जिले में कांग्रेस के तीन बड़े दिग्गज नेताओं के लिए सवाल महज 5 सीटों का था, लेकिन तीनों दिग्गज केवल एक सीट मुश्किल से निकाल पाए। कांग्रेस के लिए जींद जिले में इस स्थिति से उबरना अब कतई आसान नहीं होगा।
प्रदेश की राजनीति को दिशा देने वाले जींद जिले में कांग्रेस 2009 से बेहद बुरी स्थिति में है। 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जींद जिले की सभी पांचों सीटों पर करारी हार का सामना करना पड़ा था, और जींद की सभी सीटें इनेलो की झोली में गई थी। 2014 के विधानसभा चुनाव में भी जींद जिले में कांग्रेस के हाथ पूरी तरह खाली रहे थे। कांग्रेस को लगातार दूसरी बार जींद जिले की पांचों सीटों पर करारी हार का सामना करना पड़ा था। जींद में कांग्रेस के लिए थोड़ी सी रिवाइवल की उम्मीद 2019 के विधानसभा चुनाव से बनी थी, जब कांग्रेस ने सफीदों विधानसभा सीट पर जींद में 10 साल बाद अपना खाता खोला था।
कांग्रेस को हाल में हुए विधानसभा चुनावों में जींद में बेहद शानदार प्रदर्शन की उम्मीद थी। यह उम्मीद लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जींद जिले की 5 में से 3 विधानसभा सीटों पर मिली बढ़त और सफीदों तथा जिला जींद में भाजपा की बहुत मामूली बढ़त से बनी थी। कांग्रेस को लगता था कि वह जींद जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर परचम लहरा देगी, लेकिन उसकी उम्मीदों को बहुत बड़ा झटका लगा है।
कांग्रेस जींद जिले की 5 में से केवल एक जुलाना विधानसभा सीट मामूली अंतर से जीत पाई है। 2019 में कांग्रेस ने जिस सफीदों सीट को बेहद बुरे हालात में भी जीत लिया था, उस सीट को भी कांग्रेस से भाजपा ने जींद जिले से बाहर के रामकुमार गौतम के जरिए छीन लिया है। यह कांग्रेस को जींद जिले में बहुत बड़ा झटका है। 2009 से 2024 तक के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जींद में अपने बेहद दयनीय प्रदर्शन के सिलसिले को रोक पाने में पूरी तरह से नाकाम रही है। जींद जिले में कांग्रेस का पिछला सबसे शानदार प्रदर्शन 2005 में रहा था, जब कांग्रेस ने जींद जिले की चार विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। इस प्रदर्शन को दोहराना अब कांग्रेस के लिए जींद में पत्थर पर हल चलाने जितना कठिन हो गया है।
हुड्डा, सुरजेवाला, बीरेंद्र जैसे दिग्गज, मगर सीट मिली एक
जींद जिले में कांग्रेस के तीन बड़े दिग्गज नेता हैं। इनमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा शामिल हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला जींद जिले के हैं, जबकि पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की ननिहाल जींद जिले में है। हुड्डा जींद के साथ अपना खून का रिश्ता होने का वास्ता हर विधानसभा चुनाव और दूसरे मौकाें पर देते हैं। इन तीनों दिग्गज कांग्रेसी नेताओं के सामने इस बार जींद जिले की महज 5 सीटों पर कांग्रेस का परचम लहराने का सवाल था, जिसमें वह नाकाम रहे। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सुरजेवाला के नजदीकी सतबीर दबलैन को नरवाना से कांग्रेस टिकट मिली थी। सुरजेवाला और कुमारी शैलजा ने सतबीर दबलैन के लिए नरवाना में खूब प्रचार भी किया, लेकिन वह भाजपा के बाहरी प्रत्याशी कृष्ण बेदी से 10000 से भी ज्यादा मतों के अंतर से हार गए। खुद पूर्व केंद्र मंत्री बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह भाजपा के नए- नवेले देवेंद्र अत्री से महज 32 मतों के अंतर से पराजित हो गए। उचाना कलां विधानसभा क्षेत्र में ही पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा की ननिहाल है। बीरेंद्र सिंह तथा हुड्डा उचाना की सीट भी कांग्रेस की झोली में नहीं डाल पाए।