कांग्रेस ने दिया स्पीकर को हटाने का नोटिस, रद्द
ज्ञान ठाकुर/निस
शिमला, 13 अगस्त
हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विपक्षी दल कांग्रेस सत्र के आखिरी दिन भी विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार के खिलाफ हमलावर रहा और पार्टी ने विधानसभा सचिव को अध्यक्ष को हटाने का नोटिस दिया। यह नोटिस दिए जाने के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष में तकरार और बढ़ गई। जहां एक ओर विपक्षी दल कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को हटाने का नोटिस थमाने के बाद सदन के बाहर धरना दिया, वहीं दूसरी ओर सत्तादल भाजपा ने सदन के भीतर नियमों का हवाला देकर तकनीकी आधार पर कांग्रेस का विधानसभा अध्यक्ष को हटाने का नोटिस रद्द कर दिया।
विपक्षी दल कांग्रेस ने आज सुबह 11 बजे विधानसभा की कार्यवाही आरंभ होते ही विधानसभा अध्यक्ष को हटाने का सदन के भीतर विधानसभा सचिव को भारतीय संविधान की धारा 179 (सी) और हिमाचल प्रदेश विधानसभा प्रक्रिया व संचालन नियम 274 (1) के तहत नोटिस दिया। विधानसभा अध्यक्ष ने जैसे ही सदन के भीतर पहुंचकर प्रश्नकाल आरंभ करने की घोषणा की, वैसे ही पूरा विपक्ष अपनी सीटों से उठकर विधानसभा सचिव के पास पहुंचा और उन्हें नोटिस देकर बिना किसी शोरगुल व नारेबाजी के सदन से बाहर चला गया।
विधानसभा सचिव को दिए गए नोटिस में विपक्षी दल कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष पर विपक्ष के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने और विपक्ष को संरक्षण न देने का आरोप लगाते हुए उन्हें अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की है। नोटिस में आरोप लगाया गया है कि विपिन सिंह परमार सदन और अपने कार्यालय की गरिमा बनाए रखने में विफल रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष जैसे सम्मानित पद पर बैठा व्यक्ति किसी पार्टी विशेष या विचारधारा का पक्ष नहीं ले सकता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष के इस भेदभावपूर्ण रवैये को कतई सहन नहीं करेगी, क्योंकि इस पद पर बैठे व्यक्ति से निष्पक्ष व्यवहार की उम्मीद की जाती है और विपिन सिंह परमार ऐसा करने में विफल रहे हैं।
वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन के भीतर इस मुद्दे पर कहा कि कांग्रेस का विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ नोटिस का तरीका व्यवस्था के अनुरूप नहीं है। उन्होंने कहा कि तकनीकी आधार पर यह नोटिस स्वीकार करने योग्य नहीं है, क्योंकि इसके लिए सदन के एक तिहाई सदस्यों का समर्थन जरूरी है। उन्होंने सत्र के अंतिम दिन इस तरह का नोटिस देने पर हैरानी जताई और कहा कि यदि कांग्रेस ने ऐसा कुछ करना था तो उसे पहले इस मुद्दे पर सदन में चर्चा करनी चाहिए थी। उधर, इस मुद्दे पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश भारद्वाज ने पहले एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें नोटिस को रद्द करने की बात कही थी, लेकिन बाद में माकपा विधायक राकेश सिंघा द्वारा इस मामले पर सदन में अपनाए गए तरीके पर आपत्ति जताए जाने के बाद सुरेश भारद्वाज ने अपना प्रस्ताव वापस ले लिया और कहा कि सदन के नियमों के मुताबिक यह नोटिस स्वत: ही रद्द हो गया है।
हंगामे से क्षुब्ध सीएम का विपक्ष पर हमला
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का 10 दिवसीय मॉनसून सत्र आज संपन्न हो गया। सत्र की समाप्ति को मौके पर विपक्ष द्वारा किए जा रहे विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार का विरोध आज भी जारी रहने के चलते सत्र सत्तापक्ष और विपक्ष की कड़वाहट के बीच संपन्न हुआ। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सत्र की समाप्ति के मौके पर विपक्षी दल कांग्रेस पर जबरदस्त राजनीतिक हमले बोले। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि खबर की भूख में कांग्रेस का मानसिक रूप से दिवालिया निकल गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष का सत्तापक्ष के खिलाफ नारे लगाना तो समझ आता है, लेकिन आसन के खिलाफ नारे लगाना सरासर गलत है और आसन के अनादर की कतई इजाजत नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से कांग्रेस ने सत्र के आखिरी दिन विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ उन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया, उससे आसन को ठेस पहुंची है और इस तरह का व्यवहार कतई स्वीकार्य नहीं है। जयराम ठाकुर ने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के खिलाफ जबरदस्त हमले बोले और कहा कि विपक्ष एक बिखरा हुआ कुनबा है। उन्होंने कहा कि विपक्ष में हर कोई नेता बनने की कोशिश में है और नेता प्रतिपक्ष को अपनी टीम पर ही विश्वास नहीं है।