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दो संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस और एक में भाजपा का क्लीन स्वीप

07:46 AM Jun 06, 2024 IST
दो संसदीय क्षेत्रों में कांग्रेस और एक में भाजपा का क्लीन स्वीप
New Delhi: A model of Electronic Voting Machine (EVM) outside Election Commission of India (ECI) office, in New Delhi, Monday, April 8, 2024. (PTI Photo/Manvender Vashist Lav) (PTI04_08_2024_000173A)
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दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 5 जून
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के नतीजों का असर चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा। 2019 के चुनावी नतीजों से अगर हालिया चुनावों की तुलना करें तो विधानसभा क्षेत्रवार भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ है। पिछले चुनावों में भाजपा ने 6 लोकसभा सीटों पर एकतरफा प्रदर्शन करते हुए इनके अंतर्गत आने वाले सभी 54 विधानसभा हलकों में जीत हासिल की थी। लोकसभा की दस सीटों में से इस बार भाजपा केवल करनाल में ही ऐसा प्रदर्शन कर पाई है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस ने दो संसदीय क्षेत्रों – सिरसा व रोहतक में एकतरफा जीत दर्ज की है। यानी इन संसदीय सीटों के अंतर्गत आने वाले सभी विधानसभा हलकों में कांग्रेस प्रत्याशियों को लीड हासिल हुई है। हरियाणा में लोकसभा की दस सीटों के अंतर्गत कुल 90 विधानसभा हलके आते हैं। 2019 के चुनावों में भाजपा ने 79 विधानसभा हलकों में लीड हासिल की थी। कांग्रेस को दस और जननायक जनता पार्टी (जजपा) को केवल एक ही हलके में जीत हासिल हुई थी। इस बार के चुनावों में इंडिया गठबंधन ने 46 और भाजपा ने 44 विधानसभा हलकों में लीड हासिल की है। इसमें कांग्रेस ने 42 और आप ने कुरुक्षेत्र में 4 हलकों में बढ़त बनाई थी। चौटाला परिवार की दोनों पार्टियों – इनेलो व जजपा को एक भी हलके में लीड नहीं मिल पाई। लीड तो दूर दोनों ही पार्टियां अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी। इतना ही नहीं, जिन विधानसभा हलकों में कांग्रेस हारी भी है, उनमें से कई ऐसी सीट हैं, जहां हार का अंतर काफी कम रहा है। ग्रामीण इलाकों में भाजपा को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। बेशक, शहरों में भी भाजपा को डेंट लगा है। फिर भी शहरी वोटरों ने भाजपा का काफी हद तक साथ दिया है। पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा ने अम्बाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, सिरसा, भिवानी-महेंद्रगढ़ व फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी विधानसभा हलकों में लीड हासिल की थी। यानी इस संसदीय सीटों के अंतर्गत आने वाली 54 विधानसभा सीटों पर भाजपा ने एकतरफा जीत हासिल की थी। बाकी के चार संसदीय सीटों – रोहतक, गुड़गांव, हिसार व सोनीपत के अंतर्गत आने वाले 36 हलकों में से भाजपा 25 में आगे रही थी। हिसार लोकसभा क्षेत्र में नारनौंद हलके से जजपा के दुष्यंत चौटाला ने लीड हासिल की थी। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने सभी दस सीटों पर जीत हासिल की। 79 विधानसभा हलकों में लीड भी ली, लेकिन करीब पांच महीने बाद हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा 40 सीटों पर सिमट गई।

रोहतक लोकसभा क्षेत्र में उस समय कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा ने पांच महम, गढ़ी-सांपला-किलोई, बादली, बेरी व झज्जर, सोनीपत में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दो हलकों – बरोदा व खरखौदा तथा गुरुग्राम में कैप्टन अजय सिंह यादव ने तीन हलकों – नूंह, पुन्हाना व फिरोजपुर-झिरका में जीत हासिल की थी। इस बार के चुनावों में भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र में भाजपा ने छह और कांग्रेस ने तीन, गुड़गांव में भाजपा ने छह और कांग्रेस ने तीन तथा फरीदाबाद में कांग्रेस ने तीन और भाजपा ने छह विधानसभा हलकों में लीड ली है। इसी तरह से अम्बाला में भाजपा ने 4 और कांग्रेस ने 5, कुरुक्षेत्र में भाजपा ने 5 और इंडिया गठबंधन ने 4, सोनीपत में भाजपा ने पांच और कांग्रेस ने चार तथा हिसार में भाजपा ने तीन और कांग्रेस ने छह विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की है। चुनावी नतीजों के बाद अब भाजपा व कांग्रेस के अलावा दूसरे राजनीति दलों – आप, इनेलो व जजपा ने भी मंथन शुरू कर दिया है। करीब चार महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में सभी दलों को अभी से प्लानिंग करनी होगी।

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