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हिमाचल राज भवन और सरकार में नौतोड़ जमीन को लेकर बढ़ा टकराव

08:21 AM Jan 04, 2025 IST

शिमला, 3 जनवरी(हप्र)
हिमाचल प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को नौतोड़ जमीन देने के मुद्दे को लेकर राजभवन और सरकार के बीच टकराव बढ़ गया है। यह टकराव राजस्व, बागवानी एवं जनजातीय मामलों के मंत्री जगत सिंह नेगी की तरफ से राजभवन पर नौतोड़ जमीन से संबंधित अनुमति नहीं दिए जाने के मुद्दे पर आपत्ति जताए जाने के बाद बढ़ा है। इसके बाद राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने टिप्पणी करते हुए कहा कि राजभवन चुनावी वायदे पूरे करने के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि राजभवन ने सरकार से लाभार्थियों की सूची मांगी थी। इसमें पूछा गया है कि नौतोड़ जमीन योजना के तहत कितने लोगों के आवेदन आए हैं। अगर पात्र लोगों की सूची दिखाने के बजाए अपात्र को दिखाने का काम करेंगे, तो इसके लिए राजभवन जवाबेदह नहीं है। राजभवन निश्चित रूप से पात्र लोगों को राहत देगा।
शिमला में पत्रकारों से बात करते हुए राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश सरकार के मंत्री भले ही राजभवन का अनादर करें, लेकिन हम उनका पूरा मान-सम्मान करते हैं। उनको राजभवन में आने पर पूरा मान-सम्मान दिया जाएगा। जिस राजभवन की तरफ से मंत्री को शपथ दिलाई गई है, वह उसका अनादर थोड़ा करेगा।
राजस्व, बागवानी एवं जनजातीय मामलों के मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा था कि इस संबंध में राज्यपाल से 5 बार मुलाकात की गई है। मंत्रिमंडल व जनजातीय सलाहकार परिषद से इसको मंजूरी देने के अलावा पक्ष और विपक्ष के विधायकों, जनजातीय सलाहकार परिषद के सदस्यों एवं पंचायत राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी इसको लेकर अपना पक्ष रखा है। राज्यपाल से उनके किन्नौर दौरे के दौरान भी प्रतिनिधिमंडलों ने मुलाकात करके इस विषय को उठाया था। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी देने से इनकार नहीं किया, लेकिन अनुमति भी नहीं दी है।

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जमीन देने से रुकेगा सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों का पलायन : नेगी

जगत सिंह नेगी ने एक बार फिर से राज्यपाल से मुलाकात करके मामले को उठाने की बात कही। उन्होंने कहा कि अगर फिर भी इसकी मंजूरी नहीं मिली तो सड़काें पर शांतिपूर्ण व संवैधानिक तरीके से इसका विरोध दर्ज करवाने के विकल्प पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित 20 हजार से ज्यादा आवेदन जनजातीय जिला किन्नौर और लाहौल-स्पीति के अलावा पांगी और भरमौर में लंबित पड़े हैं। उन्होंने कहा कि पात्र लोगों को नौतोड़ जमीन देने से सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों का पलायन भी रुकेगा तथा उनकी आय के साधन भी बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि राज्यपाल संविधान में निहित अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए इसकी अनुमति दे सकते हैं। इसमें जिन लोगों की जमीन 20 बीघा से कम है, उनकी भूमि उपलब्ध करवाई जा सकती है।

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