घटिया बीज से फसल के नुकसान पर मुआवजा
श्रीगोपाल नारसन
टिया बीज के कारण किसान की फ़सल खराब होती है तो उस नुकसान की बाबत किसान बीज विक्रेता के विरुद्ध उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराकर मुआवजा प्राप्त कर सकता है। जागरूकता की कमी के कारण बहुत कम किसान ऐसे हैं जो न्याय के लिए उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाते हैं। उपभोक्ता सरंक्षण अधिनियम 2019 के तहत उपभोक्ता आयोग में केवल उपभोक्ता ही शिकायत कर सकता है,चूंकि किसान ने बीज की कीमत अदा करके उसे फ़सल के लिए खरीदा है,इस कारण किसान भी एक उपभोक्ता है। किसान यदि बीज, फसल बीमा या किसी अन्य सेवा के नाम पर ठगा जाता है तो वह भी उसकी शिकायत जिला स्तर पर उपभोक्ता आयोग में कर सकता है। हर किसान जो बीज, खाद अथवा रसायन से संबंधित कंपनी या विक्रेता से पीड़ित होता है, वह जिला स्तर पर उपभोक्ता आयोग में 50 लाख रुपये मामले तक की शिकायत कर सकता है। लेकिन इसके लिए किसान के पास कोई न कोई ऐसा साक्ष्य जरूर हो,जिससे उसकी शिकायत सिद्ध हो सके। अगर बीज खराब निकल गए हैं, तो किसान उस बीज का लेबोरेटरी में परीक्षण करा ले, जिससे उस कंपनी या विक्रेता के खिलाफ उनके पास पुख्ता सुबूत हों।
जब बीटी कॉटन पर दावा निकला झूठा
किसान अधिवक्ता की मदद से और स्वयं अपने स्तर पर भी उपभोक्ता आयोग में शिकायत कर सकता है। कोई भी किसान या किसानों का समूह उपभोक्ता आयोग के जरिये शिकायत कर सकता है। एक बार बीटी कॉटन कपास के बीज को विकसित करने वाली एक कंपनी ने किसानों से इस बात का दावा किया था कि बीटी कॉटन कपास कीटों के हमलों से बेअसर रहेगी , मगर ऐसा नहीं हुआ, और पिंक बॉलवर्म की वजह से महाराष्ट्र के करीब 40 लाख से अधिक कपास किसानों की फसलें चौपट हो गईं। महाराष्ट्र सरकार ने बीज कंपनियों और बीजों की ब्रिकी करने वालों पर कार्रवाई की, वहीं किसानों को प्रति हेक्टेयर 30,000 रुपए मुआवजा देने का ऐलान किया।
रसीद नहीं तो शपथ पत्र भी मान्य
हरियाणा के फरीदाबाद जिले में भी खराब बीज के कारण गोभी की फसल बर्बाद होने का मामला सामने आया है। यहां कई किसानों ने गोभी की फसल लगाई थी, मगर विकृत बीज के कारण वह खराब हो गई। किसानों का बहुत नुकसान हुआ,जिसके लिए ये किसान उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराकर मुआवजा ले सकते हैं। अगर उसके पास बीज खरीद की रसीद भी नहीं है तो भी किसान एक शपथ पत्र दे सकता है कि उसने उक्त व्यक्ति या कंपनी से बीज खरीदा था, और उचित सिंचाई और उर्वरक के इस्तेमाल के बावजूद फसल बर्बाद हो गई। किसान का यह शपथ पत्र मान्य होगा।
मुआवजा भुगतान में आनाकानी
अन्य मामले में छत्तीसगढ़ के रायपुर के गांव परसदा के किसान नारद लाल साहू ने एग्री गोल्ड फूड्स एंड फार्म प्रोडक्ट कंपनी से वृही नाम का हाइब्रिड धान का बीज खरीदा। कंपनी ने प्रति एकड़ 35 क्विंटल धान पैदा होने का भरोसा दिया। मगर बीज खराब होने के कारण फसल नहीं हुई। नारद लाल ने कंपनी से शिकायत की और कंपनी ने शिकायत को स्वीकार भी किया, मगर मुआवजा नहीं दिया। तब किसान ने जिला उपभोक्ता आयोग में शिकायत की और उपभोक्ता आयोग ने उसे 60 हजार रुपए का मुआवजा दिलाया।
फसल बीमा राशि का मामला
इसी प्रकार मध्य प्रदेश के होसंगाबाद जिले के शोभापुर के किसान आशुतोष उत्तम जैन ने फसल का नुकसान होने पर कम बीमा राशि मिलने पर उपभोक्ता आयोग में मामला दर्ज कराया। यह शिकायत उपभोक्ता संरक्षण समिति की ओर से किसान ने उपभोक्ता आयोग में दाखिल की थी। किसान ने बताया कि बकाया राशि दो साल पहले मिलनी थी, मगर अब तक नहीं मिली है। इसलिए किसान को ब्याज सहित राशि दी जाए। जिस पर उपभोक्ता आयोग ने एसबीआई बैंक पर 20 हजार का हर्जाना लगाया। इसके अलावा बैंक को परिवादी को 7 हजार रुपए मानसिक प्रताड़ना के और वाद व्यय के 3 हजार रुपए भी चुकाने का आदेश दिया। जिससे स्पष्ट है कि उपभोक्ता सेवा में कमी होने पर किसान भी मुआवजा प्राप्त कर न्याय प्राप्त कर सकता है।
-लेखक उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।