सहेजी विरासत के प्रति समर्पण का संकल्प
आज, अपने संस्थापक दिवस पर हम उत्सव मना रहे हैं। द ट्रिब्यून की स्थापना 144 साल पहले आज ही के दिन पंजाब के असाधारण प्रतिभाशाली सपूत सरदार दयाल सिंह मजीठिया द्वारा लाहौर में (अब पश्चिमी पाकिस्तान में) की गयी थी। हमारे संस्थापक वास्तव में बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी, एक अत्यधिक सफल व्यवसायी, अग्रणी बैंकर होने के अलावा वह दार्शनिक प्रवृत्ति वाले अध्यात्मवादी और दूरदर्शी राष्ट्रवादी थे। उन्होंने अपनी सारी संपत्ति स्वतंत्रता संग्राम का पुरजोर समर्थन करने, अपने लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने और पंजाबी युवाओं को शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए न्यौछावर कर दी। कभी समझौता न करने वाले उदारवादी और दृढ़ लोकतंत्रवादी सरदार ने स्वतंत्र, निष्पक्ष और निर्भीक प्रेस के कामकाज को बेहद महत्व दिया। हमारे मूलभूत मूल्यों के रूप में काम करते रहे उनके साहसिक और नैतिक सिद्धांत 2 फरवरी, 1881 के द ट्रिब्यून में प्रकाशित पहले संपादकीय में समाहित हैं। पिछली एक सदी से भी अधिक अवधि में हम विभिन्न चुनौतियों, खतरों, दबावों से गुजरे और बार-बार अस्थिर करने वाली वित्तीय समस्याओं का सामना किया। हमें गर्व है कि अनेक बाधाओं का सामना करने के बावजूद द ट्रिब्यून और बाद में इसके साथ ही दैनिक ट्रिब्यून और पंजाबी ट्रिब्यून ने सही मुद्दों का िनर्भीकता से समर्थन जारी रखा। हम इस क्षेत्र के आठ करोड़ से अधिक उन लोगों की आकांक्षाओं पर खरा उतर रहे हैं जहां हमारे अख़बार उत्सुकता से पढ़े जाते हैं। इस पावन दिवस पर सभी ट्रस्टी, संपादक, महाप्रबंधक, हमारे तीन समाचार पत्रों के प्रकाशन से जुड़े सभी पदाधिकारी, कर्मचारी, द ट्रिब्यून स्कूल की प्रिंसिपल, शिक्षक और विद्यार्थी अपने संस्थापक को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हैं और एक बार फिर प्रतिज्ञा करते हैं कि हमारी सहेज रखी विरासत को जीवंत रखने, इसे और ज्यादा मजबूत करने के लिए अपने समर्पित प्रयासों को जारी रखेंगे।
- एनएन वोहरा
प्रेजिडेंट, द ट्रिब्यून ट्रस्ट, चंडीगढ़