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चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो

08:13 AM Jul 20, 2023 IST

तिरछी नज़र

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शमीम शर्मा

इस ब्रह्माण्ड में यूं तो अनेक सूर्य-सितारे, ग्रह-उपग्रह, हैं पर जो नाता मानव जाति का चंद्रमा से है वह किसी अन्य से नहीं। कभी हमें यह मामा लगता है तो कभी जानू-जानम लगने लगता है। एक मनचले की नसीहत है कि किसी चांद को अपना बनाने से पहले परख लेना कि कितने ग्रह उसके चक्कर लगा रहे हैं। हरियाणवी मर्दों का लहजा है कि चांद तारे तो नहीं तोड़ सकता पर किसी नैं घणी बकवाद करी तो मुंह जरूर तोड़ द‍्यूंगा। मुझे याद है कि जब नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर कदम रखा था तो एक हरियाणवी की प्रतिक्रिया थी- यो चांद पूरनमास्सी नैं खूब रोशनी कर दिया करता, इब ये मेरे बटे इसनैं फोड़ कै मान्नैंगे।
मुझे लगता है कि सबसे पहले हमारे देश के पिता ने ही अपने बच्चे से पूछा होगा- तुझे सूरज कहूं या चन्दा? और इसके बाद हर मां ने अपने बेटे को लाड़ में चन्दा कहना प्रारम्भ कर दिया होगा। एक पीड़ित पति का कहना है कि चांद भले ही मां दिखाये पर तारे तो बीवी ही दिखाती है।
इश्क की दुनिया के आशिकों ने अपने प्रिय पात्र को चांद कहा होगा तो जरूर अन्धाधुन्ध कह दिया होगा क्योंकि ऐसे-ऐसे लोगों को प्रेम में चांद कह दिया गया कि अगर चान्द उन्हें देख ले तो खुदकुशी कर ले। वैसे देखा जाये कि यदि हर कोई चांद से प्यार जतायेगा तो सूरज का 45 डिग्री पर जलना वाजिब है। कवियों और प्रेमियों के लिये चांद यूं है जैसे उनका पड़ोसी हो।
भारतीय संस्कृति और ज्योतिष विज्ञान में चन्द्रमा का विशेष स्थान है। अनेकानेक पौराणिक कथायें और परम्परायें चांद के इर्दगिर्द प्रवाहित रहती हैं। जन्म कुंडली में चन्द्रमा की स्थिति का अलग ही प्रभाव माना जाता है। विदेशी वैज्ञानिक उस वक्त बेहोश हो जाते हैं जब उन्हें पता चलता है कि भारत में कुछ ऐसे भी पंडित हैं जो एक सौ एक रुपये लेकर ग्रहों की चाल बदल देते हैं। पर इधर अपने वैज्ञानिकों ने चांद की ओर कदम बढ़ा दिये हैं। एक गीत बहुत हिट हुआ था- चलो दिलदार चलो, चांद के पार चलो, हम हैं तैयार चलो। और देखो हमारे वैज्ञानिक चांद पर चढ़ाई के लिये पूरी तरह तैयार हो चुके हैं। पर आम आदमी तो आज भी यही कहता मिलेगा-चान्द तारे तो अपने बजट में नहीं आते पर गांव की सैर तो करवा ही सकते हैं।
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एक बर की बात है अक नत्थू मचलते होये अपणी मां तै बोल्या- मां, मां मन्नैं तो मेरे खात्तर एक छोरी आप्पे टोह ली है कती चांद बरगी है। नत्थू की मां रामप्यारी मात्थे पै हाथ धरकै बोल्ली- न्यूं बता पूरणमास्सी के चांद बरगी है अक अमावस के चांद बरगी?

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दिलदार