गर्मियों में सेहत बचाने को स्वच्छ पानी, घर का खाना
गर्मियों में मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। वजह है बढ़ता तापमान, तेज धूप, दूषित खान-पान व हाइजीन का अभाव। ऐसे में घर के भोजन-पानी के सेवन, साफ-सूती कपड़े व कड़ी धूप से बचाव आदि एहतियाती उपाय कारगर हैं। इसी संबंध में नयी दिल्ली स्थित कंसल्टेंट फिजिशियन डॉ. जे रावत से रजनी अरोड़ा की बातचीत।
दिनोदिन बढ़ता पारा, चिलचिलाती धूप और गर्म हवाएं हमारे शरीर के तापमान को बढ़ा देती हैं जिनसे कई तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। ये बीमारियां हर उम्र के लोगों को हो सकती हैं लेकिन बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग ज्यादा प्रभावित होते हैं। गर्मी के प्रकोप और इससे होने वाली बीमारियों को नजरअंदाज करना कई बार जानलेवा हो सकता है।
डिहाइड्रेशन
तेज धूप, पानी कम पीने, पसीना अधिक आने, खाने-पीने का ध्यान न रखने से डिहाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की कमी हो जाती है। विषाक्त पदार्थ बाहर नहीं निकल पाते, लूज मोशन व वोमिटिंग आने लगते हैं। नमक और ग्लूकोज की मात्रा कम हो जाती है, कमजोरी महसूस होती है। बुखार, टाइफाइड, जोड़ों में दर्द होते हैं।
डायरिया
पेट में इंफेक्शन से मरीज को दिन में 3-4 बार लूज मोशन आते हैं। पेट में दर्द, आंतों में सूजन, उल्टियां, शरीर में दर्द, बुखार, पानी की कमी हो सकती है। खाने-पीने में स्वच्छता का खास ख्याल रखें।
टाइफाइड
साफ-सफाई का ध्यान न रखना, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना और दूषित भोजन-पानी का सेवन टाइफाइड के कारण हैं। इसके बैक्टीरिया गॉल ब्लैडर में पहुंच कर व्यक्ति को बीमार करते हैं। तेज बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, भूख न लगना, खांसी-जुकाम, उल्टी महसूस होने की शिकायत रहती है।
हैजा
मक्खियों के कारण फैलने वाला बैक्टीरियल इंफेक्शन है। दूषित खाना-पानी लेने से, कटे फल वगैरह खाने से होता है। लूज मोशन आते हैं जिससे डिहाइड्रेशन हो जाता है। सही उपचार न हो तो किडनी फेल्योर हो सकता है।
हीट स्ट्रोक
अधिक समय तक धूप में रहने से शरीर का तापमान भी बढ़ जाता है। रक्त धमनियां फैल जाती है और रक्त प्रवाह बढ़ जाता है। पसीना ज्यादा आने से सोडियम कम हो जाता है। डिहाइड्रेशन, तेज बुखार, सिर दर्द, त्वचा लाल होना, बेहोशी होना जैसी समस्याएं होती हैं। ब्रेन स्ट्रोक व ब्रेन थ्रम्बोसिस होने का खतरा भी रहता है।
हैपेटाइटिस या पीलिया
दूषित भोजन खाने से होता है। पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है जिससे पेट दर्द, वोमिटिंग होती है व पेशाब का रंग बदल जाता है। खून की कमी हो जाती है, जिससे शरीर पीला पड़ने लगता है व कमजोरी आ जाती है।
आंखों पर भी पड़ता है असर
गर्मियों में नाइट्रिक ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे प्रदूषण फैलाने वाले तत्व आंखों को भी प्रभावित करते हैं। आई फ्लू, लाल आंखें, ड्राई आइज, आंखों में खुजली-जलन जैसी समस्याएं होती हैं। कंजक्टिवाइटिस भी होता है। एक-दूसरे को छूने, रुमाल,तौलिया, सनग्लास, मेकअप सामान जैसी पर्सनल चीजें इस्तेमाल करने से संक्रमण फैल सकता है।
नकसीर फूटना
गर्मियों में शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ने पर कई बार नाक की नसें फट जाती हैं और धमनियों में से रक्त बाहर निकलने लगता है। वैसे कोई नुकसान नहीं होता। नाक को दबाकर रखने और एक बर्फ का टुकड़ा रुमाल में लगाकर नाक पर रखने से आराम मिलता है।
त्वचा पर असर
उमस भरी गर्मी में पसीना ज्यादा आता है। नहाने के तुरंत बाद शरीर सुखाए बिना कपड़े पहन लेते हैं। गर्दन, जांघ, बगल की त्वचा माइक्रोब्स कीटाणु पनपते हैं। फंगल इंफेक्शन के चलते खुजली-जलन रहती है। वहीं ज्यादा काम करने से पसीने की ग्रंथियां ब्लॉक हो जाती हैं। घमौरियां, रैशेज हो जाते हैं। कई बार डिहाइड्रेशन होने से त्वचा में नमी कम होने लगती है, झुर्रियां भी पड़ने लगती हैं। ऐसे में थोड़ा ध्यान रखकर करें अपना बचाव :
खाना-पीना घर का ही
घर का बना खाना ही खाएं। बहुत जरूरी हो तभी बाहर से खाएं। बाहर हाइजीन की कमी या बैक्टीरिया पनपने से दूषित होने की संभावना बनी रहती है। बाहर का पानी भी पीने से बचें। ऑफिस या कार्यस्थल पर एहतियातन घर से ही खाने के साथ पानी लेकर जाएं। बाहर जाने से पहले पानी जरूर पिएं ताकि लू से बच सकें। पानी या लिक्विड डाइट ज्यादा से ज्यादा पिएं। कोल्ड ड्रिंक के बजाय नारियल पानी, नींबू पानी पीना बेहतर है।
हाइजीन
हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। शौचादि के बाद, किसी भी चीज को छूने के बाद अपने हाथ साबुन से बराबर धोते रहें ताकि संक्रमण का खतरा न रहे। खाने से पहले हाथ धोएं या सैनेटाइजर से साफ करें।
फल-सब्जियों को धोना
फल-सब्जियों को खाने या पकाने से पहले अच्छी तरह धो लें। पकाने से कम-से-कम आधा घंटा भिगो कर रखें या गर्म पानी में अच्छी तरह धोएं। जिससे उनमें लगा वायरस, वैक्स या कैमिकल निकल जाए।
हीट स्ट्रोक से बचाव
हीट स्ट्रोक से बचने के लिए जरूरी है कि कड़ी धूप में यानी 11-12 बजे से शाम 4.30 बजे तक कहीं जाने से बचें। बच्चों को भी दिन में बाहर खेलने से रोकें। धूप की अल्ट्रावायलेट किरणों से होने वाली फोटोडर्माटाइटिस, सनबर्न, स्किन एलर्जी से बचने के लिए बाहर जाने से पहले सनस्क्रीन लगाएं। छतरी लेकर चलें।
आंखों की संभाल
आंखों पर सनग्लासेज या फोटोक्रोमैटिक पॉवरलेंस लगाना न भूलें। ये धूप, प्रदूषक तत्वों, धुएं और गंदगी से होने वाली एलर्जी से बचाव करते हैं।
सूती वस्त्र पहनें
रेशमी या सिंथेटिक कपड़े के बजाय ढीले सूती वस्त्र पहनें। ये वस्त्र आसानी से पसीना सोख लेते हैं और आराम पहुंचाते हैं।
पार्किंग छाया में
संभव हो तो गर्मियों में अपनी गाड़ी की पार्किंग शेड या छाया में करें। धूप में गाड़ियां और उनकी लैदर सीट बहुत गर्म हो जाती हैं। गाड़ी में बैठने से पहले कुछ देर दरवाजा खुला रखें या बैठने पर शीशे जरूर खोल लें। धूप में खडी गाड़ी में प्लास्टिक टिफिन या बोतल में खाना-पानी न छोड़ें।