अर्थव्यवस्था में ‘के-आकार’ के पुनरुद्धार के दावे गलत
नयी दिल्ली, 8 जनवरी (एजेंसी)
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने सोमवार को एक शोध रिपोर्ट में कहा कि भारत में महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में के-आकार के पुनरुद्धार के बारे में किए जाने वाले दावे ‘दोषपूर्ण, पूर्वाग्रह से ग्रसित और मनगढ़ंत’ हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के बाद भारतीय परिवार अपनी बचत को अचल संपत्ति सहित विभिन्न भौतिक संपत्तियों में नए सिरे से लगा रहे हैं। रिपोर्ट कहती है, ‘महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में के-आकार के सुधार पर बार-बार होने वाली बहस दोषपूर्ण, पूर्वाग्रह से ग्रसित और मनगढ़ंत है। यह चुनिंदा तबकों के हितों को बढ़ावा देने वाली भी है जिनके लिए भारत का बेहतरीन उत्थान, जो नए वैश्विक दक्षिण के पुनर्जागरण का संकेत देता है, काफी अप्रिय है।’के-आकार के पुनरुद्धार का मतलब अर्थव्यवस्था के विभिन्न समूहों की असमान वृद्धि है। इसमें अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्र बहुत तेजी से बढ़ते हैं जबकि अन्य क्षेत्रों में गिरावट जारी रहती है या उन्हें संघर्ष का सामना करना पड़ता है। रिपोर्ट के अनसार हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि 2023 के बाद से एक बार फिर वित्तीय परिसंपत्तियों की तरफ ध्यान बढ़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘लोगों के आयकर रिटर्न आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2014-22 के दौरान व्यक्तिगत आय असमानता 0.472 से घटकर 0.402 हो गई है।’ इसके साथ ही एमएसएमई इकाइयों की आमदनी के तरीके में भी बदलाव आया है। यह उद्योग/ सेवाओं की बदलती रूपरेखा को दर्शाता है।