For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

CJI का कड़ा संदेश: न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर तुरंत और पारदर्शी कार्रवाई आवश्यक

01:00 PM Jun 04, 2025 IST
cji का कड़ा संदेश  न्यायपालिका में भ्रष्टाचार पर तुरंत और पारदर्शी कार्रवाई आवश्यक
भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवाई। फोटो: पीटीआई फाइल
Advertisement

सत्यप्रकाश/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 4 जून
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से बेहिसाब नकदी बरामद होने के बाद उनकी बर्खास्तगी की प्रक्रिया जारी है। इस गंभीर मामले को लेकर भारत के चीफ जस्टिस (CJI) बीआर गवई ने न्यायपालिका में किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार और कदाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता का संदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि न्यायाधीशों के दुराचार के मामलों में 'तेजी से, निर्णायक और पारदर्शी' कार्रवाई करना न केवल जरूरी है, बल्कि इससे ही न्यायपालिका की साख और जनता का विश्वास बहाल हो सकता है।

Advertisement

मंगलवार को ब्रिटेन की सर्वोच्च अदालत में 'न्यायिक वैधता और जनता के विश्वास को बनाए रखना' विषय पर आयोजित एक गोलमेज चर्चा में चीफ जस्टिस गवई ने स्पष्ट किया कि कोई भी सिस्टम, चाहे वह कितना भी मजबूत क्यों न हो, पेशेवर कदाचार की घटनाओं से अछूता नहीं रहता। दुर्भाग्यवश, भारत की न्यायपालिका में भी भ्रष्टाचार और अनुचित आचरण के मामले सामने आए हैं, जो जनता के विश्वास को झकझोर देते हैं।

उन्होंने कहा कि हालांकि, ये भरोसे को पुनः स्थापित करने का समय है, और यह तभी संभव है जब इन घटनाओं के खिलाफ तत्काल, प्रभावी और पारदर्शी कदम उठाए जाएं। भारत में जब भी ऐसे मामलों का पता चला है, सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत कार्रवाई कर उचित संदेश दिया है।

Advertisement

यह बयान ऐसे समय में आया है जब जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच समिति की रिपोर्ट में उन्हें दोषी पाया गया है। मार्च 14 को दिल्ली में उनके सरकारी आवास पर लगी आग के दौरान जांच में भारी नकदी बरामद हुई थी। उस समय वे दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे। तीन सदस्यीय जांच समिति ने 3 मई को अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी, जिसमें जस्टिस वर्मा की स्पष्ट गलती पाई गई।

तीन सदस्यीय कमेटी ने दी थी रिपोर्ट

तीन सदस्यीय समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थीं। समिति ने रिपोर्ट में बताया कि न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से मिली नकदी की बरामदगी के ठोस सबूत हैं।

इसके बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार को वर्मा की बर्खास्तगी की सिफारिश की। 28 मार्च को उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया, जहां उन्हें फिलहाल कोई न्यायिक कार्य नहीं दिया गया है।

CJI गवई ने न्यायपालिका की गरिमा और सार्वजनिक विश्वास की रक्षा के लिए ऐसे मामलों में सख्त रवैया अपनाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को अपने दोषियों को कठोर कार्रवाई के माध्यम से जवाबदेह बनाना होगा ताकि न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता और नैतिकता बनी रहे।

Advertisement
Tags :
Advertisement