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सिनेमा काे सदा ही भाया प्रेरक श्रीराम का कथानक

08:09 AM Jan 13, 2024 IST
सिनेमा काे सदा ही भाया प्रेरक श्रीराम का कथानक
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योगेंद्र माथुर
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम! धर्म परायणों के आदर्श आराध्य, हमारी परंपराओं की श्रेष्ठतम कल्पना, भारतीय साहित्य के आदिनायक जिनका जीवन चित्रित कर आदि कवि वाल्मीकि अमरत्व को प्राप्त कर गए। जिनकी भक्ति के सागर में डूबकर गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीरामचरित मानस जैसे महाकाव्य की रचना की, ऐसे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के व्यक्तित्व के आकर्षण से भला भारतीय सिनेमा कैसे अछूता रह सकता था? भगवान श्रीराम के आदर्श चरित्र का यह अनूठा आकर्षण ही रहा कि उनके व्यक्तित्व से प्रेरणा ग्रहण कर अब तक बड़ी संख्या में फिल्मों का निर्माण हो चुका है और अब भी हो रहा है।

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इतिहास में देखें तो...

यदि हम धार्मिक फिल्मों के इतिहास का अवलोकन करें तो पाएंगे कि अब तक बनी सभी प्रकार की धार्मिक फिल्मों में सबसे अधिक फिल्में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के व्यक्तित्व पर केंद्रित रही हैं। ऐसी सर्वप्रथम फिल्म बनाई थी भारतीय फिल्मों के जनक दादा साहब फालके ने। साल 1917 में निर्मित यह फिल्म थी ‘लंका दहन’। इस फिल्म में राम व सीता, दोनों की भूमिका एक ही पुरुष कलाकार ने निभाई थी जिसका नाम था अन्ना सालुंके। ‘लंका दहन’ को अपार सफलता मिली थी।

धारावाहिक फिल्में

मूक फिल्मों के इस दौर में एक कथानक का कई भागों में फिल्मांकन करने का दौर शुरू हुआ। ऐसी ही एक फिल्म ‘राम वनवास’ पाटनकर फ्रेंड्स एंड कंपनी ने सन 1918 में बनाई थी। छह घंटे की यह फिल्म सिनेमाघरों में चार किस्तों में दिखाई गई। साल 1919 में देश में कुल 8 कथाचित्रों का निर्माण हुआ जिनमें तीन चित्र ‘श्रीराम जन्म’, ‘राम और माया’ तथा ‘सीता स्वयंवर’ श्रीराम के जीवन प्रसंग पर बने थे। ‘श्रीराम जन्म’ के बाद दादा साहेब फालके ने ऐसी दो और फिल्में‘राम रावण युद्ध’ और ‘राम राज्य वियोग’ क्रमशः 1924 और 1928 में बनाई थीं। फिर ‘लवकुश’(1921), ‘रामायण’(1922), ‘दशरथी राम’ और ‘सीता स्वयंवर’ (1929) तथा ‘सीता हरण’ व ‘लंका दहन’ (1930) फिल्में भी सफेद पर्दे पर दिखाई दीं।

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सवाक सिनेमा के दौर में

फिल्मों को आवाज के वरदान की प्राप्ति के साथ ही साल 1933 में एक साथ तीन फिल्में ‘लंका दहन’, ‘रामायण’ व ‘सीता स्वयंवर’ श्रीराम के जीवन चरित्र पर बनीं। साल 1934 में ‘सीता’ श्रीराम के जीवन संदर्भ में बनी। इसमें भगवान श्रीराम और माता सीता की भूमिका क्रमशः अभिनेता पृथ्वीराज कपूर व अभिनेत्री दुर्गा खोटे ने तो लक्ष्मण की भूमिका गुल हमीद ने निभाई थी। इस फिल्म को वेनिस में हुए अंतराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रशंसा पत्र मिला था। फिल्म ‘सीता’ की अपार सफलता से प्रेरित होकर ‘रामायण’(1934), ‘सीता हरण’ (1936) और ‘राम संग्राम’(1939) नामक फिल्में बनीं और काफी पसंद की गईं ।

‘राम राज्य’ जो गांधी जी ने भी देखी...

वर्ष 1942 और 1943 में क्रमशः दो श्रेष्ठ फिल्में ‘भरत मिलाप’ व ‘राम राज्य’ प्रदर्शित हुईं। इन दोनों फिल्मों का निर्माण प्रकाश पिक्चर्स तथा निर्देशन विजय भट्ट ने किया था। कनुभाई देसाई के कला निर्देशन व शंकर व्यास के श्रेष्ठ संगीत से सुसज्जित इन दोनों फिल्मों में ‘राम राज्य’ को ऐतिहासिक महत्व प्राप्त है, क्योंकि महात्मा गांधी द्वारा अपने जीवन में देखी गई एकमात्र फिल्म इसे माना जाता है। इस फिल्म में लव कुश द्वारा गाया गीत ‘भारत की एक सन्नारी की हम कथा सुनाते हैं..!’ बहुत लोकप्रिय हुआ था। फिल्म ‘भरत मिलाप’ के लिए भी निर्देशक विजय भट्ट को बहुत प्रशंसा मिली थी। इस फिल्म में अभिनेता प्रेम अदीब और अभिनेत्री शोभना समर्थ ने राम व सीता की भूमिका अभिनीत की थी। इन फिल्मों के बाद 1946 में ‘सती सीता’, 1948 में ‘सीता स्वयंवर’ व ‘श्रीराम भक्त हनुमान’, 1949 में ‘राम प्रतिज्ञा’, 1950 में ‘राम दर्शन’ व ‘श्रीराम अवतार’ जैसी कई फिल्में प्रदर्शित हुईं।

फिल्म जिसमें सीता बनीं मीना कुमारी

साल 1951 में बनी फिल्म ‘हनुमान पाताल विजय’ में अभिनेता महिपाल राम बने और मीनाकुमारी सीता बनीं। इस फिल्म में राम द्वारा सीता वियोग में एक गीत भी गाया गया। वर्ष 1951 के पश्चात ‘लंका दहन’, ‘राम धुन’, ‘राम राज्य’, ‘राम लीला’, ‘श्रीराम भरत मिलाप’ और ‘राम लक्ष्मण’ आदि फिल्में प्रदर्शित हुईं। इन सभी फिल्मों को औसत सफलता मिली। सन 1957 में फिल्म ‘पवनपुत्र हनुमान’ में महिपाल दूसरी बार राम बने व अनीता गुहा सीता। साल 1961 में ‘सम्पूर्ण रामायण’ इस जोड़ी की सर्वाधिक लोकप्रिय फिल्म थी। बाबूभाई मिस्त्री के निर्देशन में बनी यह फिल्म बेहद सफल रही।

कम नहीं हुआ आकर्षण

साल 1965 में प्रदर्शित फिल्म ‘राम भरत मिलाप’ में अभिनेता पृथ्वीराज कपूर राम से राजा दशरथ बन गए और ‘राम नवमी’ की सीता निरूपाराय कैकेयी बन गईं। वर्ष 1967 में विजय भट्ट ने फिल्म ‘राम राज्य’ (1943) को रंगीन स्वरूप में पुनर्निर्मित किया। इसके बाद ‘राम बाण’ (1968), ‘राम भक्त हनुमान’ (1969), ‘बजरंगबली’(1976) व ‘महाबली हनुमान’ (1981) जैसी फिल्में प्रदर्शित हुईं। हालांकि भगवान श्रीराम के व्यक्तित्व से जुड़ीं फिल्मों की सफलता का ग्राफ सदैव एक-सा नहीं रहा। किसी फिल्म ने अत्यधिक सफलता दर्ज कराई तो कोई सिर्फ लागत निकाली, लेकिन इन फिल्मों को दर्शकों ने नकारा भी नहीं। रामायण और श्रीराम को लेकर दर्शकों का आकर्षण हमेशा बना रहा।

छोटे पर्दे पर बेहद लोकप्रिय राम-रामायण

80 के दशक में फिल्मकार रामानंद सागर रामायण के कथानक को लेकर टीवी पर आए। उनके 87 एपिसोड वाले ‘रामायण’ धारावाहिक का 25 जनवरी 1987 को टीवी पर प्रसारण शुरू हुआ और इसने लोकप्रियता के सारे रिकार्ड तोड़ दिए। इसमें भगवान राम व माता सीता की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल व दीपिका चिखलिया खासे लोकप्रिय हो गए। नब्बे के दशक से लेकर अब तक दर्जनों फिल्में, धारावाहिक और एनिमेशन सीरीज रामायण और श्रीराम के जीवन प्रसंग से जुड़े कथानकों को लेकर बनीं, और पसंद की गईं। हाल ही में प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक ओम राउत द्वारा 5 भाषाओं हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम में करोड़ों की लागत से बनी फिल्म ‘आदिपुरुष’ को भी बॉक्स आफिस पर बड़ी सफलता मिली। हालांकि यह फिल्म विवादों में घिरी। इस वर्ष और आगामी वर्षों में कई फिल्मकार बड़ी संख्या में बड़े और छोटे परदे पर श्रीराम व रामायण के कथानक से जुड़ीं महंगे बजट की फिल्में व धारावाहिक लेकर आने की तैयारी में हैं। ओटीटी प्लेटफार्म पर भी अब निर्माता श्रीराम के चरित्र को लेकर वेब सीरीज बनाने में जुट गए हैं। वर्ष 2024 और आगामी वर्षों में सभी प्लेटफार्मों पर भगवान श्रीराम के मनोहारी, व प्रेरणादायक जीवन चरित्र से जुड़े कथानकों के प्रदर्शन के साथ भगवान श्रीराम की जयकार होने वाली है।

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