ओल्ड रोहतक की 8 सीटों पर फिर ‘चौधर’ की जंग
रोहतक व झज्जर की आठों सीटों पर हुड्डा के प्रभाव के भरोसे उम्मीदवार
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
झज्जर/रोहतक, 19 सितंबर
ओल्ड रोहतक के रोहतक व झज्जर जिले की आठ विधानसभा सीटों पर एक बार फिर ‘चौधर’ की जंग लड़ी जा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के इस गढ़ में चुनाव लड़ रहे कांग्रेसियों को हुड्डा के प्रभाव का सहारा है। वहीं भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘जलवे’ से उम्मीद है। 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा आठ सीटों में से तीन – बादली, बहादुरगढ़ और रोहतक में भाजपा सेंध लगाने में कामयाब रही थी। लेकिन 2019 के चुनावों में अच्छे राजनीतिक माहौल के बावजूद का स्कोर 8-0 रहा। अब एक बार फिर भाजपा पूरे दमदम चुनावी मैदान में उतरी है। केंद्र व राज्य सरकार की दस वर्षों की नीतियों, फैसलों, विकास कार्यों के लिए नौकरियों को भाजपा मुद्दा बना रही है। ‘बापू-बेटा’ यानी हुड्डा व उनके सांसद पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा को घेरने की भी रणनीति पर भाजपा काम कर रही है। झज्जर जिले की चार सीटों – झज्जर, बादली, बहादुरगढ़ व बेरी में पूर्व कृषि मंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकश धनखड़ की भी अग्निपरीक्षा होगी। भाजपा के हेवीवेट नेताओं में शामिल धनखड़ की पसंद से ही चारों सीटों के प्रत्याशी तय किए जाने की खबरें हैं। रोहतक पार्लियामेंट के अंतर्गत आने वाली इन सभी आठ सीटों पर कांग्रेसियों का मनोबल लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से काफी बढ़ा हुआ है। 2019 में रोहतक पार्लियामेंट सीट पर भाजपा के डॉ़ अरविंद शर्मा के मुकाबले 7500 के करीब मतों से चुनाव हारने वाले दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस बार के चुनाव में भाजपा और अरविंद शर्मा से अपना हिसाब-किताब चुकता कर लिया। दीपेंद्र ने उम्मीदों से कहीं बेहतर प्रदर्शन करते हुए करीब पौने चार लाख मतों के अंतर से अरविंद शर्मा को पटकनी दी। इतना ही नहीं, दीपेंद्र हुड्डा ने भाजपा के प्रभाव वाले और शहरी सीट कहे जाने वाले रोहतक हलके सहित सभी नौ हलकों से लीड हासिल की थी। इन नतीजों ने कांग्रेसियों का मनोबल बढ़ाने का काम किया। कांग्रेस ने महम को छोड़कर बाकी की आठ सीटों पर पुराने ही चेहरे मैदान में उतारे हैं। वहीं भाजपा ने बादली और रोहतक को छोड़कर बाकी छह सीटों पर नये चेहरों पर भरोसा जताया है। महम में कांग्रेस ने पूर्व मंत्री आनंद सिंह दांगी के बेटे बलराम दांगी को टिकट दिया है।
कलानौर में दोनों महिलाएं
कांग्रेस ने कलानौर हलके से जीत की हैट्रिक लाग चुकी शकुंतला खटक पर ही भरोसा जताया है। पीजीआई, रोहतक में नर्स रहीं शकुंतला खटक को हुड्डा ने पहली बार 2009 में चुनाव लड़वाया था और वे जीत हासिल करने में कामयाब रहीं। 2014 और 2019 का चुनाव भी उन्होंने जीता। वहीं भाजपा ने रोहतक नगर निगम की पूर्व मेयर रेणु डाबला को शकुंतला खटक के सामने चुनावी मैदान में उतारा है।
महम में बिगड़े समीकरण
2019 के चुनावों में कांग्रेस के आनंद सिंह दांगी और भाजपा के शमशेर सिंह खरकड़ा को शिकस्त देकर निर्दलीय विधायक के तौर पर विधानसभा पहुंचे बलराज कुंडू ने इस बार भी सभी के समीकरण बिगाड़े हुए हैं। कांग्रेस के दांगी के बेटे बलराम दांगी को टिकट दिया है। वहीं भाजपा ने कबड्डी टीम के कप्तान रहे दीपक हुड्डा को टिकट दिया है। खरकड़ा ने टिकट कटने के बाद अपनी पत्नी राधा अहलावत को निर्दलीय मैदान में उतारा है।
बहादुरगढ़ में रोचक चुनावी जंग
कांग्रेस ने मौजूदा विधायक राजेंद्र जून को टिकट दिया है। टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस से बागी हुए जून के भतीजे राजेश जून निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा ने पूर्व विधायक नरेश कौशिक का टिकट काटकर उनके छोटे भाई दिनेश कौशिक को दिया है। वहीं इनेलो प्रदेशाध्यक्ष रहे स्व़ नफे सिंह राठी की पत्नी शीला नफे राठी इनेलो-बसपा टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। यहां की चुनावी जंग दिलचस्प मोड़ पर आ चुकी है।
बादली में धनखड़ और वत्स
पूर्व कृषि मंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय सचिव लगातार तीसरी बार बादली से चुनाव लड़ रहे हैं। 2014 में वे चुनाव जीतकर मनोहर सरकार में हेवीवेट मंत्री बने थे। 2019 में कांग्रेस के कुलदीप वत्स के हाथों चुनाव हार गए। कांग्रेस ने वत्स पर फिर से विश्वास जताया है। राष्ट्रीय राजधानी – नई दिल्ली से सटी इस सीट पर चुनावी मुकाबला आमने-सामने का बना हुआ है। किसी भी उम्मीदवार को कम नहीं आंक सकते।
झज्जर में सीधी भिड़ंत
एससी के लिए आरक्षित झज्जर विधानसभा सीट पर भी सीधी भिड़ंत हो रही है। कांग्रेस ने यहां से तीन बार की मौजूदा विधायक गीता भुक्कल को टिकट दिया है। वहीं भाजपा ने नये चेहरे के रूप में झज्जर जिला परिषद के चेयरमैन कप्तान बिरधाना को टिकट दिया है। 2019 में भाजपा टिकट पर चुनाव लड़े डॉ़ राकेश की टिकट कटने के बाद वे बागी हो गए। उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली।
बेरी में भाजपा के बागी डटे
लगातार पांच बार बेरी से चुनाव जीतने वाले पूर्व स्पीकर डॉ़ रघुबीर सिंह कादियान इस बार जीत का सिक्सर लगाने के लिए मैदान में डटे हैं। भाजपा ने बादली हलके में एक्टिव रहे संजय कबलाना को बेरी से टिकट दिया है। 2019 में कबलाना ने जजपा टिकट पर बादली से चुनाव लड़ा था। भाजपा से टिकट कटने के बाद अमित डीघल निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में डटे हुए हैं।
हुड्डा के मुकाबले पहली बार महिला उम्मीदवार
भाजपा ने गढ़ी-सांपला-किलोई सीट पर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुकाबले मंजू हुड्डा को चुनावी रण में उतारा है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व मंत्री कृष्णमूर्ति हुड्डा यहां से टिकट मांग रहे थे। लेकिन भाजपा ने उनकी जगह रोहतक जिला परिषद की चेयरपर्सन मंजू हुड्डा पर भरोसा जताया। मंजू हुड्डा गैंगस्टर राजेश सरकारी की पत्नी हैं। मंजू के पिता डीएसपी रहे हैं। हुड्डा के सामने पहली बार महिला उम्मीदवार को टिकट मिला है।
रोहतक में फिर ग्रोवर और बतरा के बीच होगा मुकाबला
2014 के चुनावों में कांग्रेस के मौजूदा विधायक भारत भूषण बतरा को शिकस्त देकर पहली बार विधानसभा पहुंचे पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर एक बार फिर चुनावी मैदान में ताल ठोक चुके हैं। हालांकि 2019 के चुनावों में बीबी बतरा ने मनीष को पटकनी देकर अपनी हार का बदला ले लिया था। बीबी बतरा और मनीष ग्रोवर एक बार फिर आमने-सामने होंगे। दोनों ही नेताओं के बीच दिलचस्प चुनावी मुकाबला होगा।
धनखड़ की पसंद के हैं झज्जर की सभी सीटों पर प्रत्याशी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीकियों में शामिल पार्टी के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ पर इस बार नेतृत्व ने काफी भरोसा जिताया है। झज्जर जिला की चारों सीट पर उनकी पसंद के उम्मीदवार उतारे हैं। धनखड़ खुद बादली से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका पैतृक गांव ढाकला भी इसी हलके में आता है। झज्जर सीट पर पार्टी ने उनकी पसंद के कप्तान बिरधाना को उम्मीदवार बनाया है। यहां से और भी कई दावेदार थे लेकिन पार्टी ने धनखड़ की पसंद पर भरोसा जताया। इतना ही नहीं, बहादुरगढ़ में भी धनखड़ की पसंद से ही दिनेश कौशिक को टिकट मिला है। ऐसे में झज्जर जिला के टिकट आवंटन में पूरी तरह से धनखड़ की चली है। इसी वजह से धनखड़ की चुनौतियां भी बढ़ गई हैं।