कैंट में अनिल विज को चुनौती दे रही चित्रा सरवारा, लोगों में आज भी मजबूत पकड़
दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
अम्बाला, 2 अक्तूबर
गेटवे ऑफ हरियाणा यानी अम्बाला में इस बार चुनावी मुकाबला दिलचस्प है। इस जिले की चारों ही सीटों–अम्बाला कैंट, अम्बाला सिटी, नारायणगढ़ और मुलाना हलके में जबरदस्त चुनावी जंग हो रही है। पंजाब से सटा होने की वजह से इस एरिया में किसान आंदोलन का भी असर साफ नजर आ रहा है। तीन सीटों पर आमने-सामने की टक्कर है। वहीं नारायणगढ़ में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है।
अम्बाला जिले में अनिल विज ऐसे अकेले नेता हैं, जो एक उपचुनाव सहित अभी तक छह चुनाव जीत चुके हैं। बैंक में नौकरी करते हुए वे संघ गतिविधियों से जुड़े रहे। 1987 में भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज अम्बाला कैंट से विधायक थीं। वे हरियाणा सरकार में मंत्री भी रहीं। जब वे दिल्ली और केंद्र की राजनीति में शिफ्ट हो गईं तो उन्होंने अम्बाला कैंट से इस्तीफा दे दिया। 1990 में अनिल विज को भाजपा ने बैंक की नौकरी छुड़वा कर कैंट से उपचुनाव लड़वाया।
विज पहला ही चुनाव जीतने में कामयाब रहे। हालांकि बाद में उन्होंने दो बार 1996 और 2000 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर अम्बाला कैंट से चुनाव जीता। बाद में वे फिर से भाजपा में आ गए और 2009 में उन्होंने भाजपा टिकट पर चुनाव जीता। विज अम्बाला कैंट से जीत की हैट्रिक लगाने वाले अकेले नेता हैं। वहीं पूरे जिले में छह बार विधायक बनने वाले भी पहले भाजपाई हैं। 2014 और 2019 का चुनाव भी उन्होंने जीता। वे मनोहर सरकार के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य तथा दूसरे में गृह मंत्री रहे।
पूर्व मंत्री चौ़ निर्मल सिंह की बेटी त्रिचा सरवारा और अनिल विज का दूसरी बार आमना-सामना हो रहा है। संयोग देखिए, चित्रा सरवारा को दूसरी बार भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ना पड़ रहा है। 2019 में कांग्रेस ने उनका टिकट काटा तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ी और अनिल विज के मुकाबले 44 हजार 406 वोट हासिल करके उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। कांग्रेस की वेणु सिंगला की जमानत जब्त हो गई और उन्हें मात्र 8 हजार 534 वोट मिले। आम आदमी पार्टी में सक्रिय रहने के बाद चित्रा ने फिर से कांग्रेस में वापसी कर ली थी।
वे इस बार भी कांग्रेस टिकट की प्रबलतम दावेदार थी। कांग्रेस ने उनके पिता निर्मल सिंह को तो अम्बाला सिटी से टिकट दे दिया लेकिन चित्रा की जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री व सिरसा सांसद कुमारी सैलजा की सिफारिश पर परमिंदर पाल सिंह ‘परी’ को टिकट दिया। ऐसे में कांग्रेस से बागी होकर चित्रा एक बार फिर आजाद प्रत्याशी के तौर पर मैदान में आ डटीं। अम्बाला कैंट की सीट पर फिलहाल तक भी अनिल विज और चित्रा के बीच ही मुकाबला देखने को मिल रहा है। कांग्रेस के परमिंदर पाल सिंह त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की कोशिश में हैं।
अम्बाला कैंट : विज के कार्यकाल में हुआ सर्वाधिक विकास
अम्बाला कैंट में अनिल विज को किसी भी सूरत में कम नहीं आंका जा सकता है। पिछले दस वर्षों के कार्यकाल में वे अम्बाला कैंट में कई बड़े प्रोजेक्ट्स लाने में कामयाब रहे हैं। दूसरा अनिल विज सरकार में रहते हुए भी लोगों से दूर नहीं रहे। सदर बाजार में उनका चाय का ठिकाना आज भी लोगों के बीच मशहूर है। चाय के इस ठिकाने पर नियमित रूप से जाना और शहर के विभिन्न इलाकों से आने वाले लोगों के साथ बैठना और विचार-विमर्श करना उनकी दिनचर्या में शामिल रहा। हालांकि पंजाब से सटा होने की वजह से कैंट एरिया में किसान आंदोलन के असर को भी नकारा नहीं जा सकता। इस एरिया के जाट और सिख वोटरों की लामबंदी भी दिखती है।