‘चितचोर’ ने दिलाई पहचान
सरोज वर्मा
बीते जमाने की चर्चित अभिनेत्री ज़रीना वहाब ने हिंदी फिल्म उद्योग में अपने विविध और प्रभावशाली अभिनय के जरिये पुख्ता पहचान बनाई। उनका नाम भारतीय सिनेमा उद्योग में एक सम्मानित अभिनेत्री के रूप में लिया जाता है। उनके समर्पण और विभिन्न पात्रों को प्रस्तुत करने की क्षमता ने भारतीय मनोरंजन की दुनिया पर दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ा है। अभिनेत्री ज़रीना वहाब कुछ दिन पहले किसी काम के सिलसिले में मोहाली में थीं तो उनसे हुई मुलाक़ात हुई। इस दौरान बातचीत में उन्होंने अपनी फ़िल्मी जर्नी के बारे बताया। ज़रीना ने बताया कि उनका जन्म 17 जुलाई 1959 को विशाखापत्तनम में हुआ और अभिनय को बतौर कैरियर 1970 के दशक में शुरू किया। यह भी कि राजश्री प्रोडक्शन ने उन्हें फर्स्ट ब्रेक दिया था।
आपकी पहली फ़िल्म कौन सी थी?
मैंने 1975 में फिल्म ‘इश्क़ इश्क़ इश्क़’ के साथ फिल्म उद्योग में बतौर एक्ट्रेस अपना डेब्यू किया। वहीं मैं मानती हूं कि मेरा पहला महत्वपूर्ण काम 1976 में फिल्म ‘चितचोर’ में था, जहां मैंने अमोल पालेकर के साथ मुख्य भूमिका निभाई। दरअसल, इस फ़िल्म ने ही मुझे पहचान दिलायी।
आपको फ़िल्म इंडस्ट्री में कैरियर बनाने के लिए कितनी कठिनाई का सामना करना पड़ा?
सच कहूं तो मुझे कोई ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी। बचपन से ही एक्टिंग का शौक़ था, स्कूल-कॉलेज में काफी प्ले वगैरह करती थी। बस एक मौक़ा मिला और ऑडिशन में सिलेक्ट हो गई। फ़िल्म इंडस्ट्री में आने के लिए किस्मत ने भी साथ दिया और मैं एक के बाद एक विभिन्न प्रकार की फिल्मों में अभिनय करती गई। इनमें ‘माय नेम इज़ ख़ान’ ‘अग्निपथ’ और ‘विश्वरूपम’ शामिल हैं। वहीं पॉपुलर टेलीविजन सीरीज ‘मधुबाला - एक इश्क़ एक जुनून’ में भी काम किया।
आपने सारी उम्र अभिनय किया जो अब भी जारी है। लेकिन आपका कोई ऐसा सपना जो अब तक पूरा न हुआ हो?
नहीं, ऐसा कोई सपना नहीं है। मैं भगवान की बहुत शुक्रगुजार हूं कि मुझे हमेशा उम्मीद से ज्यादा ही मिला। अभी तक मैं करीब 70-80 फ़िल्में कर चुकी हूं और अभी एक वेब सीरीज में मैं काम कर रही हूं जो जल्द ही जी 5 पर आने वाली है!