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चीन कर रहा ऊंची मूंछ से व्यापार भी और वार भी

06:29 AM May 14, 2024 IST
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आलोक पुराणिक

धंधा और झगड़ा दोनों अलग-अलग काम हैं। जो लोग लड़ते हैं, मारधाड़ में बिजी रहते हैं, वो धंधा अच्छा नहीं कर सकते। जो लोग धंधा बढ़िया करते हैं, वो लड़ाई-झगड़े में पड़ते नहीं हैं।
चीन की आफत यह है कि उसे धंधा भी करना है और नक्शेबाजी भी करनी है, मूंछ भी दिखानी है दुनिया को।
भारत और चीन के बीच जमकर कारोबार हो रहा है, इतना हो रहा है कि भारत-अमेरिका के बीच जितना कारोबार हुआ था, उससे भी ज्यादा कारोबार भारत और चीन के बीच हुआ।
चीन गलवान भी कर देता है कारोबार भी करता जाता है। चीन एक दिन हुंकारता है, फिर दूसरे दिन चीनी कंपनियां कहती हैं कि हमें कारोबार करने दिया जाये इंडिया में। पाकिस्तान का मसला साफ है, पाकिस्तान का काम खालिस आतंक मारधाड़ है, पाकिस्तान वाले कहीं भी दावा न करते कि उन्हें धंधा करना है। पाकिस्तान वालों को दो ही काम आते हैं- एक आतंक-मारधाड़, दूसरा भीख मांगना। पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, आर्मी चीफ सब भीख मांगने जाते हैं अमेरिका चीन जापान और भी न जाने कहां-कहां। पाकिस्तानी आर्मी ट्रेनिंग में सेना अफसरों को भीख की ट्रेनिंग दी जाती होगी।
पर चीन इतना बड़ा देश है कि सिर्फ मारधाड़ से काम नहीं चलता, धंधा भी करना होता है। मारधाड़ करते हुए धंधा करना बहुत मुश्किल हो गया है। या तो धंधा ही कर लो या मारधाड़ ही कर लो। दोनों करो, तो हाल चीन जैसा हो जाता है। सुबह गुंडागर्दी करो, शाम को फिर फेरी लगाते घूमो- ले लो मोबाइल ले लो, कार ले लो, बढ़िया माल, सस्ता सुंदर टिकाऊ। बोलो, क्या ले आऊं।
अमेरिका भी इस आफत से गुजर चुका है। अमेरिका शाणा मुल्क है। अमेरिका मारधाड़ अपनी जमीन पर नहीं करता। अमेरिका की सारी मारधाड़ उसकी जमीन से दूर होती है। अमेरिका गाजा पट्टी, फिलिस्तीन में लड़ता है। पर अमेरिका में कुछ मारधाड़ न होती। चीन की आफत यह है कि मारधाड़ उसकी सीमा पर आ जाती है। मारधाड़ घर में घुस जाये, तो टेंशन हो जाती है। अमेरिका दादागिरी अपने मुल्क से दूर करता है या करवाता है। चीन यह नहीं कर सकता।
चीन-भारत का कारोबार लगातार चल रहा है। कारोबार जब तेज होता है, तो लड़ाई स्थगित हो जाती है। भारत-पाकिस्तान का कारोबार अगर ठीक-ठाक चल रहा होता, तो शायद मारधाड़ कम हो जाती। पर आफत यह है कि पाकिस्तान के साथ कारोबार हो नहीं सकता, क्योंकि पाकिस्तान के पास कारोबार करने के लिए सिर्फ आतंक है, जिसकी ग्लोबल मार्केट में मांग नहीं है।

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