दिशा दिखाती बाल कहानियां
घमंडीलाल अग्रवाल
अनेक पुरस्कारों से सम्मानित प्रख्यात बाल साहित्यकार एवं जानी-मानी लेखिका सुकीर्ति भटनागर की नवीनतम बाल कृति है ‘नई दिशा।’ कृति में मनोरंजक, ज्ञानवर्धक एवं दिशा दिखाने वाली 12 बाल कहानियां हैं जो बच्चों को लुभाएंगी। ये कहानियां बाल मनोविज्ञान के धरातल पर रची गयी हैं।
कृति की प्रथम कहानी ‘नीलिमा को मिली सीख’ में बताया गया है कि जब नीलिमा को अनुचित व्यवहार का बोध हुआ तो उसे अपनी भूल समझ में आ गयी। ‘सुबह का भूला’ कहानी संदेश देती है कि यदि सुबह का भूला शाम को घर लौट आए तो वह भुला नहीं कहलाता है।’ ‘मिठुआ की उलझन’ में उलझन को ठीक ढंग से सुलझाने की तरकीब सुझाई गयी है। ‘प्यारी दादी’ का कहना है कि बड़ों की देखभाल एवं सम्मान करने में ही आनंद की अनुभुति होती है। ‘मैं हूं ना’ कहानी में बच्चों के प्रति मां की ममता का उल्लेख निहित है। ‘पिचकु बर्गर और बलवान पेठा’ पौष्टिक आहार के महत्व को रेखांकित करती दिखती है।
‘संवेदना’ कहानी के अनुसार संवेदनशीलता जीवन में नया उजाला फैलाती है व दूसरों के हृदय में अपनी जगह बनाती है। ‘स्वाभिमान’ कहानी से सीख मिलती है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है। ‘ऐसा क्यों है’ कहानी का कथन है कि प्रश्न चिन्ह लगाने को छोड़कर हर चीज को उसके मूल रूप में स्वीकार कर लेना उचित है। ‘समाधान’ कोरोना महामारी के समय की कहानी है जो जरूरतमंदों की सहायता करने की प्रेरणा देती है। ‘संकल्प’ आत्ममंथन करने पर बल देती है। ‘नई दिशा’ प्रतिकूल परिस्थितियों में नई दिशा तलाशने पर आमादा है। संग्रह की सभी कहानियों में प्रेम तत्वों का समावेश है जो बाल-मन को दिशा दिखाएंगी।