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बच्चों को रहता है इस त्योहार का इंतजार

08:08 AM Oct 16, 2024 IST
शाहाबाद में गरबड़े बनाता कुम्हार। -निस

शाहाबाद मारकंडा, 15 अक्तूबर (निस)
त्योहारों का समय शुरू हो गया है। इस समय बाजार में गरबड़े खूब बिक रहे हैं। इस बार बच्चों का गरबड़ा पर्व 17 अक्तूबर को मनाया जाएगा। इस पर्व का बच्चों को खासा इंतजार रहता है, क्योंकि इस दिन बच्चे घर-घर जाकर पैसे इकट्ठे करते हैं और परिजन भी अपने बच्चों के गरबड़ों में पैसे डालते हैं।
दशहरा और दीपावली के बीच मनाये जाने वाले गड़बड़ा पर्व का गांवों में अपना अलग ही महत्व है। इस पर्व के रोज छोटे बच्चे गरबड़े के बीच दीया रखकर घर-घर रोशनी का संदेश देने जाते हैं।
बच्चे घर-घर जाकर गाते हैं कि गरबड़े-गरबड़े दूध दे थारे घर में पुत दे। इसके बदले बच्चों को दुलार के रूप में राशि मिलती है। इस पर्व को लेकर एक मान्यता प्रचलन में है, जिसमें कहा गया है कि भगवान राम जब बनवास में थे उस समय वनवासियों ने दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था।
भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन महा रासलीला की थी। इस रोज गोपियों ने पूर्णिमा के चांद में भगवान से रासलीला की। ऐसे में गोपियों में अभिमान आ गया। गोपियों के अभिमान को दूर करने के लिए भगवान अदृश्य हो गए। उस समय चंद्रमा की रोशनी भी कम हो गई। ऐसा देख गोपियां दीपक लेकर भगवान को खोजने में जुट गई। गोपियों ने लताओं में छिपे भगवान श्रीकृष्ण को खोज लिया। इसी पर्व के रोज चंद्रमा की शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है। आज भी इस पर्व पर भक्त रात में खीर तैयार कर रात में चंद्रमा की रोशनी में रखते है और सवेरे भगवान का भोग लगाते हैं। इस पर्व के लिए गरबड़े को बेचकर आमदन पर कुम्हारों की भी नजर है।

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