For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

Child Mental Health : मां पर उठे हाथ, बच्चों के मन पर पड़े घाव... मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रही घरेलू हिंसा, शोध में हुए चौंकाने वाले खुलासे

07:45 PM Jun 01, 2025 IST
child mental health   मां पर उठे हाथ  बच्चों के मन पर पड़े घाव    मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रही घरेलू हिंसा  शोध में हुए चौंकाने वाले खुलासे
Advertisement

नई दिल्ली, 1 मई (भाषा)

Advertisement

Child Mental Health : भारत में घरेलू हिंसा का शिकार माताओं के बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य विकारों का खतरा होता है। एक अध्ययन में सामने आया कि घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के नाबालिग बच्चों को चिंता और अवसाद की समस्या हो सकती है। ‘पीएलओएस वन पत्रिका' में प्रकाशित निष्कर्ष भारत में दर्दनाक यादों के प्रति संवेदनशील स्कूल कार्यक्रमों और घरेलू हिंसा की रोकथाम की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।

बेंगलुरु स्थित ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज', सीवीईडीए कंसोर्टियम और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के शोधकर्ताओं ने माताओं व उनके नाबालिग बच्चों के लगभग 2,800 जोड़ों का अध्ययन किया। आंकड़े शहरी और ग्रामीण भारत के सात केंद्रों से जुटाए गये, जिसमें 12 से 17 वर्ष की आयु के नाबालिगों में मानसिक स्वास्थ्य विकारों और उनकी माताओं को प्रभावित करने वाले मनोवैज्ञानिक, शारीरिक और यौन शोषण के पहलुओं की जांच की गई। शोधकर्ताओं के मुताबिक, घरेलू हिंसा का सामना करने वाली माताओं के नाबालिग बच्चों में ‘चिंता और अवसाद' सहित सामान्य मानसिक विकारों का खतरा होता है।

Advertisement

अध्ययन में पााया गया, “अवसाद विकार विशेष रूप से शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और यौन दुर्व्यवहार से जुड़ा है जबकि चिंता विकार केवल शारीरिक और यौन दुर्व्यवहार से जुड़ा है।” भारत में तीन में से एक महिला को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता है, जिससे किशोरावस्था के दौरान बच्चों में चिंता, अवसाद, तनाव विकार और आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ने का खतरा अधिक होता है। शोधकर्ताओं ने बताया कि पश्चिमी देशों द्वारा किये गये अध्ययनों में इस संबंध को अच्छी तरह से प्रदर्शित किया गया है।

उन्होंने बताया कि भारत में किए गए अध्ययनों से सामने आया कि घरेलू हिंसा का शिकार होने वाली महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें गर्भपात, मृत बच्चा पैदा होना या समय से पहले जन्म होना और बच्चों में भावनात्मक, व्यवहारिक और शैक्षणिक कठिनाइयां शामिल हैं। इस बारे में हालांकि जानकारी का अभाव बना हुआ है कि घरेलू हिंसा का सामना करने वाली माताओं से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य कैसे प्रभावित होता है। घरेलू हिंसा से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव के लिए इसके विभिन्न पहलुओं संयुक्त परिवार और भावनात्मक कारणों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, संयुक्त परिवार में अपने पति के परिवार के साथ रहने वाली महिला के लिए भले ही परिवार में शामिल अन्य महिलाओं से सहारा मिले लेकिन पुरुष पर परिजनों का दबाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से घरेलू हिंसा को भी बढ़ावा दे सकता है। अध्ययन में बताया गया कि महिलाओं को उनके माता-पिता के घर लौटने के लिए मजबूर कर भावनात्मक हिंसा, चोट पहुंचाने के लिए पत्थर व रसायनों का सहारा लेना और लड़का पैदा होने तक गर्भनिरोधक रोकना घरेलू हिंसा के कुछ अन्य प्रकार हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अध्ययन के निष्कर्ष पिछले अध्ययनों के ही अनुरूप हैं, जो दर्शाते हैं कि अपने घरों में हिंसा देखने वाले नाबालिगों के व्यवहार और शैक्षणिक प्रदर्शन में बहुत ज्यादा परिवर्तन होता है। किशोरावस्था एक महत्वपूर्ण अवधि है, जिसके दौरान ज्यादातर उपलब्धियां विचार प्रक्रिया, सामाजिक आचरण और व्यक्तित्व से ही हासिल की जाती हैं। किशोरावस्था एक ऐसी अवधि भी हो सकती है, जब कोई बच्चा अपनी मां को घरेलू हिंसा का शिकार हुए देख सहम जाए और इसका प्रभाव उसके पूरे जीवन पर पड़ सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा कि मां को घरेलू हिंसा का शिकार होते हुए देखने वाले बच्चों में जीवन में आगे चलकर मनोवैज्ञानिक विकारों का खतरा अधिक होता है।

Advertisement
Tags :
Advertisement