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निरंकारी बाल समागम में बच्चों ने दी रंगारंग प्रस्तुतियां, सतगुरु के उपदेशों को जीवन में अपनाने का दिया संदेश

09:36 PM Jun 19, 2023 IST

ट्रिब्यून न्यूज सर्विस

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चंडीगढ़, 19 जून

सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के आशीर्वाद से चंडीगढ़ के सेक्टर 30 निरकारी सत्संग भवन में जोनल स्तरीय बाल समागम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर बच्चों ने रंगारंग प्रस्तुतियों के माध्यम से निरंकारी मिशन के बहूमूल्य शिक्षा प्रदान की। गीत, कविता, स्किट के माध्यम से सतगुरु के उपदेशों को जीवन में अपनाने की सुंदर व्याख्या की गई।

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इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश शिमला के पास रोडू से विशेष तौर पर आए बहन रोनिका ने सत्संग में अपने विचार रखते हुए कहा कि निरंकारी श्रद्धालुओं के चेहरे पर सदैव खुशी व मुस्कान रहती है। निरंकारी मिशन में बच्चों में बचपन से ही प्यार, नम्रता, सदभावना, मानवता, भाईचारा वाले संस्कार भरे जा रहे हैं। ज्ञान के बारे में हमारे ग्रन्थ कहते हैं यथार्थ दर्शनम ज्ञानम भाव जो वस्तु जैसी है उसे उसी रूप में धारण करना । यानि माया को माया के रूप में और ब्रहम को ब्रहम के रूप में जान लेना ही ज्ञान है। इसलिए समय रहते निराकार का बोध अवश्य कर लें।

उन्होंने एक उदाहरण के माध्यम से समझाते हुए कहा कि जिस प्रकार धागा जब सुई के सम्पर्क में आता है तो सुई यहां यहां से गुजरती है धागे का सफर अपने आप तय हो जाता है । इसी प्रकार जब हमारा जीवन निरंकार के संपर्क में आता है तो सतगुरु के दर्शाये मार्ग पर वैसे वैसे चलना आरम्भ कर देते हैं। हमारा जीवन भी वैसा ही बन जाता है। उन्होंने कहा कि स्वासों का आगमन जारी है। परमात्मा कोई भोजन है जिसकी जरूरत दो चार घण्टे में पड़ेगी यह कोई पानी है जिसकी आधे घंटे में जरूरत पड़ेगी। नहीं साध संगत परमात्मा तो ऑक्सिजन है जिसकी हर पल हर क्षण जरूरत पड़ती है।

उन्होंने आगे कहा कि सत्य पर कोई विश्वास नहीं करता, झूठ पर सब विश्वास करते हैं। जैसे एक दूध बेचने वाले को गली गली घूमना पड़ता है, परन्तु शराब बेचने वाले को कहीं नही जाना पड़ता। लोग दूर-दूर से स्वयं उसके पास जाते हैं। इसी प्रकार सत्य को बार बार परीक्षा देनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि बचपन से सुना करते थे कि मन गया तो कुछ नही गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया और चरित्र गया तो सबकुछ गया। इसका मतलब चरित्र का महत्व इन सबसे ऊपर है। जिस प्रकार गाय की पहचान उसके सींगो से नहीं बलिक वो कितना अधिक दूध देती है, से होती है, उसके रंगरूप से नहीं। इसी प्रकार इंसान की पहचान उसके भीतरी गुणों से होती है। ऐसे ही सतगुरु माता जी दुनिया में प्यार फैला रहे हैं। यही पैगाम इन बाल समागमों के माध्यम से भी दिया जा रहा है। और यह बच्चे भी संस्कार युक्त होने के कारण अलग नज़र आ रहे हैं। उन्होंने बच्चों को प्रेरणा देते हुए कहा कि बचपन में जिस मां को बच्चा मां मेरी है परंतु बड़े होकर मां तेरी है को नही अपनाना है। यही संस्कार बचपन से भरे जा रहे हैं कि बड़ों का आदर करना है। माता पिता का नाम रोशन करना और मिशन का नाम आगे बढ़ाना है।

इस अवसर पर चंडीगढ़ जोन के जोनल इंचार्ज ओपी निरंकारी जी व संयोजक नवनीत पाठक जी ने अभिनंदन व स्वागत किया तथा बच्चों द्वारा दिए गए सतगुरु के संदेश की भरपूर सराहना की।

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