बच्चों ने कीर्तन कर मनायी भगत सिंह की जयंती
अम्बाला शहर, 29 सितंबर (हप्र)
गुरु ग्रंथ साहिब विद्या केंद्र सेवा समिति, गांव बहबलपुर में शहीद ए आजम भगत सिंह की 118वीं जयंती के उपलक्ष्य में बच्चों ने कीर्तन किया। इस अवसर पर कथावाचक हरप्रीत सिंह मिसल बुड्ढा दल निहंग सिंह जत्थेदार ने बताया कि भारत के इतिहास में कई वीर सपूतों के नाम दर्ज हैं जिनमें से भगत सिंह का नाम सर्वोपरि है। वह आज भी अपने जज्बे और देशभक्ति के लिए याद किए जाते हैं।
28 सितंबर, 1907 को पश्चिमी पंजाब (वर्तमान में पाकिस्तान) में जन्मे भगत सिंह ने देशभक्ति की एक ऐसी मिसाल कायम की जो आज भी भारतवासियों के दिलों में जिंदा है। देश की आजादी की लड़ाई में अपना अहम योगदान देने वाले भगत सिंह ने 24 साल की छोटी सी उम्र में शहादत को गले लगा लिया था। उन्होंने कहा कि अपनी बहादुरी और देश की आजादी के लिए अपनी दीवानगी से उन्होंने अंग्रेजी सरकार की जड़ें हिला दी थी।
उन्होंने उपस्थितजनों को बताया कि अपना जीवन भारत पर न्योछावर करने वाले भगत सिंह को 23 मार्च, 1931 में फांसी दे दी गई थी लेकिन उनकी शहादत बेकार नहीं गई और उनकी लगाई आजादी की चिंगारी ने आग बनकर पूरे ब्रिटिश शासन को जला डाला। उनकी जयंती पर हम उन्हें शत शत नमन करते हैं। इस अवसर पर संस्था की ओर से प्रधान भूपिंदर कौर, सेक्रेटरी महान सिंह पटियाला, चेयरमैन बाबा ठाकुर सिंह, मेंबर सुखविंदर सिंह बहबलपुर, स्वरूप सिंह बडौला, पूरन सिंह ललाना, सुरजीत सिंह, मनिंदर सिंह बडोला, सेवादार जगतार सिंह व गांववासी मौजूद रहे।