मुख्य समाचारदेशविदेशखेलपेरिस ओलंपिकबिज़नेसचंडीगढ़हिमाचलपंजाबहरियाणाआस्थासाहित्यलाइफस्टाइलसंपादकीयविडियोगैलरीटिप्पणीआपकी रायफीचर
Advertisement

बचपन की स्मृतियों के अक्स

12:32 PM Aug 29, 2021 IST

ओमप्रकाश कादयान

Advertisement

‘ऐसा था नानी का बचपन’ वरिष्ठ लेखिका डॉ. अलका अग्रवाल की नई प्रकाशित पुस्तक है। लेखिका ने वैसे तो कई विधाओं पर लिखा है, पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, किन्तु बाल साहित्य सृजन पर इन्होंने विशेष बल दिया है। यही कारण है कि बाल साहित्य पर केन्द्रित इनकी अधिक पुस्तकें हैं। ‘ऐसा था नानी का बचपन’ पुस्तक बचपन की मधुर स्मृतियों पर केन्द्रित है। आज का बचपन भले ही मोबाइल, टी.वी., कम्प्यूटर, वीडियो गेम्स में खो गया हो, किन्तु 20-25 वर्ष पहले तक का बचपन आज़ाद पंछी-सा था। समूह में खेलना, तीज त्योहारों को बिना किसी औपचारिकता के मस्ती से, दिल से मनाना, जोहड़-तालाबों, नहरों में नहाना-तैरना, खेतों में घूमना, झूला-झूलना, कंचे खेलना, पतंग उड़ाना, रूठना-मनाना, ये सब होता था, जिससे बचपन को जीया जाता था। यही कारण है कि बचपन के वो दिन भुलाए नहीं भूलते।

‘ऐसा था नानी का बचपन’ डॉ. अलका अग्रवाल की इस पुस्तक में छठे व सातवें दशक के बचपन की कहानी है। लेखिका को अपना बचपन याद आया, बच्चों को सुनाया और बालकथा, संस्मरण व बाल उपन्यास शैली में इसे पुस्तक के रूप में कलमबद्ध किया। लेखिका ने अपने बचपन की अविस्मरणीय यादों को मोतियों की तरह समेटा है। लेखिका का मानना है कि अपने बचपन की स्मृतियां मुझे एक खज़ाने की भान्ति मूल्यवान लगती हैं। लेखिका बचपन में खो कर लिखती है कि शाम को सब बच्चे मिलकर जो धमा-चौकड़ी मचाते, मज़ा आ जाता। यह पुस्तक केवल बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि बड़ों के लिए भी पठनीय है।

Advertisement

पुस्तक : ऐसा था नानी का बचपन लेखिका : डॉ. अलका अग्रवाल प्रकाशक : साहित्यागार, चौड़ा रास्ता, जयपुर पृष्ठ : 112, मूल्य : रु. 225.

Advertisement
Tags :
स्मृतियों