चौटाला जहां से फली ताऊ की सियासी वंश बेल
दिनेश भारद्वाज
चौटाला गांव के नाम का जिक्र आते ही हर किसी के जहन में देवीलाल और चौटाला परिवार ही आता है। हरियाणा की राजनीति के कई नेताओं का सरनेम ‘चौटाला’ है। शायद, देश का यह अपनी तरह का पहला राजनीतिक गांव है, जिसने देश को एक डिप्टी पीएम, दो मुख्यमंत्री, तीन लोकसभा व दो राज्यसभा सांसदों के अलावा चौदह विधायक दिए हैं। इनके अलावा उन नेताओं की भी लम्बी संख्या है, जो राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन विधानसभा या संसद में दस्तक नहीं दे सके।
लम्बे समय तक सत्ता का केंद्र रहे चौटाला गांव की गिनती सिरसा पार्लियामेंट के समृद्ध गांवों में होती है। गांवों की गलियां पक्की हैं और पुख्ता साफ-सफाई। बिजली-पानी की भी खास दिक्कत है नहीं। लेकिन यहां के बच्चों के सामने सबसे बड़ा संकट है हॉयर एजुकेशन का। गांव में बारहवीं तक की पढ़ाई के लिए लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूल हैं।
गांव में कॉलेज की मांग बरसों से चली आ रही है लेकिन पूरी नहीं हो पाई। हरियाणा के गठन के बाद से लेकर अभी तक शायद ही कोई ऐसा चुनाव होगा जब इस गांव का कोई व्यक्ति विधानसभा, लोकसभा या राज्यसभा में न पहुंचा हो। लगातार छह वर्षों से भी अधिक समय तक ओमप्रकाश चौटाला प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। राज्य की मौजूदा भाजपा सरकार में भी सवा चार वर्षों से अधिक समय तक दुष्यंत चौटाला डिप्टी सीएम रहे, लेकिन गांव में कॉलेज स्थापित नहीं हो सका। ऐसे में इस गांव के विद्यार्थियों को हॉयर एजुकेशन के लिए राजस्थान का संगरिया सबसे बड़ा सहारा बना हुआ है। नजदीक होने की वजह से गांव के अधिकांश विद्यार्थी ग्रेजुएशन के लिए राजस्थान जाते हैं। इसका एक नुकसान उन्हें यह उठाना पड़ता है कि उनकी डिग्री पर राजस्थान का पता होता है। कई बार नौकरियों में दूसरे राज्यों की डिग्री को कथित तौर पर सही नहीं माना जाता है। हालांकि चौटाला गांव से करीब 35 किमी दूर डबवाली में भी कॉलेज है।
वहीं स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए चौटाला गांव के विद्यार्थी सिरसा स्थित चौ. देवीलाल यूनिवर्सिटी में जाते हैं। लगभग 12 हजार मतदाताओं वाले इस गांव में बस अड्डा तक नहीं है। भूतपूर्व डिप्टी पीएम चौ. देवीलाल ने 1987 में बस अड्डा बनवाया था, लेकिन यह कामयाब नहीं हो पाया। आज यहां कूड़े के ढेर हैं।
गांव में चौ. देवीलाल की पैतृक हवेली है। इसमें उनके बेटे जगदीश चौटाला के पुत्र और हरियाणा एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन आदित्य देवीलाल चौटाला रहते हैं। देवीलाल परिवार में अब आदित्य चौटाला ही ऐसे हैं, जिनका सबसे अधिक आवागमन लगा रहता है।
राजस्थान से सटे इस गांव में सबसे पहले चौ. देवीलाल के भाई साहब राम संयुक्त पंजाब में एमएलसी रहे। इसके बाद देवीलाल सिरसा, फतेहाबाद, भट्ठू व महम से विधायक बने। वह रोहतक और सोनीपत के अलावा राजस्थान के सीकर से सांसद भी बने। चौ. देवीलाल दो बार उपप्रधानमंत्री बने। उनके बेटे प्रताप सिंह चौटाला 1967 में ऐलनाबाद से विधायक बने। वहीं ओमप्रकाश चौटाला चार विधानसभ हलकों- रोड़ी, ऐलनाबाद, उचाना और नरवाना से विधायक रहे। चौ. रणजीत सिंह 1987 में रोड़ी और 2019 में रानियां से विधायक रहे।
अजय-अभय की भी हुई एंट्री
चौटाला परिवार से अजय सिंह चौटाला और अभय चौटाला की भी राजनीति में एंट्री यहां से पूरे तामझाम से हुई थी। अभय चौटाला तो सिरसा जिला परिषद के चेयरमैन भी रहे। अजय सिंह चौटाला डबवाली के अलावा राजस्थान के दातारामगढ़ और नोहर से भी विधायक रह चुके हैं। वह भिवानी से सांसद भी रहे। वहीं अभय चौटाला पहली बार रोड़ी और फिर ऐलनाबाद से विधायक बने। दरअसल, ओम प्रकाश चौटाला ने नरवाना और रोड़ी से एक साथ चुनाव लड़ा था। दोनों जगहों से जीतने के बाद उन्होंने रोड़ी सीट खाली की और उपचुनाव में अभय की रोड़ी के जरिये पहली बार विधानसभा में एंट्री हुई।
दोनों सदनों में पहुंचे दुष्यंत
पूर्व सीएम ओपी चौटाला के पौत्र दुष्यंत चौटाला भी दोनों सदनों यानी लोकसभा और विधानसभा में पहुंच चुके हैं। 2014 में दुष्यंत हिसार से इनेलो टिकट पर सांसद बने। इसके बाद 2019 में उन्होंने खुद की जननायक जनता पार्टी के टिकट पर उचाना कलां से चुनाव जीता और पहली बार विधानसभा में दस्तक दी। वह भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम भी रहे। दुष्यंत के छोटे भाई दिग्विजय चौटाला ने पहले जींद में उपचुनाव लड़ा और फिर 2019 में सोनीपत से पार्लियामेंट, लेकिन जीत नहीं सके। वहीं अभय चौटाला के बेटे अर्जुन और कर्ण चौटाला की अभी तक लोकसभा व विधानसभा में एंट्री नहीं हो पाई है।
इन्होंने भी बढ़ाया चौटाला का मान
देवीलाल परिवार के ही डॉ. केवी सिंह तो विधानसभा नहीं पहुंच सके लेकिन 2019 में उनके बेटे अमित सिहाग डबवाली से विधायक बने। वहीं ओमप्रकाश चौटाला की पुत्रवधू नैना चौटाला डबवाली व बाढड़ा से विधायक बनीं। इनके अलावा इसी गांव के मनीराम डबवाली से दो बार विधायक रहे। मनीराम के बेटे डॉ. सीताराम भी दो बार डबवाली का प्रतिनिधित्व विधानसभा में कर चुके हैं। गांव के जयनारायण वर्मा ने 1977 में बरवाला से चुनाव जीता। इसी तरह से रोड़ी से बृजलाल गोदारा भी विधायक रहे।
वर्तमान में भी छह विधायक
चौटाला ऐसा अकेला गांव है, जिसके मौजूदा विधानसभा में भी छह विधायक हैं। उचाना कलां से दुष्यंत चौटाला, बाढड़ा से नैना चौटाला, डबवाली से अमित सिहाग, ऐलनाबाद से अभय सिंह चौटाला व रानियां से चौ. रणजीत सिंह विधायक बने। हालांकि रणजीत सिंह अब विधानसभा से इस्तीफा दे चुके हैं। वहीं सिरसा से हलोपा विधायक गोपाल कांडा भी पुराने चौटाला गांव से ही बताए जाते हैं।
परिवार के चार लोग लड़ रहे लोकसभा चुनाव
यह भी अपनी तरह का पहला मौका है जब चौटाला गांव के चार लोग लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से देवीलाल परिवार के तीन सदस्य-एक दूसरे के सामने ही चुनावी रण में डटे हैं। हिसार से देवीलाल के सुपुत्र चौ. रणजीत सिंह भाजपा टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। उनके सामने उनके बड़े भाई ओमप्रकाश चौटाला की पुत्रवधू नैना चौटाला जजपा से और दूसरे भाई प्रताप चौटाला की पुत्रवधू सुनैना चौटाला इनेलो टिकट पर चुनावी रण में डटी हैं। चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला कुरुक्षेत्र से इनेलो टिकट पर लोकसभा चुनाव के लिए अपना भाग्य आजमा रहे हैं।
ये रहे संसद में
चौ. देवीलाल रोहतक व सोनीपत के अलावा सीकर से सांसद रहे। वहीं अजय सिंह चौटाला भिवानी से सांसद चुने गए। अजय के बेटे दुष्यंत चौटाला हिसार से सांसद रह चुके हैं। ओमप्रकाश चौटाला और चौ. रणजीत सिंह राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं।