चैटबोट प्रौद्योगिकी से खुलेंगे रोजगार के लाखों द्वार
कीर्तिशेखर
चैटबॉट प्रौद्योगिकी एक ऐसी कंप्यूटर तकनीक है, जो मानव वार्तालाप का लिखित या मौखिक अनुकरण व प्रसंस्करण करती है, जिसके चलते इंसान मशीनों के साथ संवाद करने में सक्षम होता है, जैसे वह किसी जिंदा इंसान से बात कर रहा हो। कुछ साल पहले शुरू हुई चैटबॉट तकनीकी शुरू में बेहद सरल थी और इसके प्रवाह में जो अटकन थी, उसके कारण अहसास होता रहता था कि जैसे आप मशीन से ही बात कर रहे हैं। लेकिन प्रौद्योगिकी उन्नत होने के चलते आज इंसानों की तरह कंप्यूटर या मशीनें बातें करती हैं। ये मशीनें सवालों के जवाब ऐसे देती हैं, मानो वे सोच-विचार में सक्षम हैं। दरअसल यह एक तकनीकी सफलता है। चैटबॉट एआई के स्वचालित भाषा, नियमों और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण तथा मशीन लर्निंग के मेल से बनी तकनीक है। इस तकनीक में ये सारी चीजें एक साथ इस तरह जुड़ी होती हैं जैसे सब क्रमशः एक ही गतिविधि का हिस्सा हों। पहले सिर्फ घोषणा करने वाली चैटबॉट तकनीक थी, लेकिन अब संवादात्मक चैटबॉट तकनीक भी है जिसमें कोई मशीन या रोबोट आपसे मुखातिब होता है।
विकास की संभावनाएं
भविष्य में चैटबॉट गतिविधियों में जबरदस्त इजाफा होने जा रहा है, क्योंकि तब औद्योगिक कंपनियां इंसानों की जगह अपने तमाम सामान्य कामों के लिए चैटबॉट तकनीक का इस्तेमाल किया करेंगी। जैसे हाल ही में बैंक अपने कस्टमर केयर डिपार्टमेंट के ज्यादातर हिस्सों में चैटबॉट तकनीक का इस्तेमाल शुरू कर चुके हैं, जिससे जब कोई ग्राहक इस बैंक में अपनी किसी समस्या को लेकर फोन करता है, तो उसकी समस्या का समाधान किसी व्यक्ति के बजाय मशीन करने की कोशिश करती है। हालांकि यह उतनी सफल प्रक्रिया भी नहीं है। बावजूद इसके चैटबॉट का भविष्य उज्ज्वल है। माना जा रहा है कि आने वाले सालों में जब कम्युनिकेशन के लिए 5जी की तेज डाटा तकनीक उपलब्ध होगी, तब मशीनें इंसान की तरह बहुत सफाई से वीडियो कान्फ्रेंसिंग में हर सवाल का जवाब दे रही होंगी।
भविष्य में हर व्यक्ति के पास अपना डुप्लीकेट या कार्यात्मक निजी सहायक होगा। जाहिर है इस फील्ड में कैरियर का जबरदस्त स्कोप है। एक तरफ जहां चैटबॉट जीपीटी के उन्नत होने के चलते बहुत सारे लोगों की नौकरियां खत्म हो जाएंगी, वहीं दूसरी तरफ खुद चैट जीपीटी तकनीक को सुचारू रूप से प्रबंधित करना एक बड़े कैरियर का रूप ले लेगा। क्योंकि करोड़ों लोग सीधे अलग-अलग कामों के लिए चैट जीपीटी का सहारा ले रहे होंगे। समझ लीजिए चैट जीपीटी एक ऐसा मशीन लर्निंग आधारित टूल है, जिसके दायरे में डिजिटल दुनिया में मौजूद अरबों, खरबों के कंटेंट की चाबी है। इसलिए लोग भले चैट जीपीटी को मशीन समझें, लेकिन इसकी क्षमता सामान्य इंसान से कई गुना ज्यादा कंटेंट के समंदर में से सटीक जानकारियां और सटीक स्ट्रक्चर ढूंढ़कर ले आएगी। इसलिए बड़े पैमाने पर चैट जीपीटी तकनीक के एक्सपर्ट लोगों की जरूरत पड़ेगी। माना जाता है कि साल 2026 तक ही 8 से 10 लाख चैट जीपीटी इंजीनियरों की जरूरत भारत जैसे देश में होगी। अनुमान है कि देश में 2030 तक 28 से 30 लाख चैट जीपीटी प्रॉम्ट इंजीनियरिंग के प्रोफेशनल मौजूद होंगे।
इसलिए चैट जीपीटी प्रॉम्ट इंजीनियरिंग में कैरियर का स्कोप बहुत ज्यादा है। इस क्षेत्र का एक्सपर्ट बनने के लिए हमें सीखना होगा कि कैसे एक बड़े भाषा मॉड्यूल का उपयोग करें। ओपन एआई और ओपन एआई के चलते चैट जीपीटी प्रॉम्ट इंजीनियरिंग भविष्य के चमकदार कैरियर में गिनी जाती है। इसलिए दुनिया में तेजी से चैट जीपीटी इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में शुरू हो चुका है। हर इंजीनियरिंग कॉलेज और यूनिवर्सिटी जो चैट जीपीटी पाठ्यक्रम पेश कर रही है, वह अपना सर्वोत्तम इंटरेक्टिव प्रोग्राम रख रही है। चैट जीपीटी तकनीक को अभी नौकरियां लेने वाली तकनीक समझा जाता है, वह तकनीक जल्द ही नौकरियां देने वाली तकनीक में बदल जायेगी। लेकिन इसके लिए अतिरिक्त तैयारियां करनी होंगी, उम्मीदवारों को भी और उनके पीछे मौजूद उनके सपोर्ट सिस्टम को भी।
चैट जीपीटी दरअसल हमारे सभी तरह के कामकाज में आमूलचूल परिवर्तन करने जा रही है। इसके जरिये जहां स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे बिना अध्यापकों के ही अपना आइडिया मजबूत कर लेंगे, साथ ही विभिन्न तरह के जटिल डॉक्यूमेंट्स की तकनीक को एक सरल तकनीक में तब्दील कर देंगे। चैट जीपीटी सिर्फ एक क्षेत्र विशेष के लिए जरूरी नहीं होगी। भविष्य में हर ऑफिस कर्मचारी को चैट जीपीटी के साथ काम करना आना पड़ेगा। जैसे आजकल हर काम के लिए हम लैपटॉप से उलझे रहते हैं, उसी तरह भविष्य में हर तरह के काम और रिसर्च के लिए हमें चैट जीपीटी सहायक की जरूरत पड़ेगी। तब यह नौकरी नहीं सहूलियत बन जायेगी। मतलब यह कि आने वाले दिनों में चैट जीपीटी इंजीनियंरिंग की भारी मांग होने वाली है। इसलिए देश विदेश के ज्यादातर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम कराने वाले संस्थान चैट जीपीटी प्रौद्योगिकी पर अपना डिग्री पाठ्यक्रम लेकर आ रहे हैं। भारत में भी इस साल के अंत तक करीब करीब सभी इंजीनियरिंग संस्थानों का यह हिस्सा होगा। -इ.रि.सें.