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समता का दान

06:35 AM Sep 04, 2023 IST

राम शास्त्री पेशवा के यहां दानाध्यक्ष का काम करते थे। वह भाई-भतीजावाद के सख्त खिलाफ थे। एक दिन जब नाना फड़नवीस उनके पास बैठे थे, तब उनके सगे भाई दक्षिणा लेने आ पहुंचे। उन्हें देखकर नाना फड़नवीस ने राम शास्त्री से कहा ‘आप अपने भाई को कम से कम बीस रुपये दक्षिणा दें।’ उनकी बात सुनकर राम शास्त्री ने कहा, ‘नाना जी, मेरा भाई कोई विशेष विद्वान‍ नहीं है। वह अन्य ब्राह्मणों की तरह साधारण व्यक्ति है| इसलिए इन्हें भी दो रुपये दक्षिणा ही मिलेगी। दानाध्यक्ष राम शास्त्री के यहां परिजन के प्रति किसी प्रकार के विशेष पक्षपात की गुंजाइश नहीं है।’ राम शास्त्री की बात सुनकर नाना फड़नवीस निरुत्तर हो गए और उनके भाई को दो रुपये से ही संतोष करना पड़ा।

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प्रस्तुति : अक्षिता तिवारी

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