जजपा नेता केसी बांगड़ सहित 29 के खिलाफ चार्जशीट दायर
कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 5 जुलाई
हरियाणा सिविल सेवा (एचसीएस) के 66 पदों पर 21 साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के शासन में हुई भर्ती की अनियमितता के मामले में पंचकूला स्थित एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने हिसार के जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार मित्तल की अदालत में जिन 29 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है, उनमें हरियाणा लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य एवं इस समय जजपा नेता केसी बांगड़ के अलावा आयोग के सचिव सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हरदीप सिंह भी शामिल हैं। इसके अलावा एचपीएससी के पांच पूर्व सदस्यों, नौ एक्जामिनर के अलावा 13 चयनित एचसीएस को भी आरोपी बनाया है।
अदालत ने सभी आरोपियों को 10 अगस्त के लिए नोटिस जारी किया है। वहीं, अदालत में पेश हुए एसीबी के डीएसपी शरीफ सिंह ने कहा कि वे 20 दिन के अंदर सभी आरोपियों को चालान की हार्ड कॉपी दे देंगे।
एसीबी ने आयोग के सदस्य पूर्व सदस्य महेंद्र सिंह शास्त्री, एनएन यादव, जगदीश राय, नरेंद्र विद्यालंकार, दयाल सिंह और एक्जामिनर पैनल में शामिल प्रोफेसर जेसी कैरिरयन कैप्पन, डॉ. महेश्वरी प्रसाद, प्रोफेसर चंद्र मोउली, डॉ. आरके बाॉस, पुष्पेंद्र कुमार, जगदीश सिंह, एसके वर्मा, प्रेम सागर चतुर्वेदी, दर्वेश गोपाल को भी आरोपी बनाया गया है। इसी प्रकार 13 चयनित अभ्यर्थी वत्सल वशिष्ठ, कुलधीर सिंह, रणजीत कौर, कमलेश कुमार, सरिता मलिक, अशोक कुमार, राकेश कुमार, पूनम नाड़ा, दिलबाग सिंह, वीना हुड्डा, जग निवास, सुरेंद्र कुमार व जगदीप को भी आरोपी बनाया है। जांच के दौरान जिन तीन सदस्यों सुरेश कुमार गुप्ता, गुलशन भारद्वाज और मेहर सिंह सैनी की मृत्यु हो चुकी है, उनको आरोपी नहीं बनाया गया है। इसी प्रकार परीक्षा नियंत्रक बनवारी लाल के अलावा एक्जामिनर डॉ केडी पांडे, डॉ. विवेक पांडे, आरके पूनिया, देवेंद्र गोपाल को भी आरोपी नहीं बनाया गया है। इनमें डॉ. केडी पांडे की मृत्यु को चुकी है और बाकियों के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।
एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा चार्जशीट दाखिल करने से पहले ही हरियाणा लोक सेवा आयोग के 6 पूर्व सदस्यों सतबीर सिंह बढ़ेसरा, छत्तर सिंह, ओपी बिश्नोई, डॉ. हुड्डा, युद्धवीर आर्य और डुंगर राम ने हिसार अदालत में अग्रिम जमानत याचिका के लिए आवेदन किया है। इस जमानत याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई होगी। हालांकि एसीबी ने इनमें से किसी को भी आरोपी नहीं बनाया है। जमानत याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एमएस नैन ने बताया कि उन्होंने यह जमानत याचिका 1 जुलाई को दायर की थी और कहा कि वर्ष 2001 की एचसीएस भर्ती के दौरान यह सभी आयोग के सदस्य ही नहीं थे। इन सभी की नियुक्तियां बाद में हुई थी। इसके अलावा एफआईआर में भी इनको आरोपी नहीं बनाया गया था। इस पर अदालत ने एसीबी से 6 जुलाई के लिए जवाब मांगा है।
बिना उत्तर लिखे भी दे दिए थे अंक
जिस मामले में एसीबी ने चार्जशीट दाखिल की है उसमें उत्तर पुस्तिका में कटिंग, ओवर राइटिंग, अंकों को बढ़ाना व घटना और साक्षात्कार में टॉपर को कम और कम अंक वालों को ज्यादा अंक देने की अनियमितताएं सामने आई है। कई अभ्यर्थी तो ऐसे भी थे जिनकों मैरिट के आधार पर साक्षात्कार में नहीं बुलाया जा सकता था तो उनकी उत्तर पुस्तिका में अंकों को बढ़ा दिया गया। एसीबी की जांच रिपोर्ट के अनुसार 1 मार्च, 1999 को एचसीएस के कुल 66 पदों पर आवेदन मांगे गए थे और 21 हजार से अधिक व्यक्तियों ने आवेदन किया था। तीन मई, 2002 को परीणाम घोषित किया गया। जांच के दौरान साक्षात्कार के लिए बुलाए गए 195 अभ्यर्थियों में से 117 की 696 उत्तर पुस्तिका को जांचा गया तो 101 अभ्यर्थियों की 198 उत्तर पुस्तिका में अनियमितताएं मिली। इन अनियमितताओं में ओवरराइटिंग, अंकों को बढ़ाना व घटाना, अलग-अलग स्याही का प्रयोग करना, पेज खाली छोड़ देना, प्रश्नों के उत्तर न लिखने वालों को भी अंक दे देना शामिल थी। जांच एजेंसी ने 98 उत्तर पुस्तिकाओं को जांच के लिए एफएसएल में भेजा तो उनमें बड़े पैमाने पर टैंपरिंग साबित हुई। जांच के दौरान एक्जामिनर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। जांच के दौरान कुल 15 अभ्यर्थियों को अनुचित लाभ दिया जाना पाया गया। कांग्रेस नेता कर्ण सिंह दलाल 78 अभ्यर्थियों की 465 उत्तर पुस्तिकाओं के आधार पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की और इस भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने इसकी जांच की और 35 अभ्यर्थियों की 54 उत्तर पुस्तिका में अंकों को घटना व बढ़ाना पाया गया गयाा। इसके बाद विजिलेंस जांच की अनुमति मिली थी।