For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

वक्त की जरूरतों के हिसाब से परीक्षाओं के पैटर्न में बदलाव

06:48 AM Oct 24, 2024 IST
वक्त की जरूरतों के हिसाब से परीक्षाओं के पैटर्न में बदलाव
Advertisement

नरेंद्र कुमार
कैरियर के क्षेत्र में कई बातें बहुत चुपके से और धीरे-धीरे होती हैं, जिन्हें आम विद्यार्थियों के लिए तब तक समझ पाना मुश्किल होता है, जब तक वे पूरी तरह से हो नहीं जातीं। हाल में बहुत धीरे से परीक्षाओं के पैटर्न में भी यह बदलाव देखने में आ रहा है। खासकर नई शिक्षा नीति के आने के बाद से परीक्षाओं का पैटर्न बहुत धीमी गति से मगर निरंतर बदल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में परीक्षाओं में मूल्यांकन के दृष्टिकोण को लेकर सुधार हुए हैं। जीवन और शिक्षा में प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग और छात्रों के समग्र विकास को ध्यान में रखकर ये बदलाव किए जा रहे हैं, जो कुछ इस तरह के हैं-

Advertisement

सवालों का संतुलन

हाल के सालों में लगभग सभी तरह की परीक्षाओं में यह बात देखने में आयी है कि ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव सवालों को लेकर संतुलन बनाया जा रहा है। पहले इस तरह का संतुलन नहीं था, कई परीक्षाओं में ऑब्जेक्टिव सवालों की भरमार होती थी, तो कई दूसरी परीक्षाओं में सब्जेक्टिव सवालों की बाढ़ दिखती थी। अब हर तरह की परीक्षाओं में दोनों तरह के सवालों का एक संतुलन दिखता है, ताकि छात्रों में अवधारणात्मक और रचनात्मक क्षमता का बेहतर विकास हो।

जांची जा रही क्रिटिकल थिंकिंग

अब सिर्फ सवालों को रटकर जवाब देने की तरकीब काम नहीं आने वाली, क्योंकि परीक्षाओं में लगातार क्रिटिकल थिंकिंग और एप्लीकेशन बेस्ड सवाल बढ़ रहे हैं। अब परीक्षार्थियों से लगातार ऐसे प्रश्न पूछे जा रहे हैं, जो उनमें क्रिटिकल थिंकिंग, प्रॉब्लम सॉल्विंग और प्रैक्टिकल नॉलेज को जांच सकें। माना जा रहा है कि वास्तविक जीवन में ऐसे ही सवालों से टकराना होता है। इसलिए परीक्षाओं में इस तरह के सवालों की हिस्सेदारी बढ़ायी जा रही है।

Advertisement

ऑनलाइन मूल्यांकन

जिन नौकरियों में अंतिम रूप से आमने-सामने किये गये इंटरव्यू के बाद ही ज्वाइनिंग लेटर दिया जाता है, उनमें भी आजकल पहले एक-दो राउंड ऑनलाइन इंटरव्यू के चल रहे हैं। वास्तव में कोविड-19 महामारी के बाद ऑनलाइन गतिविधियां हर क्षेत्र में बढ़ गई हैं। परीक्षाओं के संदर्भ में भी ऑनलाइन परीक्षाओं का चलन काफी बढ़ा है। हालांकि कोविड के बाद फिर से बड़ी संख्या में परीक्षाएं ऑफलाइन हो चुकी हैं, लेकिन ऑनलाइन पैटर्न को बिल्कुल नहीं छोड़ दिया गया। शायद यह संभव भी नहीं क्योंकि महामारी भले खत्म हो गई, लेकिन जिंदगी से ऑनलाइन गतिविधियां नहीं खत्म हुईं। इसलिए परीक्षाओं में डिजिटल मूल्यांकन को भी एक स्थायी मूल्यांकन प्रविधि के रूप में स्वीकार कर लिया गया है। जानकारों का अनुमान है कि आने वाले एक दशक में सभी परीक्षाएं अगर पूरी तरह से नहीं तो कम से कम आधी तो ऑनलाइन हो ही जाएंगी।

ओपन बुक एग्जाम का चलन

भारत में लंबे समय से परीक्षाओं में नकल एक बड़ी समस्या रही है। इस समस्या का समाधान यही हो सकता था कि ऐसे सवाल बनाये जाएं, जिनका कोई पहले से रटा-रटाया और तैयार किया हुआ जवाब न हो बल्कि उस सवाल को समझकर तात्कालिक तौरपर जवाब तैयार किया जाए। अब यही प्रक्रिया अपनाये जाने की कोशिश हो रही है,जिसमें संदर्भों को देखने, नोट्स के इस्तेमाल को अपराध नहीं समझा जाता बल्कि समझदारी की गतिविधि मानी जाती है। बता दें, ओपन बुक एग्जाम वह तरीका है कि आप संबंधित किताब, नोटबुक पास रखकर सवाल का जवाब दे सकते हैं। इसके लिए ऐन मौके पर किताब से जवाब देने में सहायक संदर्भ को देखा जा सकता है।

क्षमता आधारित शिक्षण और परीक्षा

अब छात्रों को सिर्फ परीक्षाओं को पास करने पर ध्यान देने की बजाय कहा जाता है कि वे जानकारियों और ज्ञान को समझने तथा विभिन्न तरह के कौशलों को विकसित करने पर ध्यान दें। वास्तव में कैपिसिटी बेस्ड लर्निंग एग्जाम पैटर्न से छात्रों की न सिर्फ व्यक्तिगत क्षमता का मूल्यांकन होता है बल्कि ऐसा करते हुए छात्रों को भी अपनी प्रतिभा का पता चलता है।

बोर्ड परीक्षाओं में भी बदलाव

सिर्फ नौकरियों के लिए होने वाली परीक्षाएं और इंटरव्यू के तरीके ही नहीं बल्कि नियमित पढ़ाई वाली परीक्षाओं का पैटर्न भी बदल रहा है। सीबीएसई और राज्य बोर्डों के पैटर्न में हाल के सालों में तेज परिवर्तन हुए हैं। साल 2023-24 में सीबीएसई ने बोर्ड परीक्षाओं को एक बार में लिए जाने की बजाय दो टर्म की परीक्षाओं में बदल दिया है और दोनों बार ही अलग-अलग प्रश्न पूछे जाते हैं। इससे छात्रों को एक समय में पाठ्यक्रम में एक निश्चित हिस्से तक ही पढ़ने का दबाव रहता है। मसलन शुरु की परीक्षा में शुरुआत से आधे हिस्से तक के पाठ्यक्रम से सवाल पूछे जाते हैं और बाद की परीक्षा में दूसरे बचे हुए हिस्से से सवाल पूछते हैं। इससे छात्रों को फायदा होता है, उन्हें कम समय में ज्यादा नहीं पढ़ना पड़ता।

- इ.रि.सें.

Advertisement
Advertisement